भूपेश बघेल ने ‘मनपसंद ऐप’ पर किया ट्वीट, भाजपा सरकार पर साधा निशाना

By : dineshakula, Last Updated : November 16, 2024 | 12:24 pm

रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने राज्य में हाल ही में लॉन्च हुए शराब के सरकारी ऐप ‘मनपसंद’ पर हमला बोलते हुए भाजपा सरकार को घेर लिया है। बघेल ने सोशल मीडिया पर एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि “मनपसंद ऐप” और रेस्टोरेंट में खुलेआम शराब बेचने के फैसले का विरोध करने के बाद भाजपा सरकार का सिस्टम हिल गया है।

भूपेश बघेल ने ट्वीट में लिखा, “साथियों! जब से मैंने ‘मनपसंद ऐप’ और रेस्टोरेंट में खुलेआम शराब बेचने के भाजपा सरकार के फ़ैसले का विरोध किया है, तबसे इनका सिस्टम हिल गया है। ‘मनपसंद ऐप’ के ब्रांड एम्बेसडर अब अपने विधायकों को पुलिस के पास भेजकर मेरे खिलाफ शिकायत करा रहे हैं।”

 

भूपेश बघेल का कहना था कि यह साफ है कि भाजपा सरकार का मक्सद शराब माफियाओं के साथ मिलकर छत्तीसगढ़ में शराब के व्यापार को बढ़ावा देना है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा के विधायक सिर्फ मोहरे हैं और इस “डबल इंजन” सरकार में शराब माफियाओं का एक अलग इंजन भी जुड़ा हुआ है, जो अब विरोध होने के बाद बग़ल में हो गया है।

इसके साथ ही बघेल ने यह सवाल उठाया, “आख़िर छत्तीसगढ़ में इतने बड़े पैमाने पर शराब बेचकर किन ताक़तों को फ़ायदा पहुँचाने का षड्यंत्र हो रहा है?” उनका यह बयान साफ तौर पर भाजपा सरकार और उनके शराब से जुड़ी नीतियों के खिलाफ था।

भूपेश बघेल ने ट्वीट में यह भी लिखा, “कहीं ऐसा तो नहीं कि अन्य प्रदेशों की तरह छत्तीसगढ़ में भी दिल्ली, गुजरात के ‘इंजनों’ की एंट्री कराई जा रही है?” उनका इशारा उन शक्तियों की ओर था जो अन्य प्रदेशों में शराब व्यापार को नियंत्रित करती हैं और अब छत्तीसगढ़ में भी अपना हाथ आजमाना चाहती हैं।

“मनपसंद ऐप” पर बघेल ने कहा, “लेकिन ‘मनपसंद ऐप’ वाले सुन लें, छत्तीसगढ़ के लोग उनके मंसूबे कामयाब नहीं होने देंगे। न भूपेश बघेल डरेगा, न छत्तीसगढ़ की जनता। छत्तीसगढ़ महतारी की जय!” बघेल ने ट्वीट के अंत में छत्तीसगढ़ महतारी की जय के उद्घोष के साथ अपनी बात पूरी की, जो राज्य की जनता के साथ उनके गहरे जुड़ाव को दर्शाता है।

बघेल का यह ट्वीट भाजपा और कांग्रेस के बीच शराब के मुद्दे पर जारी सियासी बयानबाजी को और गरमा दिया है। ‘मनपसंद ऐप’ को लेकर भाजपा सरकार के समर्थन में पार्टी के नेताओं ने कई बयान दिए थे, जबकि कांग्रेस इसे सरकार के शराब व्यापार को बढ़ावा देने का एक तरीका मान रही है।

पार्टी कार्यकर्ता और सरकार के समर्थक दोनों ही पक्षों में इस मुद्दे पर तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है, जिससे छत्तीसगढ़ में शराब नीतियों को लेकर एक बड़ा राजनीतिक संघर्ष बनता जा रहा है।

इस विवाद ने राज्य में शराब नीति, शराब बिक्री के पारदर्शी तरीके और शराब माफियाओं के प्रभाव को लेकर नई बहस छेड़ दी है।

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