Chhattisgarh : पूर्व कांग्रेसी विधायक मिंज का पाकिस्तानी प्रेम? कहा-भारत की हार सुनिश्चित, सोशल मीडिया पर सियासी बवाल
By : hashtagu, Last Updated : April 27, 2025 | 9:23 pm

रायपुर। छत्तीसगढ़ की सियासत में वाकयुद्ध शुरू हो गया है। सोशल मीडिया में पूर्व कांग्रेसी विधायक यूडी मिंज (Former Congress MLA UD Minj) ने लिख दिया कि युद्ध हुआ तो भारत की हार सुनिश्चित है। फिर क्या था, जिसे लेकर सियासत शुरू हो गई है। जहां पूरा भारत पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले (Terrorist attack in Pahalgam) को लेकर एकजुट है और इस हमले के गुनाहगारों और उनके आकाओं को सबक सीखाने के लिए देश की जनता मांग कर रही है। वैसे में पूर्व विधायक के बयान ने लोगों को आक्रोशित करने का काम किया है।
जिसमें उन्होंने कहा कि यदि भारत युद्ध करता है, तो भारत की हार सुनिश्चित है। यूडी मिंज का यह विवादित पोस्ट तूल पकड़ लिया है, जिसपर लोग पलटवार कर रहे हैं।
भाजपा प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने पलटवार किया
कांग्रेस नेता यूडी मिंज के इस बयान पर भाजपा प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने पलटवार किया है. श्रीवास ने कहा कि ये ग़द्दारी और कायर जैसा वक्तव्य है जो इनके पार्टी के डीएनए में है! बेहद शर्मनाक है।
यूडी मिंज का पोस्ट
यूडी मिंज ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, जो आज पाकिस्तान के विरुद्ध निर्णायक युद्ध की बात कर रहे हैं, वे जान लें कि इस बार पाकिस्तान के साथ-साथ भारत को चीन से भी लडऩा होगा और ऐसी स्थिति में भारत की हार सुनिश्चित है। पीओके के महत्वपूर्ण हिस्से में चीन ने अंधाधुंध निवेश किया है। पुराने सिल्क रोड को खोल दिया गया है। यही हाल बलूचिस्तान का भी है. ग्वादर पोर्ट को चीन ने डेवलप किया है और उसकी सेना सुरक्षा कर्मियों के नाम पर वहां पर तैनात है. बलूच विद्रोहियों की औकात नहीं है कि वे चीनी सैनिकों का मुक़ाबला कर सके।
यही दोनों जगह हैं जहां से पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी ऑपरेट करते हैं. एटबबाबाद भी इन्हीं जगहों में है, जहां से लश्कर ए तैयबा का नेटवर्क काम करता है. अब अगर भारत इन स्थानों पर सीधे हमला करे तो चीन स्वत: इस युद्ध में पाकिस्तान के साथ खड़ा हो जाएगा. नतीजा सोच लीजिए. इसलिए पुलवामा पार्ट 2 के बाद बालाकोट कौवा मार स्ट्राइक पार्ट 2 के लिए तैयार रहिए. जहां तक बात इकोनॉमी की है तो भारत अगर पूरी तरह से युद्ध में जाता है तो देश की अस्सी करोड़ आबादी को राशन देने के पैसे छ: महीने में ही ख़त्म हो जाएंगे। मुद्रास्फीति दर वैसे ही डबल डिजिट में है, कहाँ तक जाएगी ये पता नहीं है।
डॉलर के अलावे भी अन्य वैश्विक मुद्राओं के मुक़ाबले रुपया 2.5त्न कमजोर हुआ है. अमरीकी टैरिफ़ के चलते निर्यात न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है. देश में बेरोजग़ारी पिछले पैंतालिस साल में सबसे ज़्यादा है. महंगाई बेलगाम हो गई है. ऐसी स्थिति में कोई भी युद्ध आत्मघाती होगा और दोनों देशों की मेहनतकश जनता पर असहनीय बोझ पड़ेगा. यह समय भारत, पाकिस्तान और चीन के लीडरशिप को साथ बैठ कर आतंकवाद की समस्या का निदान ढूंढने का है, किसी भी प्रकार का जाने का नहीं. वैसे जो भारतीय युद्ध के समर्थन में हैं, उन सबको अग्नीवीर बना कर बॉर्डर पर भेज देना चाहिए।