रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में 75 सीटों से पार का दावा करने वाली कांग्रेस की करारी (Congress’s decision) हार हुई। तमाम एग्जिट पोलों के ठीक उलट बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल कर सभी को चौंका दिया। इससे सकते में आई कांग्रेस में अंदरूनी फूट और बगावत उजागर होने में 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि कई कांग्रेस के बड़े नेताओं ने पार्टी के आलाकमान के टिकट वितरण पर सवाल खड़े कर दिए।
पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने तो यहां तक कह दिया कि सभी अपना-अपना चलाने में निपट गए। इतना ही पार्टी के अंदर सियासी बवाल तब मच गया जब पूर्व विधायक विनय जायसवाल ने तो कहा टिकट के लिए उनसे घूस की डिमांड किया गया था। बृहस्पत सिंह ने भी निशाना साधते हुए कहा था, कुमारी सैलजा और टीएस सिंहदेव ने कांग्रेस के हरा (TS Singhdev defeated Congress) दिया है। दोबारा सरकार बनने जा रही थी, लेकिन सर्वे के नाम पर 22 पूर्व विधायकों के टिकट काट दिए गए। यही कारण है कि कांग्रेस की हार हुई।
कुछ पदाधिकारियों ने भी आरोप लगा दिए कि यहां संगठन में टिकट दिलाने में दलाल सक्रिय थे। सर्वे के नाम पर सिर्फ झूठ बोला गया है। इसके चलते हाल ही में कुछ विधायक दिल्ली केसी वेणुगोपाल से मिलने भी गए थे।
आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी की हार के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कुमारी सैलजा, टीएस सिंहदेव सहित शीर्ष नेतृत्व पर लगातार पार्टी के नेता सवाल खड़े कर रहे हैं। पार्टी के खिलाफ बयानबाजी की वजह से कांग्रेस ने अपने दो पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह और विनय जायसवाल को बाहर का रास्ता भी दिखा दिया है। वहीं जयसिंह अग्रवाल को भी नोटिस जारी किया गया है। कार्रवाई के बाद भी पार्टी के अंदर रोष खत्म होता नहीं दिख रहा है।
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