रायपुर। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता देवलाल ठाकुर (BJP State Spokesperson Devlal Thakur) ने कहा है कि क्या कारण है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) से लेकर पूरी कांग्रेस भ्रष्ट और घोटालेबाज अफसरों और कारोबारियों की पैरवी कर रहे हैं। जिन्हें इनके कारनामों के साक्ष्यों को देखते हुए अपने स्तर पर कार्यवाही करना चाहिए, वे आरोपियों के वकील बने नजर आ रहे हैं।
आरोपियों के समर्थन में मुख्यमंत्री की बयानबाजी उन्हें संदिग्ध बना रही है और कांग्रेस के बयान इसकी पुष्टि कर रहे हैं कि इस संगठित अपराध गिरोह का सरगना कौन है, किसके संरक्षण में हजारों करोड़ के घोटाले हुए हैं। हैरानी की बात है कि कांग्रेस अपने घोटाला सिंडिकेट के समर्थन में प्रधानमंत्री से जवाबतलब कर रही है।
चोरी और सीनाजोरी कांग्रेस के डीएनए में है। नेशनल हेराल्ड घोटाला करते हैं, आजादी के योद्धाओं की संपत्ति का हरण करते हैं और अदालती आदेश पर जब ईडी जांच के लिए बुलाती है तो दिल्ली से लेकर रायपुर तक नौटंकी करते हैं। छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार का इतिहास रच दिया। अब पन्ने खुल रहे हैं तो ईडी की कार्रवाई पर प्रधानमंत्री से सफाई मांगने की बेशर्मी दिखा रहे हैं। जवाब तो भूपेश बघेल को देना है कि सारे भ्रष्टाचार जो उजागर हो चुके हैं, उनसे उन्हें तकलीफ क्यों है?
देवलाल ठाकुर ने कहा कि भाजपा के शासन में सभी स्वायत्त संस्थानों को अपने ढंग से काम करने की पूरी आजादी है। कांग्रेस के नेताओं को भ्रष्टाचारियों के बचाव में बेबुनियाद सवाल उठाते हुए शर्म आनी चाहिये। नहीं आ रही क्योंकि यह कांग्रेस नभ जल थल तीनों लोकों में भ्रष्टाचार का प्रतीक है।
कांग्रेस याद करे कि उसके नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के समय सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को पिंजरे का तोता कहा था। भाजपा की मोदी सरकार ने सारे पंछियों को आजाद कर दिया। अब ये तोता, मैना नहीं हैं। सक्षम जांच एजेंसियां हैं जो भ्रष्टाचारियों को उनकी सही जगह पहुंचा रही हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा पकड़े गए तमाम मामले ऐसे हैं, जिस पर कोई भी अदालत आरोपियों को ज़मानत तक देने की ज़रूरत नहीं समझती। प्रथम दृष्टया सारे मामले साफ दिख रहे हैं।
देवलाल ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी सरकार में हुए कृत्यों से बुरी तरह डरे हुए हैं। इसलिए ऐसे फिजूल सवाल अपनी टीम से उठवा रहे हैं। साफ जाहिर है कि कांग्रेस पहले तो आरोपियों से मनमाफ़िक बयान दिलवाती है और फिर उसके आधार पर राजनीतिक बयानबाजी करती है।
इसका अर्थ है कि कांग्रेस और उसकी सरकार के संरक्षण में सारे घोटाले हुए और इन तमाम घोटालों की अंतिम ज़िम्मेदार कांग्रेस और उसकी सरकार के मुखिया ही हैं। यही वजह है कि राज्य सरकार केंद्रीय एजेंसियों का सहयोग करने की बजाय उनके खिलाफ सक्रिय है।
जबकि केंद्रीय एजेंसियां संविधान के तहत राजकोष की रक्षा का काम ही कर रही हैं। लेकिन लुटेरों की सरकार को यह बर्दाश्त नहीं है कि लूट का माल बरामद हो रहा है। अब तो इसकी भी जांच होनी चाहिए कि सभी आरोपियों के एक जैसे आरोपों के पीछे किसका हाथ है। सारे आरोपी यही क्यों कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री के बेटे का नाम लेने दबाव बनाया जा रहा है। खुद मुख्यमंत्री अपने को संदिग्ध बनाते हुए आशंका व्यक्त कर रहे हैं। क्या इसी को दाढ़ी में तिनका कहते हैं?।
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