BJP Plan : गढ़ लिए मुद्दे! अब OM माथुर की बस्तर में सियासी नाकेबंदी!

By : madhukar dubey, Last Updated : May 28, 2023 | 5:41 pm

छत्तीसगढ़। विधानसभा चुनावी दंगल में कांग्रेस की भूपेश सरकार को पलटने की कोशिश में BJP जोरशोर से लगी है। ऐसे में वह उन्हीं तमाम मुद्दों को बनाने में जुटी है, जिस पर भूपेश बघेल ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ पर दावा करते हैं। चाहे वह गौठान या राजीव गांधी किसान न्याय योजना हो। इसके अलावा तमाम महत्वाकांक्षी योजनाओं पर कांग्रेस सरकार को BJP लगातार घेर रही है। हाल में BJP ने ‘चलबो गोठान खोलबो पोल’ अभियान को लेकर गोठानों में गई। आरोप भी जड़े, करीब 1300 करोड़ रुपए के घोटाले संभावित है।

बहरहाल, इस आरोप को भूपेश बघेल ने एक सिरे से नाकार दिया। कहा, जब चुनाव नजदीक आ गया है तो बीजेपी नेता गोठानों में जा रहे हैं। इसके पूर्व बीजेपी इधर बीच शराब घोटाले पर कांग्रेस को घेर रही है। बता दें, इसके पहले BJP ने चुनावी साल में PM आवास गरीबों के नहीं मिलने के मुद्दे पर पहले आंदोलन की शुरूआत हुई थी। इसकी शुरूआत भी BJP के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर की प्लानिंग पर हुई थी।

ऐसे में जब मुद्दे की सियासी जंग छिड़ी चुकी है तो बीजेपी के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर (State in-charge Om Mathur) अब संगठन को चुस्त दुरुस्त करने में जुट गए हैं। अभी इनका ‘टारगेट टू मिशन बस्तर (Bastar) संभाग’ ही है। जहां वे जिलों के विधानसभावार बैठकें लेंगे। इसके अलावा बीजेपी की बूथ स्तर की तैयारी की प्रगति रिपोर्ट लेंगे। इसकी शुरूआत भी कर चुके हैं। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक अभी BJP का पूरा फोकस बस्तर पर ही रहेगा। क्योेंकि बस्तर से होकर ही सत्ता की कुंजी मिल सकती है। इसलिए पूरा फोकस ओम माथुर का बस्तर पर ही है। दूसरी ओर भूपेश सरकार की चल रही जन कल्याणकारी योजनाओं के तिलिस्म को तोड़ पाना BJP के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। वहीं कांग्रेस के लिए भी इस बार सता की राह पिछले विधानसभा चुनाव की तरह आसान नहीं रहने वाली है।

माथुर का फोकस बस्तर

साल 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद हालत ये रही कि पूरी की पूरी भाजपा 15 सीटों पर सिमट गई। बस्तर से दो दो मंत्री केदार कश्यप, महेश गागड़ा तब भाजपा के हुआ करते थे, वहां से एक भी सीट भाजपा जीत ना सकी। बस्तर संभाग की 12 पर आज पंजा छाप के निशान हैं। ओम माथुर प्रदेश स्तर की होने वाली हर बैठक में बस्तर पर फोकस करने का टारगेट नेताओं को दे रहे हैं।

खुद भी वो मानते हैं कि भाजपा को बस्तर में फिर से खड़ा करने की जरुरत है। यही वजह है कि वो लगातार यहां बैठकें 30 मई तक लेंगे। बीते महीने 26-27 अप्रैल को माथुर बस्तर आये थे। प्रदेश की राजनीति में बड़ी चर्चा होती है कि यदि कोई भी राजनीतिक दल बस्तर की सारी सीटों पर जीत हासिल कर ले तो राज्य में सरकार बनाने का रास्ता आसानी से खुल जाता है। यह कहना कहीं गलत नहीं होगा कि, सत्ता की चाबी बस्तर की सीटों पर निर्भर करती है।

टिकट का फीडबैक भी

माथुर इन बैठकों में कार्यकर्ताओं से चर्चा करके ये भी देखेंगे कि बस्तर से कौन-कौन से ऐसे चेहरे हैं जिनपर आगामी चुनाव में दांव लगाया जा सकता है। हालांकि टिकट वितरण पर ओम माथुर ने कुछ नहीं कहा। माथुर ने इसे संगठनात्मक दौरा बताया है। जानकार बताते हैं कि टिकट का अंतिम फैसला दिल्ली से ही होना है, मगर माथुर का फीडबैक अहम होगा। माथुर की तरह नितिन नबीन, जामवाल और प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव भी अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों को टटोल रहे हैं।

मोदी मैजिक से उम्मीद

रायपुर में ओम माथुर ने कहा कि पूरी दुनिया आज मोदी सरकार के 9 साल के कार्यकाल को याद कर रही है। भारत आज हर क्षेत्र में ग्रोथ कर रहा है, अमेरिका के राष्ट्रपति कहते हैं कि रशिया और युक्रेन को मोदी ही शांत करा सकते हैं। दुनिया के देशों ने जिस तरह से स्वागत किया। मोदी को बॉस बताया इससे बड़ी खुशी की बात क्या होगी, भारत फिर से विश्व गुरु बनने की ओर है। माथुर को मोदी मैजिक से छत्तीसगढ़ में चमत्कार की उम्मीद है, बस्तर में भी मोदी इफेक्ट के जरिए आगामी चुनावों पर असर डालने का प्रयास भाजपा कर रही है।

कांग्रेस के मौजूदा विधायक सक्रिय

विधानसभा चुनाव को ध्यान में एक सर्वे में लोगों ने जवाब दिया कि बस्तर के विधायक सक्रिय हैं। इन सभी जगहों पर कांग्रेस के विधायक हैं। इस सर्वे में बस्तर संभाग के 43.7% लोगों का कहना है कि पिछले चुनाव के बाद मौजूदा विधायक सबसे अधिक सक्रिय है। बस्तर में ग्रामीण इलाके के विधायक अधिक सक्रिय हैं। बस्तर में शहरी क्षेत्रों में हारा प्रत्याशी अधिक सक्रिय है। बस्तर के 48.5% फर्स्ट टाइम वोटर मानते हैं कि माैजूदा विधायक सक्रिय हैं।

बस्तर की राजनीति में ये मुद्दे रहेंगे चर्चा में

ओम माथुर ने भाजपा नेताओं को धर्मांतरण के मुद्दे जोर-शोर से उठाने का टास्क दिया है। बस्तर के आदिवासी पुलिस कैम्प को लेकर लगातार विरोध कर रहे हैं, हालांकि इस मामले में लोग भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेताओं का दखल नहीं चाहते, मगर भाजपा इसे एंटी इंकम्बेंसी के तौर पर देख रही है। बस्तर में RSS और भाजपा से जुड़े कार्यकर्ताओं को नक्सलियों ने मारा, इसे भाजपा टारगेट किलिंग के तौर पर पेश कर रही है जनता के सामने।

भाजपा की पुरानी सरकार ने बस्तर के कई हिस्सों में रोड, स्कूल, अस्पताल बनवाए इन कामों को गिनवाने का अभियान चलेगा। दूसरी तरफ कांग्रेस लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की अधिग्रहित जमीनों को वापस देने का क्रेडिट लेती है। वन अधिकार पट्टे बंटवाने का दावा करती है। बस्तर में 300 से अधिक स्कूलों को फिर से शुरू किए जाने, 65 वनोपज की समर्थन मूल्य में खरीदी, और सबसे अहम आरक्षण के मसले पर भाजपा को घेरेगी।

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