रायपुर। पूरे देश में सबसे अधिक छत्तीसगढ़ विधानसभा में महिलाओं को प्रतिनिधित्व है। इसमें खास बात है कि यहां कांग्रेस की भूपेश के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद 5 विधानसभा के उपचुनाव हुए। जिसमें 3 महिला प्रत्याशी को टिकट दिया। ये सभी अपने-अपने विधानसभा चुनाव में विजयी हुईंं। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटों पर 16 महिला विधायक हैं।
बता दें, वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ की 90 सीट में से 13 सीटें महिलाओं ने जीत हासिल की थी। इनमें विधानसभा में अंबिका सिंहदेव (बैकुंठपुर), उत्तरी गणपत जांगड़े (सारंगढ़), रेणु जोगी(कोटा), डा. रश्मि सिंह (तखतपुर), इंदू बंजारे (पामगढ़), शकुंतला साहू (कसडोल), अनिता शर्मा (धरसींवा), डा लक्ष्मी धु्रव (सिहावा), रंजना साहू (धमतरी), संगीता सिन्हा (संजारी बालोद), अनिला भेड़िया(डौंडीलोहारा), ममता चंद्राकर (पंडरिया) और छन्नी साहू (खुज्जी) चुनकर पहुंची थीं। अभी तीन उपचुनाव के बाद दंतेवाड़ा में देवती कर्मा, खैरागढ़ में यशोदा वर्मा और भानुप्रतापपुर उपचुनाव में सावित्री मंडावी समेत महिला विधायकों संख्या 16 हो चुकी है।
गौरतलब है कि एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) की रिपोर्ट 2019 के अनुसार देश के अन्य राज्यों की विधानसभाओं में कुल सीटों के मुकाबले छत्तीसगढ़ और हरियाणा में 14.4 प्रतिशत महिला विधायक हैं। जो कि दूसरे राज्यों की तुलना में सर्वाधिक थीं। हालांकि हरियाणा में अब महिला विधायकों की संख्या घटकर आठ हो गई हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में महिलाओं की भागीदारी 14.4 प्रतिशत से बढ़कर 17.7 प्रतिशत हो गया है। अब छत्तीसगढ़ पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और ओडिशा से आगे है।
लौंडीलोहारा की विधायक अनिला भेड़िया प्रदेश महिला एवं बाल विकास मंत्री के रूप में कार्यभार संभाल रही हैं। बैकुंठपुर से राजपरिवार से आने वाली अंबिका सिंहदेव बतौर संसदीय सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं ग्रामोोग में मंत्री के कामों में हाथ बंटा रही हैं।
कसडोल विधायक शकुंतला साहू बतौर संसदीय सचिव के रूप में संसदीय कार्य,कृषि विकास एवं किसान कल्याण और जैव प्रौद्योगिकी, पशुपालन विकास , मछली पालन, जल संसाधन एवं आयाकट, पंचायत एवं ग्रामीण विकास संभाल रही हैं और तखतपुर की विधायक व संसदीय सचिव डा. रश्मि सिंह महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण में अपना सहयोग दे रही हैं।
देवती कर्मा-छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे आदिवासी नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी होने के नाते वह उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहीं हैं। झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले में महेंद्र कर्मा शहीद हुए थे।