आत्मविभोर हुए CM विष्णुदेव! कहा-सौभाग्य है ‘राम के ननिहाल’ के चावल से भोग लगा

By : hashtagu, Last Updated : January 22, 2024 | 5:13 pm

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (Chief Minister Vishnudev Sai) ने कहा आज माता शबरी के पवित्र धाम शिवरीनारायण की पावन भूमि पर प्रभु श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव (Shri Ram Pran Pratistha Mahotsav) के अवसर पर आप सभी को गाड़ा-गाड़ा बधाई और शुभकामनाएं।

कहा, आज हम सब प्रत्यक्ष रूप से अयोध्या धाम में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक क्षण का गवाह बने हैं| हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की उपस्थिति में यह शुभ कार्यक्रम संपन्न हुआ, उनके साथ सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत जी, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, वहां की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और लाखों संतों की उपस्थिति में यह कार्यक्रम हुआ है।

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आज हम सबने प्राण प्रतिष्ठा की सम्पूर्ण प्रक्रिया को देखा और भगवान श्रीराम की अलौकिक बाल प्रतिमा के दर्शन भी किए हैं। हमने प्रधानमंत्री जी को भी विस्तार से सुना है।

  • आज हमारे छत्तीसगढ़ का बड़ा सौभाग्य है, छत्तीसगढ़ भगवान श्रीराम का ननिहाल है, माता कौशल्या की जन्मभूमि है। आज देश के साथ साथ पूरी दुनिया राममय हुई है। अलग-अलग तरह से सभी खुशियां मना रहे हैं। हमारे छत्तीसगढ़ के लिए यह एक विशेष मौका है। चूंकि हमारे भांचा भगवान राम आज पांच सौ साल के संघर्ष के बाद आज अयोध्या में विराजमान हुए हैं। आज तरह-तरह से पूरा छत्तीसगढ़ खुशियां मना रहा है।

हमारा छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहलाता है, आप सभी को मालूम होगा कि छत्तीसगढ़ में खुशबूदार चावल होता है। हमने छत्तीसगढ़ से अयोध्या 3000 टन चावल 11 ट्रकों में भेजा है, आज ननिहाल के चावल से रामलला का भोग तैयार हुआ है। हमने छत्तीसगढ़ से लाखों टन सब्जियां भी अयोध्या भेजी हैं।

यह बहुत शुभ अवसर है आप सभी को इसकी बहुत सी शुभकामनाएं।

बीजेपी के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर जी ने कहा–

बीजेपी के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने कहा, आज जय श्रीराम का जयघोष अयोध्या तक जाना चाहिए। शबरी माता की भूमि पर आयोजित इस पावन कार्यक्रम में उपस्थित सभी को अभिनंदन करता हूँ। हम सबका सौभाग्य है कि 500 वर्षों के त्याग, बलिदान का फल आज हमें मिला है। हमारा समाज समतापूर्ण समाज रहा है। प्रभु राम ने कभी किसी के बीच भेद भाव नहीं किया। इसलिए वे भगवान हुए हैं। उन्होंने वनवासियों का आतिथ्य स्वीकार किया । यही हमारी संस्कृति है। आज हमारे लिए गौरव का दिन है।

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