रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के विधायक व पूर्व मंत्री ननकीराम कँवर और पुन्नूलाल मोहले (Former ministers Nankiram Kanwar and Punnulal Mohale) ने कहा है कि धान खरीदी को लेकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा लगातार फैलाए जाने वाले अपने झूठ का पर्दाफाश खुद प्रदेश सरकार ने अपनी कैबिनेट मीटिंग (Bhupesh Cabinet) में कर दिया है और यह मान लिया है कि छत्तीसगढ़ का धान केंद्र सरकार ही खरीदती है। भाजपा नेताओं ने कहा कि झूठ के पैर नहीं होते और सच को लंबे समय तक अंधेरे में ढँका नहीं जा सकता और प्रदेश सरकार ने ही इसे साबित कर दिया है।
भाजपा नेताओं ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपनी कैबिनेट मीटिंग में भूपेश केबिनेट ने माना कि भारत सरकार ही धान ख़रीदती है और केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य पर धान एवं मक्के का उपार्जन एक नवंबर से उपार्जन किया जाएगा। अपने दम पर धान खरीदी का दंभपूर्ण बयान देकर कांग्रेस और उसकी प्रदेश सरकार जिस तरह प्रदेश के किसानों को बरगलाने का काम लगातार करती आ रही थी, पर अब कांग्रेस का यह झूठ और प्रपंच बेनकाब हो गया है।
भाजपा नेताओं ने कहा कि धान खरीदी को लेकर प्रदेश की कैबिनेट के फैसले ने कांग्रेस के उस दावे को खोखला करार दिया है जिसमें कांग्रेसी दावा कर रहे हैं कि वे बिना केंद्र के सहयोग के छत्तीसगढ़ में धान खरीद सकते हैं। यदि कांग्रेस और भूपेश सरकार में इतना दम है तो केंद्र के साथ किए गए उस एम.ओ.यू. को निरस्त कर दे जिसमें यह शर्त है कि केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के उत्पदित धान मिलिंग करार के मुताबिक राज्य सरकार से खरीदेगी। भाजपा नेताओं ने दावा किया कि भूपेश सरकार में इतना दम नहीं है कि वह मोदी सरकार के सहयोग के बिना छत्तीसगढ़ में धान खरीदी कर सके। धान की कीमत की 80 से 90 प्रतिशत राशि मोदी सरकार देती है। सच्चाई यह है कि राज्य सरकार जितना धान संगृहीत करती है, उसका लगभग 85 प्रतिशत धान चावल के रूप में मोदी सरकार खरीदती है।
भाजपा नेताओं ने कहा कि भूपेश सरकार धान खरीदी में काफी घालमेल करके झूठ परोस रही है और किसानों व प्रदेश को गुमराह कर रही है। केन्द्र की मोदी सरकार छत्तीसगढ़ किसानों का पूरा का पूरा धान खरीदने के लिए तैयार है, पर भूपेश सरकार सहयोग नहीं कर रही है। पिछले खरीफ मौसम में प्रदेश सरकार को धान खरीदी के बाद 61 लाख मीट्रिक टन चावल भारतीय खाद्य निगम को जमा करना था। बाद में यह कोटा राज्य सरकार के अनुरोध पर घटाकर 58 लाख मीट्रिक टन किया गया लेकिन उसमे भी राज्य कि कांग्रेस सरकार ने केवल 53 लाख मीट्रिक टन चावल ही जमा कराया गया है। जबकि सरकार दावा कर रही है कि छत्तीसगढ़ में 107 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है।
भाजपा नेताओं ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा धान की खरीदी में घोटाला करने की साजिश दिखाई दे रही है। कांग्रेस की मानसिकता दिखाती है कि इस मामले में वह केवल सियासत करना चाहती है। भूपेश सरकार का कृषि विभाग केंद्र सरकार को आंकड़ों सहित बता रहा है कि प्रदेश में प्रति एकड़ धान का औसत उत्पादन जब 13-14 क्विंटल है तो प्रदेश की सरकार किस आधार पर 20 क्विंटल धान खरीदने का दावा कर रही है? इससे स्पष्ट होता है कि अन्य राज्यों से अवैध तौर पर प्रदेश में धान कांग्रेस सरकार के कथित सहमति से बेचा जा रहा है। यह एक तरह से धान की तस्करी जैसा मामला है। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि चावल तस्करी से पैसा खाने की योजना कांग्रेस बना चुकी है, इसे रोकने के लिए केंद्र सरकार धान खरीदी प्रक्रिया में बायोमेट्रिक पध्दति का उपयोग कर रही है। जब केंद्र सरकार द्वारा बायोमेट्रिक एंट्री की बात कही जा रहा है तो कांग्रेस की पूरी सरकार इस बात को लेकर भयभीत है।
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