नवा रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा (Chhattisgarh Assembly) का शीतकालीन सत्र रविवार से नवा रायपुर स्थित नए विधानसभा भवन में शुरू हो गया। यह नए विधानसभा परिसर में आयोजित होने वाला पहला सत्र है, जो 17 दिसंबर तक चार दिन चलेगा। सत्र के पहले दिन कांग्रेस विधायकों ने बहिष्कार किया, जिसके चलते प्रश्नकाल नहीं हो सका। कांग्रेस के बहिष्कार पर वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि कांग्रेस डूबती हुई नाव है और इसका डूबना तय है, इसलिए सत्ता पक्ष और भारतीय जनता पार्टी पूरी जिम्मेदारी के साथ सदन की कार्यवाही आगे बढ़ा रही है।
पहले दिन सदन में ‘विजन-2047’ पर चर्चा हुई। वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि विजन-2047 विकसित छत्तीसगढ़ की दिशा में एक ठोस और स्पष्ट रोडमैप है, जिसे समाज के हर वर्ग से मिले सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि इस विजन डॉक्यूमेंट को बनाने में करीब एक लाख लोगों के सुझाव शामिल किए गए हैं।
ओपी चौधरी ने कहा कि भारत युवा आबादी वाला देश है और आगे बढ़ने के लिए स्पष्ट विजन होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आज भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और वर्ष 2047 तक यह 64 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है। इससे वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को विकास के बड़े अवसर मिलेंगे। इसी सोच के तहत छत्तीसगढ़ के लिए भी विकास का विजन तैयार किया गया है। विजन-2047 का उद्देश्य महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी को कम करना, शिशु मृत्यु दर में सुधार लाना और कृषि, उद्योग तथा सेवा क्षेत्र की विकास दर को बढ़ाना है।
वहीं पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने विजन डॉक्यूमेंट पर सवाल उठाते हुए कहा कि विधानसभा में आज नई प्रक्रिया की शुरुआत हुई है, लेकिन यह स्पष्ट होना चाहिए कि बहस और चर्चा किन मुद्दों पर होगी और सवाल-जवाब का स्वरूप क्या होगा। उन्होंने विजन डॉक्यूमेंट के लिए मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री को बधाई दी, लेकिन साथ ही कहा कि 2047 के विजन की नींव क्या है और अब तक समग्र परिवर्तन में क्या गलतियां हुईं, यह भी सामने आना चाहिए।
अजय चंद्राकर ने कहा कि ‘नवा अंजोर’ दस्तावेज में केवल शिक्षा और स्वास्थ्य पर ही फोकस दिखाई देता है। उन्होंने आरोप लगाया कि उद्योग नीति में छत्तीसगढ़ की झलक नहीं दिखती और ‘मेक इन छत्तीसगढ़’ की सोच को नजरअंदाज किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश की राइस मिलों की हालत खराब है और इस विषय पर खाद्य मंत्री चाहें तो स्वतंत्र बहस करा सकते हैं।
सत्र शुरू होने से पहले कार्यमंत्रणा समिति की बैठक विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में हुई। बैठक में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप और समिति के अन्य सदस्य मौजूद रहे। पहले दिन सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक चली।
कांग्रेस के बहिष्कार के चलते पहले दिन सदन अपेक्षाकृत शांत रहा, लेकिन दूसरे दिन यानी 15 दिसंबर से 17 दिसंबर तक कानून-व्यवस्था, धान खरीदी, बिजली, जमीन दर जैसे मुद्दों पर हंगामे के आसार हैं। शीतकालीन सत्र के लिए विधायकों ने कुल 628 सवाल लगाए हैं, जिनके जवाब मंत्रियों को देने होंगे। इस सत्र का सबसे अहम मुद्दा धर्मांतरण माना जा रहा है। जानकारी के अनुसार सरकार धर्मांतरण संशोधन विधेयक भी सदन में ला सकती है।