कैसे छत्तीसगढ़ ने ‘लघु वनोपज’ में बना डाला ‘कीर्तिमान’! कहानी ‘पृथ्वी अवॉर्ड्स 2023’ पाने की…

By : madhukar dubey, Last Updated : July 15, 2023 | 8:57 pm

छत्तीसगढ़ को मिला पृथ्वी अवॉर्ड्स 2023 : महिला स्व-सहायता समूहों और छत्तीसगढ़ वनोपज संघ को मिला ईएसजी के क्षेत्र में सम्मान

सुशासन और महिला सशक्तिकरण के लिए पृथ्वी अवॉर्ड्स से सम्मानित हुआ छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ

आर्थिक स्तर में सतत् विकास में योगदान हेतु कवर्धा और बस्तर के स्व-सहायता समूह हुए सम्मानित

छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ (Chhattisgarh State Minor Forest Produce Association) को वैश्विक स्तर पर ईएसजी यानी पर्यावरण, सामाजिक कल्याण और सुशासन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए सरकारी श्रेणी अंतर्गत पृथ्वी अवॉर्ड्स 2023 (Prithvi Awards 2023) से नवाजा गया। यह पुरस्कार भारत सरकार के कानून और न्याय मंत्री श्री अर्जुन मेघवाल द्वारा प्रदान किया गया। इस दौरान प्रदेश में ग्रामीण विकास और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए एनजीओ-स्वयंसेवक श्रेणी में राज्य के दो स्व-सहायता समूह को भी सम्मानित किया गया। कवर्धा जिले से जुनवानी गांव के जय बुढ़ा देव स्व-सहायता समूह और बस्तर जिले के आसना गाँव के वर्षा स्व-सहायता समूह को सम्मानित किया गया।

नई दिल्ली में 14 और 15 जुलाई को आयोजित ईएसजी ग्लोबल कॉन्फ्रेंस में पृथ्वी अवॉर्ड्स ईएसजी रिसर्च फाउंडेशन द्वारा प्रदान किया गया है, जो भारत में ईएसजी अनुपालन के लिए एक सराहनीय पहल है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ लगातार आदिवासी ग्रामीण अंचलों में वनोपज के माध्यम से रोजगार मूलक गतिविधियां कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयासरत है। करीब 100 से अधिक वन उत्पादों को छत्तीसगढ़ हर्बल्स का ब्रांड नाम दिया गया। वन-धन केंद्रों के माध्यम से छत्तीसगढ़ के वनांचलों से निकले जैविक शुद्धता वाले तमाम प्रोडक्ट्स के रूप में घरों तक पहुंच रहे हैं। ग्रामीण महिलाएं वनोपज आधारित आर्थिक विकास का मॉडल बनाने में लगातार शासन-प्रशासन के साथ आगे आ रही हैं।

महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का जरिया बनी बस्तर की इमली

बस्तर के एक छोटे से गांव आसना के वर्षा स्व-सहायता समूह ने अथक प्रयासों से अपने क्षेत्र की स्थानीय अर्थव्यवस्था को काफी प्रभावित किया और सशक्त बनाने की दिशा में अग्रसर रहीं कुल 10 महिला स्व-सहायता समूहों के साथ 104 सदस्यों की एक इकाई वन धन योजना अंतर्गत कार्यरत है।

इमली की प्राथमिक प्रसंस्करण गतिविधि से स्थानीय आबादी को 23 लाख रुपये से अधिक आय प्राप्त हुई है। वर्षा एसएचजी की गतिविधि से 3000 से अधिक स्थानीय वनवासी लाभान्वित हुए हैं। स्थानीय लोगों से 4,500 क्विंटल इमली की खरीद से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में 1.54 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है और इसके परिणामस्वरूप स्थानीय लोगों की वित्तीय और सामाजिक स्थिति में वृद्धि हुई।

कवर्धा के जय बुढ़ा देव स्व-सहायता समूह ने मोटे अनाज को दी नई पहचान

जयबुढ़ा देव स्व-सहायता समूह 10 समूहों के अंतर्गत 244 सदस्यों की इकाई है, जो मोटे अनाज यानि श्री अन्न के उत्पादन और प्राथमिक प्रसंस्करण के लिए कार्यरत है। बीते साल जय बुढ़ा स्व-सहायता समूह ने 30 से 33 रूपए प्रति किलो की दर से करीब 8187 क्विंटल मोटे अनाज की खरीदी की और प्रसंस्कृत किया। इसके परिणामस्वरूप स्थानीय किसानों को 2.45 करोड़ रुपये का वित्तीय पारिश्रमिक प्राप्त हुआ।

वनांचलों में ग्रामीण आजीविका का तेजी से विस्तार कर रहा छत्तीसगढ़ हर्बल्स

प्रदेश के वनांचलों में ग्रामीण विकास और उत्थान के लिए कार्य किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ अंतर्गत छत्तीसगढ़ हर्बल्स के प्रोडक्ट्स स्थानीय संजीवनी स्टोर, सी-मार्ट और ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स पर भी उपलब्ध हैं। यहां न केवल सर्वश्रेष्ठ हर्बल, आयुर्वेदिक और पर्सनल केयर के प्रोड्क्ट्स बनाए जा रहे हैं, बल्कि इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं और आदिवासी परिवारों को सशक्त बनाना है। इससे न सिर्फ वनोपजों को नई पहचान मिली है, बल्कि पूरा छत्तीसगढ़ आदिवासी महिलाओं और उनके परिवारों के स्वाभिमान, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का नया अध्याय लिख रहा है।

पर्यावरण सहेजने अनेक योजनाएं संचालित

नरवा कार्यक्रम अंतर्गत अब तक वनांचलों के 6395 नालों को पुनर्जीवित कर 22 लाख 92 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को उपचारित किया जा चुका है। इससे नालों के आसपास के क्षेत्र में भू-जल स्तर में वृद्धि हुई है। निस्तार और सिंचाई के लिए जल की उपलब्धि बढ़ी है। जमीन में नमी भी बढ़ी है। छत्तीसगढ़ के वनांचलों में वनोपज आधारित आर्थिक विकास का गति देने के सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश में 65 प्रकार के वनोत्पादों की समर्थन मूल्य पर खरीदी कर उनका वैल्यूएडिशन एवं प्रोसेसिंग का कार्य किया जा रहा है। जिससे वनांचल में रहने वाले लोगों को रोजगार मिल रहा है और उनकी आमदनी भी सुनिश्चित हो रही है। इसके अलावा प्रदेश में मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना अंतर्गत फलदार वृक्षों को प्रोत्साहन मिल रहा है तथा वनावरण में भी वृद्धि हो रही है। इस योजना में लगभग 36 हजार एकड़ में प्लांटेशन करने का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना में किसानों द्वारा विशेष रूचि दिखाई जा रही है। राज्य में योजनांतर्गत अब तक 20 हजार से अधिक कृषकों का पंजीयन हो चुका है, परन्तु 23 हजार से अधिक हितग्राहियों द्वारा लगभग 36 हजार एकड़ निजी भूमि में मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना अंतर्गत वृक्षारोपण के लिए सहमति दी गई है।

यह भी पढ़ें : ‘पृथ्वी अवॉर्ड्स-2023’ से सम्मानित हुआ छत्तीसगढ़! भूपेश का Tweet