रायपुर। छत्तीसगढ़ की सरकार ने नवा रायपुर (Nava Raipur) में लगभग 27 गावों की जमीनें अधिग्रहित की थी। प्रभावित किसानों का आरोप है कि पूर्व और अभी की सरकार ने किसानों से जो लिखित करार किया था, उसे पूरा ही नहीं किया गया। यहां के किसानों के संगठन (farmers’ organizations) के बैनर तले 7 मांगों को लेकर कई बार आंदोलन किये जा चुके हैं, मगर हर बार आश्वासन के बाद आंदोलन स्थगित होता रहा। इस बार किसान बड़े आंदोलन की तैयारी में जुटे हुए हैं।
नवा रायपुर के किसानों की आंबेडकर जयंती के दिन बैठक हुई। इसी मौके पर मंत्री डॉ. शिव डहरिया से इनकी बात भी हुई। बता दें कि यहां के किसानों की समस्या के निराकरण के लिए 3 सदस्यीय मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन किया गया है, इसमें कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर और नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया को शामिल किया गया था। डहरिया ने 16-17 अप्रैल को मंत्री मंडलीय उप समिति के साथ चर्चा का आश्वासन दिया है।
नवा रायपुर के किसान इस बार आरपार की लड़ाई के मूड में हैं। इनका कहना है कि मंत्री डहरिया से चर्चा में अगर बात नहीं बनेगी तो किसानों द्वारा 72 घंटे कर्फ्यू किया जाएगा। इस दौरान किसी को भी नवा रायपुर के इलाके में आने-जाने नहीं दिया जाएगा। साथ ही, नवा रायपुर में चल रहे सारे काम और व्यावसायिक गतिविधियों को भी बंद कर दिया जाएगा।
नवा रायपुर के 27 गांवों के किसानों की 7 मांगों में सभी वयस्कों को 1200 वर्ग फीट विकसित भूखंड और गांव के लोग जहां बसे हैं, उस जगह की पूरी बसाहट को पट्टा देने, NRDA के विभिन्न सेक्टर्स में निर्मित 75% दुकान, गुमटी, चबूतरा एवं हॉल का आबंटन, नवा रायपुर लेयर-11 के गांवों में जमीन की खरीदी-बिक्री के लिए अनुमति सहित अन्य मांगें शामिल हैं। सातों मांगों को सरकार ने सैद्धांतिक रूप से मान भी लिया था और समय सीमा के भीतर इन्हें पूरा करने की बात भी कही थी, किसानों का कहना है कि बात जहां से शुरू हुई थी, वहीं पर अटकी हुई है।
किसानों ने यह तय किया है कि वे 17 अप्रैल को राज्य सरकार को अल्टीमेटम पत्र सौंपेंगे। वहीं शासन की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर 25 अप्रैल की बैठक में आंदोलन की तारीख तय की जाएगी।