रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खौफ (Fear of Naxalites in Chhattisgarh)को खत्म करने के लिए बीआरओ के जवान निगहबानी करेंगे। इससे नक्सली अपने मांद से नहीं निकल पाएंगे और इनके शिकंजे में फंस जाएंगे। कुछ ऐसा ही मास्टर प्लान बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (Master Plan Border Road Organization)ने बनाया है। ताकि धूर नक्सली इलाकों के ग्रामीण नक्सली खौफ नहीं खाएं और इनके विरोध में खुद खड़े होकर लड़ भी सके। बहरहाल, पूरा प्लान अभी गुप्त भी है। लेकिन कुछ ऐसे ही कायस लगाए जा रहे हैं।
नक्सलियों के मुखिया हिडमा के गढ़ में सड़क बनाई है. यह वह इलाका है, जहां हिडमा का अच्छा खासा प्रभाव है. यहां कोई और ठेकेदार कभी भी सड़क का निर्माण नहीं कर सका. गौरतलब है कि बीआरओ दुर्गम जगहों, पहाड़ों पर सड़कें बनाने के लिए जाना जाता है. छत्तीसगढ़ का नक्सल प्रभावी क्षेत्र शायद अपने आप में पहला इलाका है, जहां बीआरओ ने काम किया है. बीआरओ के अधिकारी ने बताया कि टीम ने 25 नवंबर से बीजापुर में सड़क निर्माण का काम शुरू कर दिया है.
गौरतलब है कि साल 2004 से 2006 तक इस इलाके में नक्सली हिंसा चरम पर थी. उस वक्त बीआरओ ने जगदलपुर-गीदम (दंतेवाड़ा) के बीच 100 किमी लंबी सड़क बनाई थी. यह सड़क अभी भी बस्तर की बेहतरीन सड़कों में से एक है. इस बार टीम ने घोर नक्सली इलाके में सड़क निर्णाण का बीड़ा उठाया है. बीआरओ यहां दो सड़कें बनाएगा. एक सड़क नक्सलियों के मुखिया हिडमा के गांव पूर्वर्ती से सिलगर तक बनाई जाएगी. जबकि, दूसरी सड़क टेरम से कोंडापल्ली तक बनाई जाएगी।
बता दें, अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, हिडमा का गांव पूर्वर्ती टेकुलगुडा से दो किमी दूर है. यहां अप्रैल 2021 में माओवादियों ने घात लगाकर सुरक्षाबलों पर हमला किया था. इस हमले में 23 जवान मारे गए थे. 17 मई 2021 में सिलगर में पुलिस फायरिंग में तीन गांववाले मारे गए थे. उस वक्त वहां लोगों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था. नकस्लियों का गढ़ होने की वजह से स्थानीय ठेकेदार काम लेने से डरते हैं. इस वजह से सरकार के कई प्रोजकेट् के टेंडर कोई नहीं उठाता।
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