छत्तीसगढ़। सच है किसी को ईश्वर गरीबी और बीमारी न दे। ऐसा ही एक मजबूर पिता की थी, जिनके पास अपने बच्चे के हिमोफिलिया के इलाज के लिए पैसा तक जुटाने की कूबत नहीं थी। लेकिन दुखों और परेशानी से उस वक्त राहत मिली जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लाल बहादुर नगर में भेंट मुलाकात कार्यक्रम में मुलाकात हुई। इस दौरान अर्जुनी गांव के माखनलाल निर्मलकर ने बताया कि उनके दो बच्चे हैं। दोनों बच्चे दुर्लभ बीमारी हीमोफीलिया से ग्रसित हैं, उनके इलाज में वे काफी पैसे खर्च कर चुके हैं।
एक इंजेक्शन 16 हजार के लगते हैं। उनकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है। आगे की इलाज के लिए उन्हें पैसे की सख्त जरूरत है माखनलाल निर्मलकर ने मुख्यमंत्री को बताया कि राजनांदगांव में इस बीमारी के केवल दो ही मरीज है और दोनों मेरे बच्चे हैं। काफी इलाज कराने के बाद भी उनकी बीमारी ठीक नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि दो साल पहले बेंगलुरु में ऑपरेशन हुआ था। इसमें पहले ही काफी खर्च हो चुका है। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वह आगे का इलाज कराने में समर्थ नहीं है।
मुख्यमंत्री ने उनकी बात को ध्यान से सुना और दोनों बच्चों के इलाज में होने वाली पूरा खर्च शासन द्वारा वहन करने की बात की। जिससे परिवार में इस राहतभरी खबर से खुशियां आ गई हैं। उल्लेखनीय है कि हीमोफीलिया आनुवंशिक रोग है जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है। इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है। विशेषज्ञों के अनुसार इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे च्क्लॉटिंग फैक्टरज् कहा जाता है। इस फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है। इस रोग से पीड़ित रोगियों की संख्या भारत में कम है।