कांग्रेस ने ‘आरक्षण’ पर दागे BJP पर सवाल!
By : madhukar dubey, Last Updated : May 3, 2023 | 10:48 pm
शपथ पत्र तक में ननकीराम कमेटी दस्तावेज़ और सीएस की अध्यक्षता की सिफारिश का जिक्र तक नहीं किया गया था। भूपेश सरकार आने के बाद न्यायालय में दस्तावेज जमा करने की अनुमति मांगी गई लेकिन न्यायालय ने इस आधार पर मांग ठुकरा दी थी कि रमन सरकार को 2012 से 2018 तक पर्याप्त अवसर दिया गया, तब उन्होंने दस्तावेज़ जमा नहीं किए और शपथ पत्र तक में इन महत्वपूर्ण दस्तावेजों का जिक्र तक नहीं था।
भाजपा जवाब दे कि छत्तीसगढ़ नवीन आरक्षण विधेयक विगत 5 महीनों से राजभवन में लंबित क्यों है?
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि रमन सरकार की दुर्भावना उपेक्षा और आरक्षित वर्गों के हितों के खिलाफ किए गए षड्यंत्र के चलते ही 58 प्रतिशत आरक्षण उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। सामाजिक न्याय के लिए कृत संकल्पित भूपेश बघेल सरकार ने उस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की और देश के नामचीन वकीलों को खड़ा किया। सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी और सुमीर सोढ़ी ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ सरकार को राहत देते हुए नौकरी और एडमिशन में 58 परसेंट आरक्षण को रद्द करने वाले हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई है। समय रहते यदि तत्कालीन रमन सरकार ने दस्तावेज प्रस्तुत किए होते कमेटियों की रिपोर्ट न्यायालय में जमा की होती है तो छत्तीसगढ़ की बहुसंख्यक आबादी के साथ अन्याय नहीं होता।
58 प्रतिशत आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की अनुमति, सामाजिक न्याय के लिए भूपेश सरकार के ईमानदार प्रयासों का प्रमाण है
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि 76 प्रतिशत आरक्षण भूपेश सरकार का संकल्प और छत्तीसगढ़ की स्थानीय आबादी का अधिकार है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग सभी के लिए भी नवीन आरक्षण विधेयक में प्रावधान। छत्तीसगढ़ के जनसरोकार के इतने महत्वपूर्ण विधेयक पर एक तरफ तो भारतीय जनता पार्टी द्वारा विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान समर्थन देने की राजनीतिक नौटंकी की गई लेकिन उसके बाद इरादातन षड्यंत्रपूर्वक राजभवन में रोका गया।
गैर भाजपा शासित राज्यों में भाजपा के इशारे पर विधानसभा से पारित विधेयकों को रोकने का लगातार षड़यंत्र रचा जा रहा है। छत्तीसगढ़ में आरक्षण विधेयक पिछले 5 महीनों से राजभवन में लंबित है, भाजपा के किसी भी नेता ने आजतक राजभवन से तत्परता परतने की अपील नहीं की। झारखंड में इसी तरह का सर्व सम्मति से पारित आरक्षण विधेयक वापस कर दिया गया, लेकिन भाजपा शासित राज्य में आरक्षण विधेयक पर महामहिम ने तत्काल हस्ताक्षर कर दिए।