गणतंत्र दिवस पर ‘CG’ के 3 कला विधाओं के महारथियों को ‘पद्मश्री’
By : madhukar dubey, Last Updated : January 25, 2023 | 11:38 pm
उषा बारले कापालिक शैली की पंडवानी गायिका हैं। २ मई १९६८ को भिलाई में जन्मी उषा बारले ने सात साल की उम्र से पंडवानी सीखना शुरू किया था। बाद में उन्होंने तीजन बाई से भी इस कला की मंचीय बारीकियां सीखीं। छत्तीसगढ़ के अलावा न्यूयार्क, लंदन, जापान में भी पंडवानी की प्रस्तुति दे चुकी हैं। गुरु घासीदास की जीवनगाथा को पहली बार पंडवानी शैली में पेश करने का श्रेय भी उषा बारले को जाता है।
पंडवानी गायिका उषा बारले
राज्य सरकार ने २०१६ में इन्हें गुरु घासीदास सम्मान दिया गया था। उषा बारले छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन से भी जुड़ी रहीं। १९९९ में अलग राज्य के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक प्रदर्शन के दौरान इन्हें गिरफ्तार भी किया था। उस प्रदर्शन का नेतृत्व विद्याचरण शुक्ल कर रहे थे।
बालोद के लाटाबोड़ गांव के डोमार सिंह कुंवर बचपन से ही नाटकों में भाग लेते रहे। उनके पिता भी रामलीला में मंदोदरी जैसी स्त्री पात्रों की भूमिका करते रहे थे। पड़ोसी गांव शिवदयाल नाचा के पुरोधा दाऊ मंदराजी की पार्टी में तबला बजाते थे, वे डोमार सिंह के पिता के मित्र थे। ऐसे में डोमार सिंह प्रदेश की पहली नाचा पार्टी से जुड़ गए। वे वहां महिला पात्रों को जीवंत करते थे। यह सन १९६३-६४ की बात होगी। लंबे समय तक दाऊ के साथ काम करने के बाद डोमार दूसरी पार्टी में चले गए। उसके बाद अपनी एक संस्था बनाई। अभी भी उनकी “लोक नाचा मयारू मोर’नाम की नाचा पार्टी गांवों में धूम मचा रही है। अब तक वे पांच हजार से अधिक प्रस्तुतियां दे चुके हैं।
कला से बदल रहे हैं बंदियों का जीवन
कांकेर जिले से सटे गोविंदपुर गांव के अजय कुमार मंडावी का पूरा परिवार कला और शिल्प से जुड़ा हुआ है। शिक्षक पिता आरपी मंडावी मिट्टी की मूर्तियां बनाते हैं। मां सरोज मंडावी पेंटिंग करती हैं। भाई विजय मंडावी अभिनेता हैं। उन्होंने लकड़ी पर नक्काशी करने में महारथ हासिल की। वे धार्मिक ग्रंथों, साहित्यिक रचनाओं आदि को लकड़ी पर उकेरते हैं। कांकेर के कलेक्टर रहे निर्मल खाखा की सलाह पर उन्होंने जेल में बंद पूर्व नक्सलियों को यह कला सिखाई। सैकड़ो ऐसे बंदी उनसे यह कला सीखकर अपना जीवन बदल चुके हैं। पद्म पुरस्कारों के उनके परिचय में लिखा है कि उन्होंने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में भटके हुए लोगों का अपनी कला के जरिये पुनर्वास किया है।
राज्यपाल-मुख्यमंत्री ने दी शुभकामना
राज्यपाल अनुसूईया उइके ने पद्मश्री के लिए चयनित होने पर तीनों कलाकारों को बधाई और शुभकामना दी है। राज्यपाल ने अपने संदेश में उषा बारले, अजय कुमार मंडावी और डोमार सिंह कुंवर को छत्तीसगढ़ का गौरव बताया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, इन पुरस्कारों से छत्तीसगढ़ के कला जगत सहित पूरा प्रदेश गौरवान्वित हुआ है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, यूपीए सरकार में विदेश मंत्री रह चुके एसएम कृष्णा और तबला वादक जाकिर हुसैन सहित छह लोगों को देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण के लिए चुना गया है। 6 हस्तियों को पद्म विभूषण, 9 को पद्म भूषण और 91 को पद्म श्री सम्मान देने का ऐलान किया गया है.गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जारी एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई है। मुलायम सिंह यादव के साथ ही डॉक्टर दिलीप महालनाबिस और मशहूर वास्तुकार बालकृष्ण दोशी को मरणोपरांत पद्म विभूषण सम्मान के लिए चुना गया है। इस साल, देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के लिए किसी नाम की घोषणा नहीं की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद्म पुरस्कार पाने वालों को ट्वीट कर बधाई दी। उन्होंने कहा, ‘भारत के लिए उनके समृद्ध और विविध योगदान और विकास पथ को बढ़ाने के उनके प्रयासों को देश स्वीकार करता हैं।
अमेरिका स्थित गणितज्ञ श्रीनिवास वर्धन को भी पद्म विभूषण सम्मान के लिए चुना गया है। बयान के अनुसार प्रसिद्ध उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, उपन्यासकार एस एल भैरप्पा और लेखिका सुधा मूर्ति सहित नौ लोगों को पद्म भूषण के लिए चुना गया है। राकेश झुनझुनवाला (मरणोपरांत), अभिनेत्री रवीना टंडन, मणिपुर भाजपा अध्यक्ष टी चौबा सिंह सहित 91 लोगों को पद्म श्री सम्मान के लिए चुना गया है। पद्म पुरस्कारों के लिए घोषित नामों में महाराष्ट्र से 12, कर्नाटक और गुजरात से आठ-आठ व्यक्ति शामिल हैं।
राष्ट्रपति द्वारा ये सम्मान औपचारिक समारोहों में प्रदान किए जाते हैं। जिनका आयोजन आमतौर पर हर साल मार्च या अप्रैल में राष्ट्रपति भवन में किया जाता है. राष्ट्रपति ने 2023 के लिए 106 पद्म पुरस्कारों के लिए मंजूरी दी है. पुरस्कार पाने वालों में 19 महिलाएं हैं। सात लोगों को मरणोपरांत इस सम्मान के लिए चुना गया है.पद्म सम्मान देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक हैं और यह तीन श्रेणियों- पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री में प्रदान किए जाते हैं।