रायपुर। अब छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव (Municipal body elections in Chhattisgarh) की तैयारियों को लेकर दावेदार जुट गए हैं। वहीं कांग्रेस-बीजेपी का संगठन (Congress-BJP organization) भी अपने-अपने तरीके से कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की बैठक आयोजित किया जा रहा है। ताकि जमीनी स्तर यानी बूथ स्तर तक नगरीय निकाय के जरिए शहरी सरकार की सत्ता की लड़ाई को आसानी से जीता जा सके। इसके लिए पार्टियों ने प्रभारी और पर्यवेक्षक भी जिला और प्रदेश स्तर पर नियुक्त कर दिए। इसके मद्देजनर नगरीय निकाय क्षेत्रों में दोनों पार्टियों के बड़े नेता पहुंच रहे हैं।
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का दावा है कि नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करेगी और भाजपा को करारी शिकस्त मिलेगी. भाजपा नेताओं को समझ में आ गया है कि जनता का आक्रोश भाजपा सरकार के खिलाफ दिख रहा है। पूरे प्रदेश में आपराधिक घटनाएं बढ़ी हैं. बिजली की महंगी दर है, वादा खिलाफी है, युवाओं को रोजगार नहीं मिलने का आक्रोश है, इसलिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार नगरीय निकाय का चुनाव समय पर करने में टाल मटोल कर रही है।
भाजपा मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी का दावा है कि जो परिणाम विधानसभा और लोकसभा चुनाव में आए हैं, वही विधानसभा उपचुनाव में भी आएगा और नगरीय निकाय चुनाव में भी वही परिणाम देखने को मिलेगा। कांग्रेस को जनता ने मौका दिया था, उस दौरान सरकार के साथ-साथ नगर निगम , नगर पालिका में भी इन्होंने भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी. सारा पैसा गबन कर गए। जितने सामान लगाए थे, वह खराब हो गए. जनता के पास जनता का पैसा नही पहुंचा।
भाजपा मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी ने कहा कि जनता चुनाव का इंतजार कर रही है। जहां भी कांग्रेस के महापौर हैं, उन्हें खदेड़ दिए जाएं. जहां कांग्रेस के पार्षद हैं, उन्हें रिप्लेस किया जाए और भारी मतों से इस बार इस चुनाव में भाजपा जीतने जा रही है। कहा कि 3100 रुपए धान की कीमत एक बार में मिल गई. महतारी वंदन योजना का ₹1000 मिल रहा है. 2 साल का बोनस मिल चुका है. पीएससी घोटाला में जांच की बात थी,उसकी घोषणा हो गई। भाजपा का दावा है कि विष्णु देव सरकार ने अपने पहले ही वर्ष में लगभग सारे वादे पूरे कर लिए हैं. भूपेश बघेल की सरकार 5 सालों में अपने आधे वादे को भी पूरा नहीं कर पाई थी। हमने तो 90% से ज्यादा वादे पूरे कर दिए. कांग्रेस का देखने का चश्मा अलग है और वास्तविकता कुछ अलग है।
नगरीय निकाय चुनाव के लिए दावेदारी तो बहुत पहले से ही शुरू हो गई है. विधानसभा, लोकसभा चुनाव के दौरान ही दावेदारी देखने को मिलना शुरू हो गई थी. दोनों राजनीतिक दल के बड़े कद के नेताओं ने चुनाव को लेकर अपनी अपनी तैयारी शुरू कर दी है और जुगाड़ बैठने में लग गए है, कि किस तरह से टिकट हासिल की जाए. अब देखना होगी पार्टी किसे टिकट देती है और कौन चुनाव लड़ता है।
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