रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने तलाक के एक केस की सुनवाई के दौरान कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि पत्नी का किसी गैर मर्द से रिश्ता (Wife’s relationship with another man) होना पति के लिए मानसिक क्रूरता से कम नहीं है। विवाह में मानवीय भावनाएं शामिल होती हैं। यह सूख जाएं तो उसके जीवन में वापस आने की संभावना नहीं होती। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकृष्ण अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने पति की तलाक की अपील को मंजूर कर लिया है।
पति ने शोर मचाकर परिवार के बाकी लोगों को भी बुला लिया। इसके बाद पकड़े गए व्यक्ति को पुलिस के हवाले कर दिया गया। लेकिन, पुलिस ने मामले में कार्रवाई करने की बजाय उल्टा उसे ही भविष्य में शांति से रहने की समझाइश देकर समझौता करा दिया।
पत्नी की हरकतों से परेशान होकर याचिकाकर्ता ने फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए परिवाद पेश किया। इसमें बताया गया कि 2017 में उसकी पत्नी बच्चों को लेकर अपने पुरुष मित्र के साथ रहने चली गई। पति उसे लेने भी गया था, लेकिन उसने आने से इनकार कर दिया। परिवाद की सुनवाई के दौरान पत्नी ने तलाक पर आपत्ति जताई। लिहाजा, फैमिली कोर्ट ने पति के आवेदन को खारिज कर दिया।
पत्नी ने अपने प्रेमी से संबंध होने की बात भी स्वीकार की है। दोनों पति-पत्नी साल 2017 से अलग-अलग रह रहे हैं। शादी टूट चुकी है, इसे किसी भी हालात में पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता है।
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गौतम भादुड़ी Qj जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि पत्नी ने चरित्रहीनती की है, जो पति के साथ क्रूरता के समान है। वैवाहिक बंधन में गंभीरता की जरूरत होती है।
डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि विवाह तलाक का आधार नहीं है। लेकिन, पत्नी का ये कृत्य पति के लिए मानसिक क्रूरता है। इसलिए वह तलाक की डिक्री पाने का हकदार है। हाईकोर्ट ने पति की अपील को स्वीकार करते हुए तलाक का आदेश जारी कर दिया।
यह भी पढ़ें : Raipur : उधारी के महज ‘200’ रुपए वसूलने के लिए मार डाला!
यह भी पढ़ें :दिल्ली में एनडीए की बैठक से पहले जदयू की बैठक में क्या हुआ, सांसदों ने बताया