बिलासपुर। हाईकोर्ट ने टीचर और हेडमास्टरों के प्रमोशन को लेकर बड़ा फैसला दिया है। चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी (Chief Justice Arup Kumar Goswami) और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। शासन के पक्ष में आदेश जारी होने के बाद अब टीचरों के प्रमोशन (promotion of teachers) का रास्ता साफ हो गया है। वहीं, प्राचार्य के पदों पर पदोन्नति के लिए रेगुलर और एलबी दोनों ही संवर्ग को मौका दिया जाएगा।
दरअसल, छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा भर्ती और पदोन्नति नियम 2019 बनाया गया है। इस नियम के लागू होने से पहले शिक्षकों के लिए प्रमोशन के लिए पांच साल का अनुभव अनिवार्य था। नए नियम लागू होने के बाद इसे खत्म कर तीन साल कर दिया गया है। इस नए नियम को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में टीचरों की तरफ से अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थी। पूर्व में हाईकोर्ट ने शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इसके बाद से प्रकरण की सुनवाई लंबित थी। कुछ माह पहले हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला आदेश के लिए सुरक्षित रखा था, जिसमें आज आदेश जारी किया गया है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता शिक्षकों के वकीलों ने हाईकोर्ट को बताया कि 5 साल तक अनुभव रखने वाले सहायक शिक्षक प्रधान पाठक प्राथमिक शाला और शिक्षक के पद पर पदोन्नति के लिए पात्र माने जाते हैं। नियम में विभिन्न विसंगति के आधार पर उसकी संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी। इसके जवाब में शासन की तरफ से कहा गया कि शिक्षक के अलग-अलग कैडर का ध्यान रखते हुए यह नियम बनाया गया है और शासन को इसका अधिकार है। डिवीजन बेंच ने पदोन्नति नियम के लिए शासन के इस प्रावधान को सही ठहराया है।
याचिका में बताया गया था कि पंचायत शिक्षक को संविलियन कर एलबी कैडर का गठन किया गया है। लेकिन, एलबी कैडर के शिक्षकों की वरिष्ठता निर्धारण करने का कोई प्रावधान नहीं बनाया गया है। इसके चलते वरिष्ठता के निर्धारण में दिक्कतें हो रही हैं और सीनियर शिक्षक जूनियर और जूनियर शिक्षक सीनियर हो गए हैं। इस मामले में भी दिए गए तर्कों को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने केस को निराकृत कर दिया है।
याचिकाकर्ता कुछ शिक्षकों ने यह तर्क दिया था कि प्राचार्य के पदों पर पदोन्नति के लिए अलग-अलग कोटा तय किया गया है, जिसमें रेगुलर टीचर और एलबी संवर्ग के लिए कोटा तय है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि एलबी संवर्ग से अगर पदोन्नति के लिए पात्र नहीं होंगे तो उनकी जगह रेगुलर टीचर को प्राचार्य बनाया है। इस पर हाईकोर्ट ने दोनों संवर्ग को प्राचार्य के पदों पर पदोन्नति के लिए मौका देने का आदेश दिया है।
दरअसल, राज्य शासन के नए नियम को चुनौती देने की वजह से प्रदेश भर में शिक्षकों की पदोन्नति रुक गई थी, क्योंकि प्रारंभिक सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पदोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। अब हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद शिक्षकों की पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया है।