Chhattisgarh : बृजमोहन की बड़ी जीत! 11 में 10 भाजपा ने जीती …….कोरबा से सरोज पांडेय हारीं
By : hashtagu, Last Updated : June 5, 2024 | 12:03 am
- पिछले चुनाव में सुनील सोनी के जीत का रिकॉर्ड बृजमोहन अग्रवाल ने तोड़ दिया है। 2019 में सुनील सोनी ने 3 लाख 48 हजार 238 वोटों से प्रमोद दुबे को हराया था। इस बार तीसरे नंबर पर बहुजन समाज पार्टी की प्रत्याशी ममता रानी रहीं। वहीं नोटा को करीब 4458 वोट पड़े।
विजय बघेल ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा
लोकसभा चुनाव में दुर्ग से बीजेपी प्रत्याशी विजय बघेल ने भी बड़ी लीड दर्ज की है। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र साहू 4 लाख 38 226 वोटों से हरा दिया। विजय बघेल दूसरी बार बीजेपी से सांसद बने हैं। 2019 में जब उन्होंने चुनाव लड़ा था, तो उन्हें 8 लाख 49 हजार 374 वोट मिले थे। उस समय की कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिमा चंद्राकर को उन्होंने 3 लाख 91 हजार 978 वोटों से हराया था।
भूपेश बघेल राजनांदगांव सीट से चुनाव हारे
राजनांदगांव लोकसभा सीट में बीजेपी प्रत्याशी संतोष पांडेय को टक्कर देने वाले कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल 44 हजार 411 वोटों से पीछे चल रहे हैं। रात साढ़े नौ बजे तक संतोष पांडेय को 712057 वोट और कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल को 667169 वोट मिले थे। परिणाम विपरीत आने के बाद अब संगठन में भूपेश का कद घटेगा या बढ़ेगा, ये कहना फिलहाल मुश्किल है।
सरोज पांडेय की हार, कद पर क्या पड़ेगा असर
सरोज पांडेय को बीजेपी ने कोरबा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था। प्रत्याशी बनते ही सरोज पांडेय ने अपनी सांसद निधि से कोरबा जिले में काम कराने की घोषणा की। लेकिन कोरबा के मतदाताओं ने सरोज पांडेय की जगह मौजूदा सांसद ज्योत्सना महंत पर ही भरोसा जताया। हार के बाद सरोज पांडेय का कद बढ़ेगा या घटेगा, ये आने वाला समय बताएगा, लेकिन उनकी हार से कांग्रेस के साथ बीजेपी के भी कई नेता खुश बताए जाते हैं।
चिंतामणि महाराज ने मारी बाजी
छत्तीसगढ़ के मतदाता दल बदलू नेताओं को पसंद नहीं करते, लेकिन कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए और सरगुजा से प्रत्याशी बने चिंतामणि महाराज को मतदाताओं ने पसंद किया है। चिंतामणि महाराज ने कांग्रेस प्रत्याशी शशि सिंह से 64822 वोटों की मार्जिन से जीत हासिल की है। चिंतामणि महाराज को 713200 वोट और शशि सिंह को 648378 वोट मिले हैं।
ज्योत्सना महंत दूसरी बार जीतीं, अब बढ़ेगा कद
कोरबा लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत ने बीजेपी की सरोज पांडेय से रात साढ़े नौ बजे तक 43283 वोटों से आगे चल रही हैं। ज्योत्सना को 570182 वोट मिले जबकि सरोज पांडेय को अब तक 526899 वोट मिले हैं। ज्योत्सना दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीतने की ओर हैं। वे पार्टी में सबसे ज्यादा शिक्षित हैं। दूसरी जीत के बाद पार्टी में ज्योत्सना का कद बढ़ना तय माना जा रहा है।
भोजराज नाग जीते
कांकेर लोकसभा सीट से दूसरी बार अपनी किस्मत आजमा रहे कांग्रेस प्रत्याशी बिरेश ठाकुर फिर हार गए। वे अपने प्रतिद्वंदी बीजेपी प्रत्याशी भोजराज नाग से 1884 वोटों से पराजित हुए हैं। भोजराज नाग को 5 लाख 97 हजार 624 वोट और बिरेश ठाकुर को 5 लाख 95 हजार 740 वोट मिले हैं।
बिरेश ने 1800 डाक मतपत्र रिजेक्ट करने का आरोप लगाया और रिकाउंटिंग की मांग की। हालांकि बाद में भोजराज साहू को विजयी घोषित किया गया। 2019 में भी बिरेश ठाकुर कांकेर से कांग्रेस प्रत्याशी थे। इस चुनाव में वे 6914 वोटों से अपने प्रतिद्वंदी मोहन मंडावी से चुनाव हारे थे। दिलचस्प बात ये है कि कांकेर लोकसभा सीट पर नोटा को 18669 वोट मिले, जबकि बिरेश की हार का मार्जिन 1884 था, जो नोटा के कुल वोट से लगभग 10 गुना कम रहा।
कमलेश जांगड़े ठीक 60 हजार वोटों से जीतीं
जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी कमलेश जांगड़े ठीक 60 हजार वोटों से जीती हैं। उन्हें कुल 6 लाख 78 हजार 199 वोट मिलें हैं। उन्होंने पूर्व मंत्री और कांग्रेस प्रत्याशी डॉ शिव डहरिया को हराया है। डहरिया को 6 लाख 18 हजार 199 वोट मिले। दिलचस्प बात ये भी है कि दोनों को कुल वोटों का आखिरी नंबर 199 है।
दूसरे संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले नेताओं की हार
लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा हारने वाले नेता दुर्ग जिले से रहे। चारों नेताओं ने दुर्ग से बाहर यानी दूसरे संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा। पूर्व सीएम भूपेश बघेल को कांग्रेस ने राजनांदगांव संसदीय सीट से लड़ाया जहां उन्हें हार मिली। पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने महासमुंद से किस्मत आजमाई लेकिन जीत नहीं सके।
इसी तरह भिलाई नगर से दूसरी बार विधायक बने देवेंद्र यादव को कांग्रेस ने बिलासपुर से प्रत्याशी बनाया था। लेकिन बाहरी उम्मीदवार के टैग के साथ उन्हें वोटर्स का साथ नहीं मिला और वे हार गए। बीजेपी ने दुर्ग की पूर्व सांसद और पार्टी की बड़ी नेता सरोज पांडेय को कोरबा से लड़ाया, लेकिन बाहरी होने के शोर के बीच वे भी चुनाव नहीं जीत पाईं।
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