पूर्व सांसद ‘सोहन पोटाई’ का निधन, पढ़ें, इनका ‘राजनीतिक’ सफर

By : madhukar dubey, Last Updated : March 9, 2023 | 3:33 pm

कांकेर। आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद सोहन पोटाई (Former MP Sohan Potai) का आज निधन हो गया। वे लंबे समय से कैंसर से पीडि़त थे। इनके निधन (death) से आदिवासी समाज में शोक व्याप्त हो गया है। इनके निधन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व सीएम रमन सिंह ने शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैंं।

सोहन पोटाई 4 बार कांकेर लोकसभा सीट से सासंद रह चुके थे। चारों बार उन्होंने भाजपा के टिकट से चुनाव लड़कर जीत हासिल की। सोहन पोटाई ने 64 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है। सोहन पोटाई का जन्म 20 अप्रैल 1958 को हुआ था। पहली बार 1998 में कांग्रेस के दिग्गज नेता महेंद्र कर्मा को हराकर वे चर्चा में आए थे, लेकिन केंद्र में सरकार गिरने से मात्र एक साल तक ही सासंद रहे।

इसके बाद 1999 में उन्होंने अरविंद नेताम को पराजित किया। 2004 में सोहन पोटाई ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही गंगा पोटाई ठाकुर को पराजित कर तिकड़ी बनाई। इसके बाद वर्ष 2009 में उन्होंने कांग्रेस की फूलोदेवी नेताम को पराजित कर लगातार चौथी जीत का रिकॉर्ड बनाया।

2014 में भाजपा से उन्हें टिकट नहीं मिला। भाजपा के खिलाफ लगातार बयानबाजी के चलते सोहन पोटाई को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद वे आदिवासी समाज की राजनीति में सक्रिय हुए। वर्तमान में वे सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर थे।

पोस्टमास्टर की सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आये थे पोटाई

सोहन पोटाई पोस्ट मास्टर की सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए थे। इमरजेंसी के समय में वे सहायक पोस्ट मास्टर की नौकरी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। वे आदिवासियों से जुड़े मुद्दों को लेकर मुखर थे। पोटाई को किसी जमाने में आरएसएस का पसंदीदा माना जाता था, लेकिन बाद के दिनों में बीजेपी से उनकी दूरी बढ़ती चली गई।

कहा जाता है कि तत्कालीन BJP शासन में नक्सलियों से सांठगांठ के आरोप लगे। इसके बाद उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और सौदान सिंह से एक पुलिस अधिकारी की शिकायत की, लेकिन उनकी शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया गया।

सोहन पोटाई का पहले टिकट काटा गया, उसके बाद विधानसभा चुनाव में भी उनकी दावेदारी को अनदेखा कर दिया गया। इसके बाद से वे पार्टी नेताओं के खिलाफ खुलकर बोलने लगे। उन्होंने डॉक्टर रमन सिंह और सौदान सिंह की जमकर आलोचना की। यहां तक कि पिछले चुनाव में उन्होंने खुलकर बीजेपी के खिलाफ प्रचार किया।

सोहन पोटाई के कांकेर लोकसभा क्षेत्र में अच्छे प्रभाव को देखते हुए 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले आरएसएस के पदाधिकारी ने उन्हें दोबारा पार्टी में लाने की कोशिश की थी, लेकिन वे नाकाम रहे थे।

पिछले 3 विधानसभा चुनाव में भाजपा कांकेर की सीटों में पिछड़ती दिखाई दी। हालांकि लोकसभा चुनाव में BJP को कांकेर में जीत मिली, लेकिन सोहन पोटाई के कार्यकाल में जो पैठ पार्टी की थी, उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकी।