Chhattisgarh : चुनावी जंग में ‘मुद्दे’ बने हथियार! ‘कमल-पंजे’ की सीधी भिड़ंत…

By : hashtagu, Last Updated : April 2, 2024 | 4:49 pm

छत्तीसगढ़। लोकसभा चुनाव (Chhattisgarh Lok Sabha Elections) में इस बार खास तौर पर छत्तीसगढ़ की सियासत में बीजेपी-कांग्रेस (BJP-Congress) के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। जहां एक तरफ बीजेपी को हर हाल में 11 की 11 लोकसभा सीटों पर फतह हासिल करना है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं का राजनीतिक कैरियर दांव लगा है। वैसे बीजेपी की राहें कांग्रेस की अपेक्षा आसान भी है। क्योंकि बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 46 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग के साथ 54 सीटें मिली। जबकि कांग्रेस 75 पार दंभ भरने के विपरित मात्र 35 सीट पर सिमट गई और प्रदेश की सत्ता से बाहर हो गई।

  • इसकी वजह साफ थी, पार्टी के संगठन में गुटबाजी रही तो दूसरी ओर भूपेश सरकार के दौरान हुए कई बड़े घोटले। भूपेश सरकार की योजनाएं या तो जमीन पर मूर्त रूप नहीं ले सकीं। कुछ योजनाओं को धरातल पर उतारने की कोशिश पूर्ववर्ती भूपेश सरकार ने की लेकिन भ्रष्टाचारों के आरोपों से घिर गईं। कहा जाए तो कम आैर उसकी ब्रांडिंग बड़े पैमाने पर की गई थी। कांग्रेस की सोच थी, भूपेश के चेहरे पर ही विधानसभा चुनाव जीता जा सके। लेकिन जिस योजना को भूपेश सरकार ने नरवा गुरूवा बाड़ी के नाम से ब्रांडिंग करने में जुटी हुई थी, उसमें खोट खोजने में भाजपा कामयाब हो गई। देखते ही देखते भाजपा ने गौठानों के निरीक्षण करने का अभियान छेड़ दिया है। जहां मौके पर ही गौठानों के हालातों के विडियो और फोटो का एक कैंपेन शुरू हुआ है। जिसे सोशल मीडिया पर जमकर प्रचारित किया गया है। इसमें मिली सफलता से तो भाजपा में जैसे नई जान फूंक दी।

उस वक्त अरुण साव बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे, जिन्होंने पार्टी को एक नया तेवर देते हुए कांग्रेस को कई मुद्दों पर घेरने लगे। इन सबके बीच डिप्टी सीएम विजय शर्मा भी उस वक्त भाजपा के पदाधिकारी के तौर पर काफी सक्रिय थे, उन्होंने 18 लाख गरीबाें के आवास नहीं मिलने के मुद्दे को एक आंदाेलन का रूप दे दिया है। इसकी वजह थी, भूपेश सरकार ने पीएम आवास को रुकवा दिया था, जिसका दर्द कांग्रेस सरकार के मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत विभाग मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया था। यही वह कड़ी थी, जहां से कांग्रेस के खिलाफ जनता में एक इंटीकैंबेंसी का माहौल बना।

बीजेपी के इन मुद्दों के बीच दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में लगातार ईडी भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी थी। जिसमें मिल रहे पक्के सबूत के तथ्य भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे। इसके बाद भूपेश के करीबी अफसरों और कारोबारियों को जेल जाना पड़ा। इसमें सबसे बड़े घोटाले के रूप में सामने आया, काेयला घोटाला, शराब घोटाला फिर इसके बाद महादेव सट्टा एप घोटाला इसमें भूपेश का नाम भी उछला। वैसे बड़े साफगोई के साथ भूपेश ही नहीं कांग्रेस के पदाधिकारी ईडी की कार्रवाई को राजनीतिक द्वेष करार देते रहे लेकिन जनता में उनके प्रति कोई सहानुभूति नहीं पनप सकी। इसके अलावा वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने चावल घोटाले को लेकर कांग्रेस सरकार को घेर लिया। फिर क्या इसके बाद डीएमएफ फंड घोटाले की बात सामने आ गई।

  • इसके बाद कांग्रेस अपनी विपक्षी पार्टी भाजपा के अारोपों का जबाव दे ही रही थी कि विधानसभा का चुनाव नजदीक आते ही पार्टी में टिकट दावेदारों की सियासी लड़ाई और बयानबाजियां शुरू हो गई। जिसे कांग्रेस रोक पाने में नाकाम रही। इधर, बीजेपी ने अपने जन घोषणा पत्र में मोदी की गारंटी लांच कर दी। जिससे बीजेपी सत्ता पर काबिज हो गई। लेकिन लोकसभा चुनाव में भी विधानसभा चुनाव जैसा ही कमोवेश बीजेपी मजबूत नजर आ रही है।

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, इसके पीछे कारण है कि बीजेपी कांग्रेस के खिलाफ जिन मुद्दों को लेकर सत्ता में आई है, लगभग उन्हीं मुद्दों को चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। इसके साथ ही विष्णुदेव साय की सरकार ने 3 महीने में ही मोदी की गारंटी के सभी वादों को धड़ाधड़ पूरा किया है। इसको लेकर बीजेपी के कार्यकर्ता जनता के बीच जा रहे हैं। इसके साथ ही कांग्रेस के राहुल गांधी के हिंदू धर्म में शक्ति के खिलाफ लड़ने वाला बयान। फिर इंडी गठबंधन द्वारा राम मंदिर निर्माण कार्यक्रम का विरोध करना भी बीजेपी को कहीं न कहीं लाभ देता दिख रहा है। बीजेपी पीएम मोदी की गारंटी के साथ-साथ कश्मीर में 370 धारा खत्म करने और राम मंदिर निर्माण सहित कई बड़े निर्णय हैं, जिन्हें लेकर बीजेपी प्रचार करने में जुटी है।

  • इधर कांग्रेस की हालत कोई खास अच्छी नहीं है। क्योंकि कांग्रेस में बड़े-बड़े दिग्गज और कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हो गए हैं। इतना ही नहीं उनके शामिल होने का सिलसिला आज भी रही है। हाल में भूपेश बघेल के राजनांदगांव चुनावी कार्यक्रम में कांग्रेसी नेता सुरेंद्र दाऊ वैष्णव ने जो कुछ कहा, उससे कार्यकर्ताओं के मन में कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार के बारे में बनी धारणा को उजागर करता है। साथ ही कांग्रेस नेता अरुण सिसोदिया ने पार्टी फंड में गबन का आरोप लगा दिया। चल रहे इन घटनाक्रमों से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता कांग्रेस के संगठन में विरोध के सुर सुनाई दे रहे हैं। कांग्रेस के सिर्फ मुद्दा यही है कि ईडी के जरिए परेशान किया जा रहा है। जिसका जनता में कोई खास असर होता नहीं दिखता।

बता दें, पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस की सरकार के बावजूद छत्तीसगढ़ में मोदी की प्रचंड लहर चली थी। भाजपा ने 11 लोकसभा सीटों पर 9 सीटों पर जीत हासिल की थी। वैसे इस बार राज्य में बीजेपी की सरकार है तो ऐसे में दावा है कि 11 की 11 लोकसभा की सीटों पर बीजेपी जीत हासिल करेंगे। लेकिन ये तो 4 जून को ही पता चलेगा, क्या होता है।

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