बिलासपुर रेल हादसा: 11 मौतों के बाद नया विवाद, एक ही ट्रैक पर तीन ट्रेनें आने से मचा हड़कंप, वीडियो वायरल

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ पुष्कर विपुल विलास राव ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि यह कोई तकनीकी गलती नहीं थी।

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  • Publish Date - November 6, 2025 / 10:00 PM IST

बिलासपुर:  बिलासपुर रेलवे स्टेशन (railway station) के पास 4 नवंबर 2025 (मंगलवार) को हुए भीषण रेल हादसे में अब तक 11 लोगों (11 people killed) की मौत हो चुकी है, जिनमें एक लोको पायलट (loco pilot) भी शामिल हैं। वहीं, 20 यात्री घायल हैं, जिनका इलाज अलग-अलग अस्पतालों में जारी है। हादसे के कारणों की जांच के लिए रेलवे ने 19 अधिकारियों और कर्मचारियों को तलब किया है। अगले दो दिनों तक उनसे पूछताछ की जाएगी ताकि किसी भी लापरवाही की पुष्टि हो सके।

इस बीच, गुरुवार दोपहर हादसे के बाद एक नया विवाद सामने आया जब एक ही ट्रैक पर तीन ट्रेनें एक साथ खड़ी दिखाई दीं। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिससे यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। कई यात्रियों ने एहतियातन ट्रेन से उतरकर ट्रैक पर खड़ा होना शुरू कर दिया। वीडियो सामने आने के बाद लोगों ने इसे रेलवे की गंभीर लापरवाही बताया।

रेलवे की सफाई
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ पुष्कर विपुल विलास राव ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि यह कोई तकनीकी गलती नहीं थी। उन्होंने बताया कि “ऑटोमेटिक ब्लॉक सेक्शन में एक ट्रैक पर निर्धारित दूरी पर तीन गाड़ियां खड़ी रह सकती हैं। इसमें किसी तरह की तकनीकी खराबी नहीं है। वीडियो में यात्री घबराए हुए नहीं दिखे, कई बार ट्रेन रुकने पर लोग सामान्य तौर पर नीचे उतरकर खड़े हो जाते हैं। सभी ट्रेनें बाद में आगे बढ़ गईं और किसी ने शिकायत नहीं की।”

क्या है ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम (Automatic Block Signalling System)?
भारतीय रेलवे में ट्रैकों को ब्लॉक सेक्शन में बांटा जाता है। सामान्यतः एक ब्लॉक सेक्शन में एक समय में केवल एक ट्रेन की अनुमति होती है, लेकिन ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग तकनीक के तहत एक ही ट्रैक पर कई ट्रेनें सुरक्षित दूरी बनाए रखते हुए चल सकती हैं।

इस प्रणाली में ट्रैक को छोटे-छोटे ब्लॉकों में बांटा जाता है और हर ब्लॉक का सिग्नल सिस्टम अगले ब्लॉक की स्थिति देखकर ट्रेन को संकेत देता है। यदि एक ट्रेन आगे वाले ब्लॉक में है, तो पीछे वाली ट्रेन को केवल अगले ब्लॉक में जाने की अनुमति होती है। इस तरह ट्रेनों के बीच लगभग एक किलोमीटर की दूरी बनी रहती है और वे सीमित गति (restricted speed) पर चलती हैं ताकि किसी आपात स्थिति में तुरंत रोकी जा सकें।

जहां सिंगल ट्रैक लाइनें होती हैं, वहां “वन ट्रेन ओनली सिस्टम” लागू होता है, यानी एक समय में पूरे सेक्शन में केवल एक ही ट्रेन चल सकती है। वहीं, Passing Loops ऐसे स्थान होते हैं जहां दो ट्रेनें एक-दूसरे को पार कर सकती हैं या प्रतीक्षा कर सकती हैं, जो मुख्यतः कम व्यस्त या पहाड़ी इलाकों में उपयोग किए जाते हैं।