छत्तीसगढ़। विधानसभा चुनाव में सफलता के लिए कांग्रेस-बीजेपी (Congress-BJP) में दांवपेंच का सियासी खेल जारी है। साजा विधानसभा (Saja assembly) से बीजेपी के बीरनपुर कांड के पीडि़त और प्रत्याशी ईश्वर साहू और कांग्रेस के कद्दावर नेता और मंत्री रविंद्र चौबे के बीच कड़ा मुकाबला है। क्योंकि ईश्वर साहू के प्रति साहू समाज के साथ ही अन्य वर्गों की सहानुभूति है। वहीं रविंद्र चौबे भी इस स्मीकरण को तोड़ने में लगे हैं। वैसे रविंद्र चौबे को हरा पाना बड़ी चुनौती साबित हो रही है। ऐसे में मतों के ध्रुवीकरण की कोशिश दोनों दलों की तरफ से की जा रही है।
माना जा रहा है कि साजा में मतों के ध्रुवीकरण की इस कोशिश में जिसने संगठित समाज को साधा बाजी उसी के हाथ जीत लगेगी। दरअसल, भाजपा ने इस बार हिंदू-मुस्लिम हिंसा में बेटे को खो चुके ईश्वर साहू को अपना प्रत्याशी बनाया है। ईश्वर साहू के कारण इस सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है। सात बार के विधायक कांग्रेस प्रत्याशी रविंद्र चौबे के सामने नए चेहरे के रूप में ईश्वर हैं।
सियासत ऐसे भी: बोरी के पूर्व मंडल अध्यक्ष श्रवण देशमुख को लगभग 20 दिनों पहले कांग्रेस प्रत्याशी रविंद्र चौबे ने कांग्रेस प्रवेश कराया। इसके बाद शुक्रवार को देशमुख ने भाजपा प्रवेश कर लिया। साथ ही आरोप लगाया कि उनको दबाव देकर कांग्रेस प्रवेश कराया गया था। बता दें कि साजा विधानसभा में 5 मंडल है।
साजा का मुकाबला राजनीति का ककहरा न जानने वाले ईश्वर का मुकाबला, कुशल रणनीतिकार रविंद्र चौबे से है। प्रत्याशी बनने के बाद से अब तक ईश्वर की न तो माली हालत सुधरी और न घर के हालात ही बदले हैं। सुबह होते ही बीपीएल कार्डधारी ईश्वर के घर सौ से डेढ़ सौ भाजपा कार्यकर्ता आ जाते हैं। पार्टी के इन कार्यकर्ताओं की गाड़ियों पर सवार होकर ईश्वर जनसंपर्क के लिए निकल पड़ते हैं।
ईश्वर लगातार समाज की बैठकों में शामिल हो रहे हैं। शुक्रवार को भी वे धमधा इलाके में साहू समाज की बैठक में शामिल हुए। वहां से निकलकर वे ठेलका चौक के पास बने पार्टी कार्यालय पहुंचे। चुनाव के मुद्दों पर कहा कि वे गरीबों के मुद्दे राशन और आवास को लेकर लोगों से मिल रहे हैं। हिंदू मतों के ध्रुवीकरण पर उनका कहना है कि सभी को पता है कि क्या हुआ है इसलिए वे लोगों से बात नहीं करते।
साहू और लोधी वोटरों के इस गढ़ में विधायक रविंद्र चौबे के सामने पहली बार इन वोटरों को साधने की चुनौती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि साहू समाज के पारंपरिक वोटर कांग्रेस के ही साथ जायेंगे। पिछले दिनों भाजपा के स्टार प्रचारक सांसद साक्षी महाराज की सभा कराकर लोधी वोट में सेंध लगाने की कोशिश की है। सतनामी वोटों को साधने गुरू बालदास की भी सभा कराई गई है।
साजा विधानसभा के आखिरी छोर पर स्थित बिरनपुर गांव की सीमाएं पंडरिया और खैरागढ़ विधानसभा से लगी हुई हैं। बेमेतरा जिले की यह विधानसभा सीट दुर्ग लोकसभा का हिस्सा है। आखिरी गांव होने का अहसास घरों पर लगे बैनर- पोस्टर और झंडों की कमी से भी हो जाता है। लेकिन भाजपा का झंडा और उसके प्रत्याशी का बैनर-पोस्टर नदारद होना चौंकाता है।
यहां कुल 2 लाख 50 हजार 18 मतदाता हैं। इनमें से पुरुष 125686 और महिला 124330 हैं, जबकि 2 थर्ड जेंडर मतदाता हैं।
जातिगत समीकरण
साहू – 65-70 हजार लोधी – 40-42 हजार यादव – 23 हजार सतनामी- 20-22 हजार गोंड- 12-13 हजार।
हार-जीत का अंतर 31 हजार
2018 में रविन्द्र चौबे ने लाभचंद बाफना को हराया था। चौबे ने लाभचंद बाफना को 31535 वोटों से हराया था।
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