छत्तीसगढ़। (Chief Minister Bhupesh Baghel) मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि रमन सिंह को जनगणना (Census) की मांग केंद्र से करनी चाहिए। क्योंकि परंपरा है कि हर 10 साल बाद जनगणना होनी जरूरी है। लेकिन इसके जानबूझकर टाला जा रहा है। भाजपा डर रही है। क्योंकि अगर जनगणना कर दिए तो गरीबों की संख्या बढ़ी मिलेगी। यही वजह है, भाजपा नहीं चाह रही है कि जनगणना हो। बता दें, जनगणना कराने की बात इस वजह से भूपेश ने कही क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने 16 लाख पीएम आवास नहीं बनाने का आरोप लगाया था। इसके जवाब में भूपेश ने रमन के इस अरोप पर जनगणना कराने की नसीहत दे डाली।
वहीं दूसरी ओर उन्होंने जीएसटी के मुद्दे पर भी बीजेपी के डबल इंजन के सरकार को ट्रबल इंजन करार दिया। साथ ही जीएसटी पर भी कहा कि बता दें, छत्तीसगढ़ में GST पर फिर से विवाद उभर गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस बार पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को निशाने पर लिया है। उन्होंने रमन सिंह पर आरोप लगाया कि उन्होंने जबरदस्ती GST को स्वीकार कर लिया। इसकी वजह से प्रदेश को हर साल 6 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार सोशल मीडिया पर लिखा, “ट्रबल इंजन’ ने 2017 में केंद्र सरकार के दबाव में GST बिल पर ऐसी शर्तों के तहत स्वीकृति दे दी। जो पूरी तरह राज्य के हितों के विरुद्ध थी। उसका दुष्परिणाम है कि राज्य को 6000 करोड़ प्रतिवर्ष की क्षति हो रही है। रमन सरकार का यह अपराध क्षमायोग्य नहीं है, जनता कभी माफ नहीं करेगी।
नाटक-नौटंकी बंद करके भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह जी को जनगणना की माँग करनी चाहिए। pic.twitter.com/3hQlNw2nXg
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) February 16, 2023
इन आरोपों के जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा, GST में नुकसान और घाटा में स्टेट का शेयर फिक्स है। वह पहले से बढ़ा ही है। 32% जो शेयर मिलना है वह मिलता रहता है। अगर ज्यादा कलेक्ट होगा तो ज्यादा मिलेगा, कम कलेक्ट होगा तो कम मिलेगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल केंद्र सरकार की GST नीति के खिलाफ मुखर रहे हैं। वाणिज्यिक कर मंत्री टीएस सिंहदेव भी GST परिषद की हर बैठक में उत्पादक राज्यों का नुकसान गिनाया। पिछले साल स्पष्ट हो चुका था, केंद्र सरकार जून 2022 के बाद उत्पादक राज्याें को राजस्व नुकसान की क्षतिपूर्ति नहीं देगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐसे 17 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर साझा मोर्चा बनाने की पहल की। मांग उठाई गई कि केंद्र सरकार यह क्षतिपूर्ति अगले 10 साल तक जारी रखे।