‘अंबिका सिंहदेव’ के पति बोले, विधायकी ‘छोड़कर बच्चों के पास इंग्लैंड चली आओ’

(Korea) इन दिनों कोरिया राजा स्वर्गीय रामचंद्र कोरिया की राजनीतिक विरासत संभालने वाली उनकी भतीजी बैकुंठपुर (MLA Ambika Singhdev) विधायक अंबिका सिंहदेव चर्चाओं में बनी हुई हैं।

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  • Updated On - February 2, 2023 / 08:52 AM IST

छत्तीसगढ़। (Korea) इन दिनों कोरिया राजा स्वर्गीय रामचंद्र कोरिया की राजनीतिक विरासत संभालने वाली उनकी भतीजी बैकुंठपुर (MLA Ambika Singhdev) विधायक अंबिका सिंहदेव चर्चाओं में बनी हुई हैं। क्योंकि अभी हाल में उनके पति अमिताभ कुमार घोष ने सोशल मीडिया में राजनीति छोड़ने की अपील कर डाली। उन्होंने अपने फेसबुक पर लिखा कि संसदीय सचिव अंबिका सिंहदेव के पति ने फेसबुक पर ‘मुझे भी कुछ कहना है’ के माध्यम से पोस्ट किया और लिखा कि ”बैकुंठपुर, कोरिया विधायक और संसदीय सचिव होने के साथ अंबिका सिंहदेव बीते २६ साल से मेरी पत्नी हैं और हम एक-दूसरे को ५१ सालों से जानते हैं। हमारे दो बेटे आर्यमन जय घोष और अनिरुद्ध घोष भी हैं। आज मैं मेरी धर्मपत्नी और हमारे बच्चों की मां से अनुरोध करता हूं कि वे सक्रिय राजनीति छोड़ दें”।

अमिताभ कुमार ने इसके साथ विधायक अंबिका सिंहदेव के दोनों पीए भूपेंद्र सिंह और विनय जायसवाल का पत्नी को सहयोग करने के लिए धन्यवाद दिया है। अपने फेसबुक पोस्ट में उन्होंने इनका जिक्र करते हुए लिखा कि ‘पिछले ५ बरस से आप ही दोनों ने मेरी पत्नी के हर काम में साए की तरह साथ दिए हैं, एक आखिरी बार और दे दीजिए। हम हमारे परिवार की ओर से आप दोनों का हमेशा आभारी रहेंगे’। अंबिका सिंहदेव के पति यूके (यूनाइटेड किंगडम) बेस्ड बिजनेसमैन हैं। दंपति के दो बेटे आर्यमन और अनिरुद्ध घोष हैं। ये सभी विदेश में ही रहते हैं।

फेसबुक

छत्तीसगढ़ के प्रथम वित्तमंत्री रामचंद्र सिंहदेव की भतीजी

अंबिका सिंहदेव छत्तीसगढ़ के प्रथम वित्तमंत्री रामचंद्र सिंहदेव की भतीजी हैं। रामचंद्र सिंहदेव कोरिया के राजा कहे जाते थे। वे अविभाजित मध्य प्रदेश में भी कैबिनेट मंत्री रहे। वो कोरिया नरेश और कोरिया कुमार के नाम से भी विख्यात थे। उनकी मौत ५ साल पहले हो गई थी। उनकी भतीजी अंबिका सिंहदेव विधायक और संसदीय सचिव हैं। अंबिका कभी राजनीति में नहीं रहीं। अपने काका रामचंद्र सिंहदेव के निधन के बाद उन्होंने बैकुंठपुर विधानसभा से चुनाव लड़ा और भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे भैयालाल राजवाड़े को हराया। भूपेश सरकार में उन्हें संसदीय सचिव बनाया है।