आरक्षण बिल पर CM भूपेश ने खोले राजभवन के राज!, जानें, क्यों मचा सियासी घमासान

विधानसभा में आरक्षण बिल पास होने के बाद राजभवन में अटक गया है। क्योंकि अभी तक राज्यपाल ने इस विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं किए है। लिहाजा, कांग्रेस और बीजेपी में सियासी घमासान मचा हुआ।

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  • Updated On - December 14, 2022 / 08:13 PM IST

छत्तीसगढ़। विधानसभा में आरक्षण बिल पास होने के बाद राजभवन में अटक गया है। क्योंकि अभी तक राज्यपाल ने इस विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं किए है। लिहाजा, कांग्रेस और बीजेपी में सियासी घमासान मचा हुआ। इधर, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने बयान के जरिए राजभवन में राज्यपाल की कुछ मजबूरियां बताई, जिसके बाद अब आरक्षण बिल पर सियासी पारा सातवें आसमान पर है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल इस विधेयक पर हस्ताक्षर को तैयार थीं। भाजपा के नेता उनपर ऐसा नहीं करने का दबाव बना रहे हैं। इधर राजभवन ने शुरुआती समीक्षा के बाद विधेयक को फिर से विचार करने के लिए सरकार को लौटाने की तैयारी कर ली है।

राज्यपाल भोली महिला हैं,उन भाजपा दवाब बना रही है, ताकि हस्ताक्षर न करें

रायपुर हेलीपैड पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, जो राज्यपाल यह कहे कि मैं तुरंत हस्ताक्षर करुंगी, अब वह किंतु-परंतु लगा रही हैं। इसका मतलब यह है कि वह तो चाहती थीं, भोली महिला हैं। आदिवासी महिला है और निश्चल भी है। लेकिन जो भाजपा के लोग हैं जो दबाव बनाकर रखें हैं उस कारण से उनको किंतु-परंतु करना पड़ा कि मैं तो सिर्फ आदिवासी के लिए बोली थी। आरक्षण का बिल एक वर्ग के लिए नहीं होता, यह सभी वर्गों के लिए होता है। यह प्रावधान है जो भारत सरकार ने किया है, जो संविधान में है। मैंने अधिकारियों से बात की थी कि इसको अलग-अलग ला सकते हैं। उन्होंने कहा नहीं, यह तो एक ही साथ आएगा। उसके बाद बिल प्रस्तुत हुआ। अब क्यों हीलाहवाली हो रही है। मुख्यमंत्री ने दो टूक शब्दों में कह दिया कि विधानसभा से सर्व सम्मति से एक्ट पारित हुआ है तो राजभवन में रोका नहीं जाना चाहिए।

बोले, भाजपा ही इसके लिए जिम्मेदार है

मुख्यमंत्री ने विधेयक के राजभवन में अटक जाने के लिए भाजपा को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा, भाजपा ने प्रदेश के लोगों का मजाक बनाकर रख दिया है। राज्यपाल जब तक विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करेंगी। जब तक वह हमें वापस नहीं मिलेगा हम काम कैसे करेंगे। इनके कई मुंह हैं। एक ने कहा, ७० दिन तक क्या करते रहे। दूसरा बोलता है कि इतनी जल्दी लाने की क्या जरूरत है। विधानसभा में आप धरमलाल कौशिक का, नेता प्रतिपक्ष का, डॉ. रमन सिंह का भाषण निकालकर देख लीजिए। अभी फिर वे उसी प्रकार की भाषा शुरू कर दिए हैं।

भाजपा पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप भी लगाया

मुख्यमंत्री ने भाजपा को आरक्षण का विरोधी भी बताया। उन्होंने कहा, अजय चंद्राकर का विधानसभा का बयान निकालकर देख लें। वे आरक्षण के विरोधी हैं। उन्होंने विधानसभा में कहा था, मैं पार्टी से बंधा हुआ हूं लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मैं आरक्षण का विरोधी है। यही हाल भाजपा के हर नेता का है। वे आरक्षण के विरोधी हैं चाहे ३२त्न आदिवासियों को देने की बात हो या 27 प्रतशत अन्य पिछड़ा वर्ग को हो, या फिर १३ प्रतिशत अनुसूचित जाति का या ४ प्रतिशत सामान्य वर्ग का। यह आरक्षण देने के लिए वे बिल्कुल तैयार नहीं हैं।