छत्तीसगढ़। (reservation bill) भले ही आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर नहीं करने को लेकर राजभवन और कांग्रेस सरकार के बीच खींचतान चल रही है। इन सबके बावजूद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मतभेदों की गहरी खाई को भुलाकर राज्यपाल से गणतंत्र दिवस (Republic day) पर मिले। इस दौरान भूपेश ने राज्यपाल को फूलों का गुलदस्ता भेंट किया।
वहीं कई मुद्दों पर भी बातचीत हुई। लेकिन ये नहीं पता चला कि क्या आरक्षण के बिल पर भी चर्चा हुई की नहीं। दरअसल, ये मुलाकात किसी मुद्दे को लेकर नहीं। बल्कि एक संवैधानिक परंपरा के चलते भूपेश को राज्यपाल के पास जाना पड़ा। इस दौरान पहुंचे मुख्यमंत्री का राज्यपाल ने स्वागत किया।
गणतंत्र दिवस की स्थापित परंपरा के मुताबिक सरकार की संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल को राजधानी में आयोजित मुख्य समारोह में जाना था। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर जगदलपुर में झंडा फहराया। शाम को जगदलपुर से लौटकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का काफिला सीधे राजभवन की मुड़ गया। थोड़ी ही देर में वे राजभवन में थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजभवन में राज्यपाल अनुसूईया उइके से शिष्टाचार मुलाकात कर उन्हें गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी है। राज्यपाल ने भी मुख्यमंत्री को ७४ वें गणतंत्र दिवस की शुभकामना दी हैं।
छत्तीसगढ़ में आरक्षण विधेयकों को लेकर इन दिनों राज्यपाल और सरकार दोनों एक-दूसरे के निशाने पर हैं। राज्यपाल उन विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं कर रही हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी इसकी मुखर रूप से आलोचना कर रहे हैं। बीते दिनों राज्यपाल की ओर से कहा गया, कुछ लोगों द्वारा संवैधानिक प्रमुख के लिए अमर्यादित भाषा का प्रयोग उचित नहीं है। बुधवार को जगदलपुर रवाना होते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसपर पलटवार कर दिया। उन्होंने कहा, जो बिल विधानसभा का है। उसमें आर्टिकल २०० हिसाब से फैसले होंगे। राज्यपाल या तो उनपर हस्ताक्षर करें या तो वापस करें। उसे कितने दिनों तक लटका कर रखेंगे? अधिकारों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।