रायपुर। देश और प्रदेश इन दिनों कैशलेस ट्रांजेक्शन (cashless transaction) का चलन हैं। मगर वहीं छत्तीसगढ़ की शराब दुकानों (liquor stores) में न तो स्कैनर से आप पेमेंट कर सकते हैं। न ही शराब दुकानों में आम लोगों की सुविधा के लिए स्वाइप मशीन रखी गई है। अगर आपको इन दुकानों से शराब खरीदनी है तो कैश ही देना होगा। हैरत की बात है कि आज कल शहर के हर छोटे से छोटे गुमटियों में कैश ट्रांजेक्शन ऑनलाइन, पेटीएम, गूगल पे या फोन के जरिए आसानी से हो जाती है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर क्यों शराब की दुकानों में स्कैनर या स्वाइप मशीनें नहीं रखी जा रही है?
इस मामले को लेकर द रूरल प्रेस की टीम ने रायपुर के कई शराब दुकानों में खुफिया पड़ताल की। इस दौरान कई चौकाने वाले खुलासे हुए। बता दें रायपुर के पंडरी, कटोरातालाब, मोतीबाग, जयस्तम्भ चौक सहित कई शराब दुकानों में पहुंची।
बता दें शहर की इन शराब दुकानों में हार्ड कैश के जरिए ही शराब देने की व्यवस्था है। अगर आप पेटीएम या गूगल पे के जरिए पेमेंट करना चाहते भी है तो शराब विक्रेता इससे इंकार कर देते हैं। इतना ही नहीं अगर आप शराब खरीदी के लिए बिल चाहते हैं तो दुकानदार बिल भी देने में आनाकानी करते हैं।
पंडरी, कटोरातालाब, मोतीबाग, जयस्तम्भ चौक सहित शहर के कई दुकानों से स्वाईप मशीन भी नदारद है। अगर आप क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से भुगतान भी करना चाहें तो नहीं कर सकते। जब टीआरपी की टीम ने दुकानदार से स्वाईप मशीन भुगतान के लिए मांगी तो दुकानदार गोलमोल जवाब देता नजर आये।
शराब दुकान में ग्राहकों से प्रति बोतल 10-20 रुपये अतिरिक्त राशि वसूल की जाती है। हालांकि इस संबंध में टीआरपी पहले ही खबर प्रकाशित कर चुका है। यह वसूली आम दिनों में कम होती है मगर त्यौहारी सीजन में अतिरिक्त वसूली और बढ़ जाती है।
इस संबंध में टीआरपी ने जब आबकारी विभाग के एमडी सीएसएमपीएल एपी त्रिपाठी से जानकारी चाही तो उन्होंने साफतौर पर कहा कि उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं है। वहीं टीआरपी ने अरविंद पटले AC, आबकारी विभाग से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने कॉल रिसिव नहीं किया।
डिजिटल भुगतान से पैसा सीधे बैंक में जाता है तो व्यापारियों को मजबूरन सरकार को इनकम दिखाना होता है। इससे बचने के लिए दुकानदार डिजिटल भुगतान से बचने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा सीधे कैश लेने से कच्चे और पक्के की गुंजाइश बनी रहती है।
जहां भारत पूरे विश्व में डिजिटल कैश के मामले में नंबर वन पर है वहीं छत्तीसगढ़ की शराब दुकानों में डिजिटल भुगतान की व्यवस्था का न होना समझ से परे हैं। ऐसे सवाल उठता है कि प्रदेश की राजधानी में यह हाल है तो दूर-दराज के क्षेत्रों का क्या हाल होगा। बता दें कि राजधानी में ही केवल 2 करोड़ रुपए की शराब रोजाना बिकती है। वहीं इस वर्ष छत्तीसगढ़ में 15 हजार करोड़ रुपये की शराब बेची गई। इससे सरकार को 6800 करोड़ रुपये का टैक्स मिला है। ऐसे में प्राइम दुकानों के अलावा प्रदेश की हजारों शराब दुकानों में स्कैनर और स्वाईप मशीनों का न होना अपने आप में बड़े सवाल खड़े कर रहा है।
इनपुट (भोजेंद्र वर्मा)