छत्तीसगढ़ में 17 लाख की इनामी नक्सली कमला सोड़ी ने किया सरेंडर, हिंसा छोड़ समाज की मुख्यधारा में लौटी
By : dineshakula, Last Updated : November 6, 2025 | 1:44 pm
खैरागढ़: छत्तीसगढ़ में नक्सल उन्मूलन की दिशा में पुलिस को एक और बड़ी सफलता मिली है। 17 लाख रुपये की इनामी महिला नक्सली (female naxal) कमला सोड़ी ने गुरुवार को खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। कमला ने वर्षों तक नक्सली संगठन में सक्रिय रहकर कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया था, लेकिन अब उसने हिंसा का रास्ता छोड़ समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है।
आत्मसमर्पण कार्यक्रम पुलिस अधीक्षक कार्यालय, खैरागढ़ में आयोजित किया गया, जहां राजनांदगांव रेंज के आईजी अभिषेक शांडिल्य, एसपी लक्ष्य शर्मा और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। कमला सोड़ी उर्फ ऊंगी उर्फ तरुणा (30) पर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ पुलिस की ओर से संयुक्त रूप से ₹17 लाख का इनाम घोषित था।
2011 से नक्सल संगठन में सक्रिय
कमला सोड़ी वर्ष 2011 से प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) संगठन से जुड़ी हुई थी। वह एमएमसी (मध्य प्रदेश–महाराष्ट्र–छत्तीसगढ़) जोन प्रभारी रामदर की टीम में एक प्रमुख सदस्य के रूप में काम करती थी। पुलिस के अनुसार, वह कई नक्सली वारदातों की योजना में शामिल रही और संगठन के मिलिट्री विंग में हार्डकोर सदस्य के रूप में सक्रिय थी। लगातार बढ़ते पुलिस दबाव और सुरक्षा बलों की सघन कार्रवाई के चलते उसने आत्मसमर्पण का फैसला किया।
शासन की आत्मसमर्पण नीति से हुई प्रभावित
कमला ने कहा कि वह छत्तीसगढ़ शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति–2025 से प्रभावित होकर समाज में लौट रही है। पुलिस ने उसे ₹50,000 की तत्काल प्रोत्साहन राशि दी है और शासन की नीति के तहत पुनर्वास की सभी सुविधाएं देने का आश्वासन दिया गया है।
नक्सलवाद पर लग रही लगाम
आईजी अभिषेक शांडिल्य ने बताया कि कमला सोड़ी मूल रूप से सुकमा जिले के कोंटा क्षेत्र की निवासी है। उन्होंने कहा कि “राज्य सरकार की संवाद और विकास केंद्रित नीति के कारण अब नक्सली भी हिंसा छोड़कर नई शुरुआत की ओर बढ़ रहे हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि विकास कार्यों और जनभागीदारी के प्रयासों से नक्सलवाद तेजी से कमजोर हो रहा है।
संवाद से बदलाव की ओर कदम
कमला सोड़ी का आत्मसमर्पण न केवल पुलिस और शासन की नीति की सफलता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि संवाद, विश्वास और विकास ही नक्सलवाद के अंत का रास्ता हैं। अधिकारियों का मानना है कि आने वाले दिनों में ऐसे और नक्सली भी समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित होंगे।




