रायपुर। राजधानी रायपुर में अधूरे पड़े स्काई-वॉक (skywalk) के निर्माण को पूरा किया जाएगा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हाल ही में हुई बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। बैठक में तय किया गया कि निर्माण को पूर्व निर्धारित ड्राइंग-डिजाइन के अनुसार पूरा किया जाएगा। इसके साथ ही रायपुर के शारदा चौक से तात्यापारा चौक के बीच सड़क चौड़ीकरण के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता कलेक्टर करेंगे। यह समिति मुआवजा और चौड़ीकरण के लिए आवश्यक भूमि की समीक्षा करेगी और काम को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठाएगी।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई बैठक में उप मुख्यमंत्री अरुण साव, नगरीय प्रशासन एवं लोक निर्माण मंत्री, रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल, पूर्व सांसद सुनील सोनी, रायपुर पश्चिम के विधायक राजेश मूणत, रायपुर ग्रामीण के विधायक मोतीलाल साहू, पूर्व विधायक नंदकुमार साहू, श्रीचंद सुंदरानी और शहर के अन्य जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए।
बैठक में स्काई-वॉक के निर्माण की स्थिति की जानकारी दी गई। बताया गया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री के निर्देश पर शास्त्री चौक पर पैदल यात्रियों की गणना की गई थी। अक्टूबर 2016 में डॉ. भीमराव अम्बेडकर चिकित्सालय चौक पर 14 हजार और शास्त्री चौक पर 27 हजार पैदल यात्री पाए गए थे। मई 2019 में दोबारा गणना के दौरान यात्रियों की संख्या बढ़कर 25 हजार 095 और शास्त्री चौक पर 35 हजार 920 हो गई थी।
पूर्ववर्ती सरकार द्वारा अधूरे स्काई-वॉक के संबंध में एक सुझाव समिति का गठन किया गया था, जिसने भी स्काई-वॉक के निर्माण को पूरा करने की सिफारिश की थी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई बैठक में स्काई-वॉक निर्माण को पूर्व अनुमोदित ड्राइंग-डिजाइन के अनुसार पूरा करने पर सहमति बनी।
बैठक में शारदा चौक से तात्यापारा चौक तक सड़क चौड़ीकरण के संबंध में जानकारी दी गई कि जयस्तंभ चौक से शारदा चौक तक और तात्यापारा चौक से आगे आजाद चौक तक फोरलेन मार्ग निर्मित है। यह सड़क चौड़ीकरण रायपुर की लंबे समय से चली आ रही मांग है। दोनों ओर की सड़कों के चौड़ीकरण के बाद बीच के छूटे हिस्से का चौड़ीकरण आवश्यक है।
सड़क चौड़ीकरण के लिए एक माह के भीतर रिपोर्ट मांगी गई है। रायपुर के कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति 30 दिनों के भीतर शारदा चौक से तात्यापारा चौक तक भूमि अर्जन और अतिक्रमण की स्थिति की समीक्षा करेगी, प्रभावित भू-स्वामियों और अतिक्रमणकर्ताओं की जानकारी एकत्र करेगी, और आवश्यक भूमि उपलब्ध कराने के लिए विकल्प एवं अनुशंसा प्रस्तुत करेगी। इस समिति का गठन नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा किया जाएगा।