छत्तीसगढ़। भूपेश सरकार के (Rasuka) रासुका की अधिसूचना पर BJP ने इसे अलोकतांत्रिक और तानाशाही बताया है। अरुण साव के कांफ्रेस खत्म होने पर कांग्रेस ने बीजेपी पर जबरदस्त पलटवार करते हुए पूर्व सीएम मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान 9 नोटिफिकेशन जारी किया। जिसे लेकर कांग्रेस ने बताया कि 2013 से लेकर 2018 के बीच पूर्व सीएम रमन सिंह ने रासुका की अधिसूचना जारी किया था। तब उन्हें यह अलोकतांत्रिक नहीं लगा था। इसको लेकर कांग्रेस ने भाजपा पर सवाल दागे। बता दें कि आज बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव ने भी प्रेस कांफ्रेस किया था। जहां उनहोंने रासुका की आलोचना की थी। इसके जबाव में आज शाम कांग्रेस ने भी पत्रकारवार्ता आयोजित की।
इस दौरान कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला और प्रवक्ता आरपी सिंह ने भाजपा की प्रेस वार्ता पर पलटवार किया। सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मुद्दाविहीन भारतीय जनता पार्टी अपने राजनैतिक वजूद को बचाने और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कांग्रेस सरकार की छवि खराब करने के लिये एक बार फिर से झूठ और गलत बयानी का सहारा ले रही है। राज्य में कानून व्यवस्था को बनाये रखने तथा राज्य के सामाजिक और साम्प्रदायिक सद्भाव को बनाये रखने के लिये राज्य सरकार समय समय पर विभिन्न उपाय करती है। इसके कानूनी शक्तियों का प्रयोग किया जाता है। तीन जनवरी को जारी अधिसूचना भी उसी का हिस्सा है।
शुक्ला ने कहा, कांग्रेस के शासनकाल में इस कानून में कुछ नया संशोधन नहीं कर दिया गया है जिसे लेकर विपक्ष मुद्दा बना रहा है। ऐसे नोटिफिकेशन हर तीन महीने में जारी किये जाते रहे हैं। उसी क्रम में कांग्रेस शासनकाल में भी नोटिफिकेशन जारी हुआ है। राज्य सरकार ने तीन जनवरी २०२३ को एक अधिसूचना प्रकाशित करवाया। इसमें कहा गया कोई भी व्यक्ति सांप्रदायिक मेल मिलाप को संकट में डालने के लिये लोक व्यवस्था के बनाये रखने पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है तो उसके खिलाफ रासुका के तहत कार्यवाही की जायेगा। ठीक ऐसी ही अधिसूचना रमन सिंह सरकार के समय भी प्रकाशित कराया गया था।
२०१३ से २०१८ के बीच कब-कब प्रभावी रहा यह कानून
– ३ अक्टूबर २०१५ से दिसंबर २०१५
– १ जनवरी २०१६ से ३१ मार्च २०१६
– १ अप्रेल २०१६ से ३० जून २०१६
– १ जुलाई २०१६ से ३० सितंबर २०१६
– १ अक्टूबर २०१६ से ३१ दिसंबर २०१६
– १ जनवरी २०१७ से ३१ मार्च २०१७
– १ अप्रेल २०१७ से ३० जून २०१७
– १ जुलाई २०१७ से ३० सितंबर २०१७
– १ अक्टूबर २०१७ से ३१ दिसंबर २०१७
कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा, जो कानून डॉ. रमन सिंह के समय लागू किया गया वह लोक कल्याणकारी था और कांग्रेस के समय लागू किया गया तो दमन कारी हो गया! उन्होंने कहा, रमन सिंह और दूसरे भाजपा नेता इस प्रकार झूठ बोलकर प्रदेश में विशेषकर आदिवासी समाज में भ्रम फैला रहे है। भाजपा के शासनकाल में ९८त्न चर्च बने, धर्मातरण करवाया अब रासुका मामले में झूठ बोल रहे है। कांग्रेस नेताओं ने कहा, धर्मातंरण पर विवाद भाजपा की साजिश है। भाजपा डर रही है कि रासुका लगाने से उसके दंगा भड़काने के एजेंडे पर अवरोध लगेगा।
कांग्रेस नेताओं ने कहा, डॉ. रमन सिंह और अरुण साव को भ्रम फैलाने एवं झूठ बोलने के लिये प्रदेश की जनता से माफी मांगना चाहिए। क्या उस समय रमन सिंह ने यह कानून संघ के इशारे पर लागू किया था? सांप्रदायिकता विरोधी कानून किसी एक धर्म संप्रदाय, जाति के विरोध में नहीं है। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई किसी भी संप्रदाय का व्यक्ति यदि सांप्रदायिकता फैलाता है, दंगे जैसी समाज विरोधी गतिविधि में शामिल होता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जायेगी। भाजपा के विरोध से साफ हो रहा है कि इस कानून के इस्तेमाल से उसका सांप्रदायिकता फैलाने का नापाक षड़यंत्र बाधित होगा।
भाजपा को लोगों को लड़ाने में मजा आता है। सकारात्मक बात नहीं करते, जोड़ने की बात नहीं करते। ये केवल तोड़ने की बात करते हैं, लड़ाने की बात करते हैं। सीएम बघेल ने कहा, भाजपा हर चीज को ऐसे परोसना चाहती है जैसे यह पहली बार हो रहा है। हमने विधानसभा में कोई कानून पारित किया है, कि मंत्रिमंडल का कोई फैसला है-उसके बारे में बात करें। यह तो रिनीवल है। इनके पास कोई मुद्दा नहीं है। अब कह रहे हैं कि तुम्हारे खिलाफ रासुका लगाएंगे। किसके खिलाफ रासुका लगा है भाई। मुख्यमंत्री बोले, अभी इनको (भाजपा) फिर बत्ती पड़ी है कि जाओ छत्तीसगढ़ में कोई षड़यंत्र करो। छत्तीसगढ़ में शांति क्यों है, छत्तीसगढ़ के लोग खुशहाल क्यों हैं, छत्तीसगढ़ में अमन-चैन क्यों है, सब वर्गों में समृद्धि कैसे आ रही है यह भाजपा को बिल्कुल पच ही नहीं रहा है। इस कारण से ये नये-नये शिगुफा लेकर आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, अरुण साव जी वकील हैं। रमन सिंह १५ साल तक मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। रासुका केंद्र सरकार का कानून है। हर छह महीने में उसको रिनीवल करते हैं। मुझे भी इसकी जानकारी नहीं थी। मैंने पूछा तो पता चला कि यह हर चार-छह महीने पर होता है। दूसरे प्रदेशों में भी ऐसा होता है। कौन से प्रदेश में नहीं हुआ है यह भी बताइए। भाजपा शासित राज्यों में नहीं है क्या? यह केंंद्र का कानून है। हर छह महीने में डीएम को यह अधिकार दिया जाता है। उसी के तहत दिया गया है। इसमें हाय तौबा क्यों मचा रहे हैं।