छत्तीसगढ़ में यूसीसी पर भाजपा पसोपेश में
By : hashtagu, Last Updated : July 9, 2023 | 9:36 pm
प्रधानमंत्री (PM Modi) बीते माह जब भोपाल आए तो उन्होंने सभी के लिए समान कानून संहिता की पैरवी की और इसे संविधान सम्मत भी बताया। इसके बाद तमाम राजनीतिक दलों की देशव्यापी प्रतिक्रियाएं आई। भाजपा की ओर से भी नेताओं के बयान आए, मगर छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता इस मामले में ज्यादा मुखर नहीं है। पार्टी के नेताओं का यही कहना है कि पहले ड्राफ्ट तो सामने आने दें।
राज्य के उप-मुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने समान नागरिक संहिता को लेकर कहा, “इस तरह का कानून लाना है तो सबको साथ लेकर चलना होगा, क्योंकि अलग-अलग वर्गों और समाजों की अपनी अपनी परंपराएं है। मुस्लिम समाज के ध्रुवीकरण करने का एक और व्यापक प्रयास किया जा रहा है और वोट का बंटवारा कर दो। यह समय नहीं है समान नागरिक संहिता के लिए। हमारा समाज अभी भी उस मानसिक स्थिति तक नहीं पहुंचा है, जिसमें देश के सभी नागरिक अपनी पारंपरिक प्रथाओं को छोड़ दें और कानून और खुद को एक कानून में बांध लें। अभी मेरी राय में देश और देश के नागरिक समग्र रूप से समान नागरिक संहिता के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं।”
वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी परंपराओं का जिक्र किया और धुव्रीकरण का जिक्र करते हुए कहा, “हिंदू- मुसलमान के हिसाब से क्यों सोचते हैं? छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की परंपरा का क्या होगा? छत्तीसगढ़ में रुढ़ी आदिवासी हैं उनका अपनी परंपरा के नियम हैं, बहुत सारी जातियों की अपनी परंपरा है। अगर कॉमन सिविल कोड कर देंगे तो हमारे आदिवासियों की रुढी परंपरा का क्या होगा। यह केवल एक चीज नहीं है, जिसके बारे में हम चर्चा करें। गांव में बहुत सारी जातियां है और उनकी अपनी परंपराएं है, उसके आधार पर वे चलते है, संविधान में भी कहीं न कहीं मान्यता मिलती है। हमको सभी की भावनाओं को देखना होगा।”
राज्य में कांग्रेस पूरी तरह यूसीसी का खुले तौर पर विरोध कर रही है। वहीं भाजपा एक ही सवाल कर रही है कि इस कानून का अभी ड्राफ्ट नहीं आया है और कांग्रेस अपनी राय जाहिर कर रही है।
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी ने कहा है कि “कांग्रेस का इतिहास रहा है कि उसने भ्रम फैलाने और झूठ की राजनीति की है। जितने भी कानून आए उसका पहले ही विरोध शुरु कर देते हैं। वास्तविकता यह है कि कांग्रेस के पास मुददे नहीं है इसीलिए काल्पनिक तरीके अपनाते हैं। हर बार कांग्रेस को मुंह की खाना पड़ी है। यही कारण है कि वे सत्ता से बाहर है, राफेल मामले में क्या हुआ यह सबके सामने है।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में आदिवासी वर्ग बड़ी तादाद में है और उनकी अपनी परंपराएं है जिसे एक कानून की परिधि में लाना आसान नहीं होगा और अगर ऐसा होता है तो भाजपा को विधानसभा व लोकसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है। लिहाजा भाजपा इस मुददे पर बहुत ज्यादा बोलने को तैयार नहीं है। सियासी रणनीति के तौर पर यह ठीक भी है।
इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के छत्तीसगढ़ प्रवास और इस खास तबज्जो न दिए जाने से समझा जा सकता है। इतना ही नहीं यूसीसी से राज्य में ध्रुवीकरण की संभावना भी कम है क्योंकि राज्य में मुस्लिम मतदाता बहुत ज्यादा नहीं हैं।