नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को सीबीआई जांच के लिये लिखा पत्र
रायपुर/ छत्तीसगढ़ विधानसभा नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास(Chhattisgarh Legislative Assembly Opposition Leader Dr. Charandas) ने कहा कि, छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना(Bharatmala Project in Chhattisgarh) के अन्तर्गत रायपुर विशाखापटनम प्रस्तावित इकनोमिक कॉरिडोर के सड़क निर्माण के लिए अनुविभाग अभनपुर जिला- रायपुर अन्तर्गत निजी भूमि के अधिग्रहण से मुआवजा राशि के निर्धारण तक की प्रक्रिया में विधि विरूद्ध कार्यवाही करते हुए, लोक सेवकों तथा भूमि स्वामियों के द्वारा आपराधिक षड़यंत्रपूर्वक ऐसे भ्रष्ट आचारण किये गये हैं, जिसके कारण भारत सरकार को कम से कम रू. 43,18,27,627.00 की आर्थिक क्षति हुई है।
विवरण निम्न है..
छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र फरवरी-मार्च 2025 में मेरे द्वारा एक तारांकित प्रश्न क्रमांक 226 किया गया था। इस प्रश्न का लिखित उत्तर दिनांक 12 मार्च 2025 को माननीय राजस्व मंत्री जी के द्वारा दिया गया। इस तारांकित प्रश्न पर विधानसभा में चर्चा भी हुई। माननीय राजस्व मंत्री जी के लिखित उत्तर में यह स्वीकार किया गया है कि जांच रिपोर्ट के अनुसार फर्जी नामांतरण प्रकरण तैयार कर मुआवजा स्वीकृत किये जाने से शासन को आर्थिक क्षति होना प्रतिवेदित किया गया हैं। प्रश्न, उत्तर तथा चर्चा का विवरण संलग्न है।
जांच प्रतिवेदन के अनुसार वास्तविक मुआवजा राशि रू. 7,65,30,692.00 होता है, परंतु मुआवजा राशि का निर्धारण और भुगतान रू. 49,39,40,464.00 किया गया है। इस प्रकार रू. 43,18,27,627.00 का अधिक निर्धारण कर दिया गया। जांच प्रतिवेदन की प्रतिलिपि संलग्न है।
जांच प्रतिवेदन के निष्कर्षों के अनुसार भूमि के अर्जन की वैधानिक अधिसूचना के प्रकाशन के पश्चात् पूर्व की तिथियों में क्रय/विक्रय पंजीयन/बटांकन/नामांतरण की विधि विरूद्ध कार्यवाहियां की गई। जिसके कारण भूमि के खातों का विभाजन हुआ फलस्वरूप बहुत अधिक दर से मुआवजा निर्धारण हुआ।
छत्तीसगढ़ विधानसभा में इस पर चर्चा के दौरान दिनांक 12 मार्च 2025 को मेरे द्वारा माननीय राजस्व मंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी से यह अनुरोध किया गया कि- ”चूंकि यह प्रकरण भ्रष्टाचार का है, यह भारत सरकार की परियोजना है और इसमें कतिपय वरिष्ठ अधिकारियों की भी संलिप्तता संभावित है इसलिए इसकी जांच सी.बी.आई. को दे दी जाए अथवा विधायकों की कमेटी गठित कर जांच कराई जाए।“ परंतु मेरे अनुरोध को स्वीकार नहीं करते हुए कमिश्नर से जांच कराने की घोषणा माननीय राजस्व मंत्री जी के द्वारा की गई। 12 मार्च 2025 को ही अपरान्ह में मंत्रि परिषद की बैठक के अन्य विषय में निर्णय लिया गया कि इस प्रकरण की जांच ई.ओ.डब्ल्यू. करेगा। ई.ओ.डब्ल्यू. (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) राज्य की एक एजेंसी है इसलिए भारतमाला परियोजना के आर्थिक अपराध की जांच करने के लिए राज्य की कोई भी एजेंसी सक्षम नहीं है। यदि राज्य की एजेंसी कार्यवाही करती भी है तो उसकी कार्यवाही को सक्षम न्यायालय में सक्षमता के प्रश्न पर चुनौती दी जा सकती है, जिससे राज्य की एजेन्सी द्वारा की गई कार्यवाही अवैधानिक ठहराई जा सकती है और भ्रष्टाचारी दण्ड से बच सकते हैं।
जांच प्रतिवेदन दिनांक 11.09.2023 का है जो राज्य सरकार को बहुत पहले ही प्राप्त हो चुका है। किंतु इस पर तब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई थी, जब तक कि मेरे द्वारा विधानसभा प्रश्न के माध्यम से इसे उठाया नहीं गया था। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार की मंशा कार्यवाही करने की नहीं है। भ्रष्टाचार के इस प्रकरण में अधिक भुगतान की गई राशि रू. 43.18 करोड़ की ब्याज सहित वसूली भी की जानी है, जिसके लिए अब तक कोई भी कार्यवाही प्रारंभ नहीं की गई है। इस आपराधिक षड़यंत्र में 100 से अधिक लोक सेवक तथा भूमि स्वामी संलिप्त हैं।
यह जांच प्रतिवेदन भारतमाला परियोजना के लिए भूमि अर्जन में केवल एक अनुविभाग अभनपुर में हुए भ्रष्टाचार से संबंधित है। इस जांच में अनेक बिन्दुओं को छोड़ भी दिया गया है आपराधिक षड़यंत्र का भी उल्लेख नहीं किया गया है। अतः इस जांच प्रतिवेदन के आधार पर आरोपियों के विरूद्ध की गई कोई भी कार्यवाही न्यायालय के समक्ष स्थिर नहीं रह सकेगी।
छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के अन्तर्गत जितनी भी सड़कों का निर्माण करने के लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया है, उन सभी में इसी प्रकार से आपराधिक षड़यंत्रपूर्वक भ्रष्टाचार किया गया है अतः सभी की जांच केन्द्रीय एजेन्सी से कराए जाने की आवश्यकता है।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. महंत ने कहा है कि, यह प्रकरण सी.बी.आई. को सौंपने तथा भारतमाला परियोजना के लिए भूमि अर्जन तथा मुआवजा निर्धारण के अन्य सभी प्रकरणों की भी जांच कराये।
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