Chhattisgarh-सियासी दर्पण : पंजा ‘क्यों’ हुआ पस्त ?.. खोजबीन शुरू !..फील गुड में ‘कमल’

हार के कारण तलाशेगी कांग्रेस! सचिन पायलट की निगहबानी में

रायपुर। सियासी हलकों में चर्चा है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस (Chhattisgarh Congress) अपनी चुनावी विफलताओं को लेकर समीक्षा (Review necklace) करने जा रही है। वैसे शीर्ष नेतृत्व ने पहले ही इसके लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजे सामने निकलकर नहीं आ सके हैं। क्योंकि सबसे बड़ी दिक्कत है कि कांग्रेस की हार के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए। क्योंकि सभी बड़े नेता सक्रिय थे, लेकिन आपसी गुटबंदी और टिकट दावेदारों की दगाबाजी ने कांग्रेस की लुटिया डुबाई। विधानसभा चुनाव में 70 पार के नारे के बाद कांग्रेस ऐसे नीचे फिसली की हाथ से सत्ता भी निकल गई।

  • इसके बाद दमखम और जातीय स्मीकरण के दम पर छत्तीसगढ़ से कुछ सीटे हथियाने के चक्कर में बड़े नेताओं को चुनाव लड़ने के बाद भी कांग्रेस ऐसे घनचक्कर में फंसी, कि महज एक ही सीट से संतोष करना पड़ा। इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इस पर अभी कांग्रेस के शीर्ष संगठन में समीक्षा बाकी है। लेकिन गाहे-बगाहे कांग्रेस पार्टी से टा-टा-बाय-बॉय कहने वाले नेता भूपेश को ही जिम्मेदार बता रहे हैं।

एक गुमनाम पत्र भी विगत दिनों वायरल हुआ था, जिसमें ‘भूपेश एंड कंपनी’ की कारस्तानियों को जिम्मेदार ठहराया गया था। लेकिन पूर्व सीएम भूपेश बघेल और कांग्रेस ने इसे साजिश करार दिया था। वैसे भी अब कांग्रेस के पास के खोने के लिए कुछ बचा नहीं है। बल्कि पाने के लिए बहुत कुछ संभावनाएं हैं, बशर्ते निष्पक्ष और पूरे मनोयोग के साथ पार्टी के संगठन को मजबूत बनाने की जरूरत है।

खैर छोडि़ए, इन पुरानी बातों को !, अब तो नगरीय निकायों के चुनाव कुछ महीनों में होने वाले हैं। इसमें कांग्रेस अपने प्रदर्शन में सुधार करने पर जोर देगी, वैसे भी 2018 में सत्ता पाने के बाद कांग्रेस ने इसमें रिकार्ड सफलता हासिल कर लिया था। अब देखने वाली बात होगी कि क्या आज के बदले हालात में क्या भाजपा को टक्कर देकर अपनी जीती हुई सीटों को बचा पाती है। लेकिन कमोवेश यह देखा गया है कि लोकल मुद्दों को तरजीह मिलने की आस में अधिकांश स्थानीय नेता प्रदेश की सत्ता का साथ ही देते रहे हैं।

  • बात की जाए तो कांग्रेस के 35 विधायक जीते हैं, उनके सामने चुनौती होगी कि अपने-अपने क्षेत्र में आने वाली नगरीय निकाय के चुनाव में कांग्रेस को अच्छी खासी सफलता दिला सके। इसके लिए कांग्रेस को निष्पक्ष भाव ने संगठन में बदलाव करने की जरूरत है। भूले-भटके अपने नेताओं को मनाने और उन्हें जोड़ने के लिए ही पहले अभियान चलाना होगा।

सूत्रों के मुताबिक खबर मिल रही है कि प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में 9-10 जुलाई को पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक होगी। संगठन स्तर पर रणनीति, नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चा होगी। साथ ही विधानसभा-लोकसभा चुनाव में हार के बाद दिग्गजों पर हार की जिम्मेदारी तय होगी। राजीव भवन में कांग्रेस प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में दोपहर लगभग 12 बजे से प्रदेश के सीनियर नेताओं की बैठक शुरू होगी। पहले दिन होने वाली इस बैठक में प्रदेश की गतिविधियों का मंथन होगा।

  • 9 जुलाई को होने वाली बैठक में प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत, धनेंद्र साहू समेत तमाम बड़े नेता इस बैठक में शामिल हो सकते हैं।

इधर,भाजपा की राहें आसान! बस जोर लगाने की रणनीति

अगर आगामी पंचायत और नगरीय निकायों के चुनावी रणनीति की बात करें तो भाजपा भी इस गंभीरता से अमल कर रही है। क्योंकि इन नगरीय निकायों के अलावा रायपुर दक्षिण की खाली हुई विधानसभा की सीट है। जिस पर जीत हासिल करने की चुनौती रहेगी। इसके अलावा नगरीय निकायों की ज्यादा से ज्यादा जीत हासिल करने का लक्ष्य रहेगा। क्याेंकि कांग्रेस ने 2018 में सत्ता में आने के बाद नगरीय निकायों के चुनाव में अच्छी खासी सफलता हासिल की थी। जिसे खत्म करने की चुनौती भाजपा के सामने है। वैसे अगर देखा जाए तो कांग्रेस में गुटबाजी और उसके बिखर रहे संगठन का फायदा भाजपा उठाने से नहीं चूकेगी। भाजपा नगरीय निकायों के चुनाव में कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार में हुए भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर जबरदस्त सियासी हमला बोलने के लिए तैयार है।…..

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