रमन के बयान पर ‘कांग्रेस’ आक्रामक!, कहा-‘बेशर्मी की हद’!

By : madhukar dubey, Last Updated : April 27, 2023 | 9:54 pm

रायपुर। अरनपुर नक्सल हमले के बारे में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह (Former Chief Minister Raman Singh) के द्वारा दी गयी प्रतिक्रिया और बयानबाजी बेहद ही आपत्तिजनक है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला (Sushil Anand Shukla) ने कहा कि जिस वक्त सबको एकजुटता से एक आवाज में लोकतांत्रिक एकता दिखानी चाहिए ऐसे वक्त में अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिये एक पूर्व मुख्यमंत्री इतनी स्तरहीन टिप्पणी करेंगे राज्य की जनता ने ऐसा नहीं सोचा था।

15 सालों तक हर नक्सल वारदात के बाद रमन सिंह विपक्ष को नक्सल घटना पर राजनीति नहीं करने की सलाह देते थे आज खुद स्तरहीन बयान दे रहे है। रमन सिंह शोक के समय जो टिप्पणी कर रहे वह शहादत का अपमान है। रमन सिंह बेशर्मी पूर्वक नक्सल हमले के लिये सरकार और पुलिस को जवाबदार बता रहे हैं। जिन रमन सिंह के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ में 1500 से अधिक जवान शहीद हुये थे, 4000 से अधिक नागरिको की नक्सल वारदातों में हत्यायें हो गयी हो। वे विपक्ष में आने के बाद नक्सल हमले पर भाजपा-कांग्रेस कर अवसरवादी राजनीति कर रहे है।

15 साल तक नक्सल हमले पर राजनीति नहीं करने की बात करने वाले रमन आज खुद राजनीति कर रहे-कांग्रेस

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ की नक्सल समस्या कांग्रेस सरकार को रमन सरकार से विरासत में मिली है। रमन सिंह की सरकार ने इच्छाशक्ति दिखलाई होती तो नक्सलवाद बस्तर के तीन ब्लॉको से निकल कर प्रदेश के 14 जिलों तक नहीं पहुंचता। नक्सलवाद पर जो नीति कांग्रेस सरकार ने 2018 के बाद बनाई वह रमन सिंह सरकार 15 साल पहले बनाती तो राज्य से अब तक नक्सलवाद का सफाया हो गया होता। रमन सिंह की 15 साल की आपराधिक लावरवाही का खामियाजा राज्य की जनता को उठाना पड़ रहा। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सही मायने में नक्सल उन्मूलन पर काम हो रहा है।

नक्सल हमले पर तो अवसरवादी राजनीति मत करें रमन

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि बीते साढ़े चार साल में प्रदेश में नक्सलवादी गतिविधियों में 80 प्रतिशत की कमी हुई है नक्सलियों के बड़े नेताओं की गिरफ्तारी हुई है एनकाउंटर हुआ है अब नक्सली छत्तीसगढ़ छोड़कर भाग रहे। वर्ष 2008 से लेकर 2018 तक के आंकड़ों को यदि देखा जाए तो इस दौरान राज्य में नक्सली हर साल 500 से लेकर 600 हिंसक घटनाओं को अंजाम देते थे, जो कि बीते साढ़े चार वर्षों में घटकर औसतन रूप से 250 तक रह गई है।

वर्ष 2022 में मात्र 134 नक्सल घटनाएं हुई हैं, जो कि 2018 से पूर्व घटित घटनाओं से लगभग चार गुना कम हैं। राज्य में 2018 से पूर्व नक्सली मुठभेड़ के मामले प्रतिवर्ष 200 के करीब हुआ करते थे, जो अब घटकर दहाई के आंकड़े तक सिमट गए हैं। वर्ष 2021 में राज्य में मुठभेड़ के मात्र 81 और वर्ष 2022 में अब तक 41 मामले हुए हैं। नक्सलियों के आत्मसमर्पण के मामलों में भी तेजी आई बीते साढ़े तीन वर्षों में 1589 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। यह आंकड़ा 10 वर्षों में समर्पित कुल नक्सलियों की संख्या के एक तिहाई से अधिक है। बस्तर संभाग के 589 गांवों के पौने छह लाख ग्रामीण नक्सलियों के प्रभाव से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं।

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