जगदलपुर। (Naxal) नक्सल प्रभावित और दुर्गम भौगोलिक स्थितियों वाले अबूझमाड़ क्षेत्र स्थित हांदावाड़ा (Handwara) जलप्रपात के लिए इन दिनों बड़ी संख्या में सैलानी पहुंच रहे हैं। इसे अबूझमाड़ की शान कहा जाता है। तीन साल पहले यहां गिनती के सैलानी ही पहुंचते थे, लेकिन अब ऐसी स्थिति नहीं है। शांति और सुरक्षा के निर्मित होते माहौल के बीच यहां सैलानियों की संख्या बढ़ने लगी है।
इस साल शीतकाल का मौसम शुरू होते ही हांदावाड़ा जलप्रपात का दीदार करने सैलानियों की आवाजाही प्रारंभ हो गई थी। चित्रकोट, तीरथगढ़ सहित मध्य व दक्षिण बस्तर के जलप्रपात स्थलों में सैलानी किसी भी मौसम में पहुंच सकते हैं लेकिन हांदावाड़ा में बरसात के चार माह सैलानियों की आवाजाही लगभग नहीं होती है। साल के अंतिम माह के अंतिम सप्ताह में बस्तर के पर्यटन स्थलों जिनमें हांदावाड़ा भी शामिल है, में सैलानियों की खासी भीड़ उमड़ी है। रविवार को हांदावाड़ा में मनोहारी व रोमांचकारी जलप्रपात को देखने सैकड़ों सैलानी पहुंचे थे।
नारायणपुर जिला के ओरछा (अबूझमाड़) विकासखंड का हांदावाड़ा दंतेवाड़ा के बारसूर होकर जगदलपुर से १२५ किलोमीटर दूर है। हांदावाडा बस्ती से करीब चार किलोमीटर दूर अबूझमाड़ की धाराडोंगरी पहाड़ी पर स्थानीय नाला विशाल जलप्रपात बनाता है। यहां करीब ३२० फीट की ऊंचाई से जलधारा गिरती है। रविवार को हांदावाड़ा सैकड़ों सैलानी पहुंचे थे। समीप जंगल में बड़ी संख्या में दो से लेकर चार पहिया वाहनों की पार्किंग भी यहां सैलानियों की भीड़ की मौजूदगी बता रही थी।
हांदावाड़ा जलप्रपात देखने पहुंचे कुछ सैलानियों से चर्चा की। दुर्ग से आए सैलानी सुखदेव साहू, भगवती वर्मा, मालती वर्मा, सोहनलाल वर्मा ने बताया कि आमतौर पर लोग पहाड़ियों पर चढ़ देवी दर्शन करते हैं लेकिन हांदावाड़ा में जैसे ही ३२० फीट ऊंचे जलप्रपात का दृश्य आंखों के सामने पड़ता है।
बरबस ही लोगों के मन में गंगा अवतरण जैसा भाव उत्पन्न होता है। जिसे देख अभिभूत होकर लोग यहां स्नान करते हैं। नक्सली गढ़ होने के बावजूद यहां सैलानियों की भीड़ इस बात को भी स्पष्ट करती है कि बस्तर में तेजी से भय मुक्त वातावरण बन रहा है।