बीजापुर। सुरक्षाबलों की नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियान (Ongoing operations of security forces against Naxalites)से नक्सली अब बैकफुट पर आ गए हैं। नक्सली अब छत्तीसगढ़ के नक्सल इलाकों को छोडऩे के लिए मजबूर हैं। ऐसे में नक्सली अब सीधे तौर पर मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है। जिसे देखते हुए बस्तर में नक्सली रैंडम किलिंग(Naxalite random killing) को अंजाम देने में जुटे हैं। उनकी बदली रणनीति का जवाब देने में पुलिस विभाग के पसीने छूटने लगे हैं। बहरहाल, अभी तक रैंडिम किलिंग को रोक पाने में पुलिस पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहे हैं। इस चुनौती को अब पुलिस के अधिकारी भी स्वीकार रहे हैं।
चौंकाने वाले घटनाक्रमों में पिछले 18 दिनों में नक्सलियों ने बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जिले में 10 लोगों को मार डाला। इनमें 3 बीजेपी कार्यकर्ता, एक आंगनबाड़ी सहायिका भी शामिल हैं। दो दिन पहले ही बीजापुर और दंतेवाड़ा में माओवादियों ने 4 ग्रामीणों की हत्या की।
गौरतलब है कि, संगठन में बड़े कैडर के नक्सली सुरक्षा बलों के हाथों मारे जा रहे हैं। इससे संगठन लगातार कमजोर पड़ रहा है। पुलिस की मानें तो वर्चस्व को बचाए रखने माओवादी अपनी पुरानी रणनीति को फिर से अपना रहे हैं। पुलिस इसे साइकोलॉजिकल वॉर यानी मनौवैज्ञानिक युद्ध भी कह रही है। बड़े कैडर के माओवादी या तो पलायन को मजबूर हैं, या अंडरग्राउंड होने की जद्दोजहद में हैं। इस बीच उन्होंने स्मॉल एक्शन टीम को सक्रिय किया है। इसमें संगठन के मिलिशिया सदस्य होते हैं। ये मिलिशिया ही पुलिस के लिए बड़ी चुनौती हैं। क्योंकि, इन लोगों को पहचानना मुश्किल होता है।
बीजापुर एसपी डॉक्टर जितेंद्र यादव ने कहा कि जब-जब नक्सलियों के खिलाफ एक्शन लिया जाता है, वे बौखला जाते हैं। वे आम लोगों की हत्या करने लगते हैं। ये लोग जब सुरक्षाबलों को नुकसान नहीं पहुंचा पाते तो सॉफ्ट टारगेट ढूंढते हैं. पुलिस लोगों को इस बारे में समझाइश देती है। नक्सलियों की मिलिशिया टीम आपसी रंजिश की वजह से भी लोगों को मरवाती है. ये मिलिशिया काफी मजबूत है। इनकी पहचान करना आसान नहीं। नक्सली एक तरह का मनौवैज्ञानिक युद्ध कर रहे हैं। मिलिशिया ग्रामीण कपड़े पहनते हैं, आम जनता जैसे ही लगते हैं। हम इनकी तलाश कर रहे हैं। हम इनकी जड़ तक जरूर पहुंचेंगे।
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