विधानसभा में ‘हंसी-ठहाके’ की गूंज! मजाकिए ‘लहजे में चले सियासी’ तानों के तीर
By : madhukar dubey, Last Updated : December 19, 2023 | 9:31 pm
विधानसभा के शीत सत्र (Winter session of assembly) का पहला दिन मंगलवार को हंसी-मजाक के नाम रहा। नव निर्वाचित विधायकों और विधानसभा अध्यक्ष का शपथ ग्रहण हुआ। वहीं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत ने गीत गुनगुनाया तो विधायकों ने पुराने किस्से सुनाए, इस दौरान सदन ठहाकों से गूंजता रहा।
- प्रोटेम स्पीकर रामविचार नेताम ने सीएम विष्णुदेव साय और चरणदास महंत से अनुरोध किया कि वे डॉ. रमन सिंह को ससम्मान आसंदी तक लाएं। दोनों नेता रमन सिंह के पास पहुंचे। हाथ मिलाकर उन्हें बधाई दी और आगे ले जाने लगे। इस दौरान कांग्रेस विधायकों ने कहा- ठीक से पकड़ कर ले जाइए और सदन में सभी हंसने लगे।
‘हमारी मित्रता सबको खटकती थी’
रमन सिंह को प्रोटेम स्पीकर ने कुर्सी सौंपी। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष चुने गए डॉ. महंत ने कहा कि, हमने भी आपको समर्थन देकर चुना है। समर्थन देना हमारे संस्कार को दिखाता है। मैं आपको बहुत पहले से जानता हूं। आप सांसद थे, हम दोनों सांसद थे। सदन में हम दोनों की अच्छी मित्रता थी, यह सबको खटकता था।
‘दोस्ती का फायदा उठाने की कोशिश मत करिएगा’
ये सुनकर डिप्टी CM अरुण साव ने कहा दोस्ती का ज्यादा लाभ उठाने की कोशिश मत करिएगा। इसके बाद सभी विधायक हंसने लगे। फिर चरण दास महंत ने कहा कि आपकी हमारी दोस्ती की बहुत लोगों को नजर लगी थी। तभी कवासी लखमा ने कहा, खासकर अजय चंद्राकर की..।
फिर महंत ने सुनाया पुराना गाना
महंत ने आगे कहा कि मैं आपको एक बात याद दिलाता हूं। आपको एक पुराना गीत याद दिलाना चाहता हूं, ‘ वो जो हम में तुम में करार था, तुम्हें याद हो कि ना हो…।’ जैसे ही महंत ने इसे गाया डॉ. रमन खिल-खिला कर हंसने लगे। तभी महंत ने कहा, अपने करार के मुताबिक तो आपको हमने जगह दे दी, आपने अपने बारे में नहीं सोचा।
लखमा बोले- तुम फालतू बात मत करना
रमन सिंह को बधाई देने के लिए पूर्व मंत्री कवासी लखमा खड़े हुए। जैसे ही उन्होंने बोलना शुरू किया, अजय चंद्राकर ने कहा कितने लोगों को निपटाए हो पहले यह तो बताओ लखमा जी…इसके साथ ही सदन में एक बार फिर हंसी गूंज उठी।लखमा ने जवाब में हंसते हुए कहा- तुम फालतू बात मत करना।
‘थोड़ा बोलने दो यार मेरे को’
अजय चंद्राकर ने फिर लखमा से कहा– गंगाजल पीकर बोल रहा हूं, ऐसा बोलो। इस पर लखमा ने जवाब दिया कि मैं गंगाजल वाला नहीं हूं, देसी महुआ वाला हूं। इसके बाद सभी मेज पीटकर हंसने गले। चंद्राकर ने फिर पूछा क्या वाले हो… हंसते हुए लखमा ने कहा- थोड़ा बोलने दो यार मेरे को।
विष्णुदेव आपसे भी ज्यादा सज्जन
लखमा ने रमन सिंह से कहा, कभी आपको गुस्सा होते नहीं देखा। हम लोग चाहते थे कि तुम उधर बैठो (जहां CM साय बैठे थे), लेकिन ऊपर वालों ने इधर बैठा दिया। इसमें हमारा कोई गलती नहीं है। इस पर रमन सिंह मुस्कुराने लगे।
लखमा ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता चाहती थी कि मुख्यमंत्री आदिवासी हो। विष्णुदेव आपसे भी ज्यादा सज्जन हैं, मैं उन्हें बधाई देता हूं। अब आदिवासी पक्ष में बात करेंगे। पहले बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत, अजय चंद्राकर इनकी ज्यादा चलती थी, उसको थोड़ा कम करो।
रमन बोले-अभिभावक के रूप में काम करना होगा
डॉ. रमन सिंह ने कहा कि, सदन में अध्यक्ष की निष्पक्षता किसी न्यायधीश की तटस्थता से नहीं होती। उसे सदन में अभिभावक के तौर पर काम करना पड़ता है। संयुक्त परिवार के मुखिया की तरह आचरण करना पड़ता है। सभी को साथ में लेकर चलना होता है। मेरा प्रयास होगा कि सभी को इस प्रकार का अवसर मिले, जिससे वह अपना सर्वश्रेष्ठ इस प्रदेश के लिए सामने ला सकें।
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