विज के राक्षस वाले बयान पर भूपेश ने कसा तंज, जाने, क्या कहा
By : madhukar dubey, Last Updated : December 20, 2022 | 4:59 pm
वे बिलाईगढ़ विधानसभा में भेंट-मुलाकात में जाने से पूर्व रायपुर पुलिस लाइन में पत्रकारों से बातचीत करते समय कही। कहा कि केसरिया, भगवा अथवा गेरुआ रंग त्याग का प्रतीक है। कोई संन्यासी, ऋषि-मुनी जब सब त्याग देता है और पूरा जीवन समाज के लिए समर्पित कर देता है तो वह भगवा, केसरिया या गेरुआ रंग धारण करता है।
मैंने पूछा था कि ये जो बजरंगी हैं उन्होंने कौन सा त्याग किया है जो भगवा धारण किये हुए हैं। उसका जवाब तो दिया नहीं। अब सर्टिफिकेट बांट दिया। इनकी तो आदत है। भाजपा के खिलाफ बोलो तो धर्म विरोधी हो जाओ, केंद्र सरकार के खिलाफ बोलो तो देशद्रोही हो जाओ। इनके खिलाफ बोलो तो राक्षस। सर्टिफिकेट की फैक्ट्री है इनके पास जो बांटते रहते हैं।
भूपेश ने रंग के मायने बताया, भगवा रंग के त्याग आचरण में लाएं
मुख्यमंत्री ने कहा, कपड़े तो कोई भी पहनता है। आप काला पहनकर आये हैं तो इसका मतलब थोड़े है कि आप मेरा विरोध करने आए हैं। यह रंग है, लोग हर रंग के कपड़े रोज बदलते हैं। पहनने में और धारण करने में यानी अंगिकार करने में अंतर है। अब अगर आपने भगवा रंग धारण किया है तो बताएं कि क्या त्याग किया। यही तो मैं पूछ रहा हूं कि बजरंग दल वालों ने त्याग क्या किया है। भगवा त्याग का प्रतीक है। भारतीय परंपरा त्याग को सर्वोच्च स्थान देती है। इसलिए हमारे तिरंगे में इसको सबसे ऊपर स्थान दिया गया है। जिसने देश और समाज के लिए सर्वोच्च त्याग किया है उसका सबसे अधिक सम्मान होता है। अब ये बताएं कि क्या त्याग किया है।
यहां से शुरू हुआ है यह विवाद
फिल्म पठान के एक गीत में भगवा रंग के कपड़ों से छिड़े विवाद पर शनिवार को मीडिया ने सवाल पूछा था। जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, “भगवा रंग जो है वह यज्ञ की अग्नि की ज्वाला का रंग है। वह पवित्र है। वह त्याग और बलिदान का रंग है। विश्व हिंदू परिषद-विहिप और बजरंग दल वाले जो भगवा पहनकर घूम रहे हैं उन्होंने कौन सा त्याग किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा, रंग किसी का होता है क्या। ये लोग केवल इसके नाम पर समाज में वैमनस्य फैला रहे हैं।’ सोमवार को हरियाणा के मंत्री अनिल विज का एक बयान पर उन्होंने कहा, हिंदुस्तान की सनातन संस्कृति का अध्ययन करें तो हर युग में देवता भी रहे हैं और राक्षस भी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री आज के राक्षस प्रवृत्ति के महानुभाव हैं। कांग्रेस ने इसे छत्तीसगढियों का अपमान बताया है।