रायपुर। एक बार फिर स्मार्ट सिटी में हुए भ्रष्टाचार (Corruption in smart city) का मुद्दा एक बार फिर उठा। बता दें, कि बीजेपी विधायक राजेश मूणत ने कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार में इसे बड़े ही जोरशोर से उठाया था। उस दौरान बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं ने समर्थन दिया था। इसमें साइंस कालेज के चौपाटी के विरोध में राजेश मूणत (Rajesh Moonat) ने आमरण अनशन किया था। जहां उन्होंने बिना एनओसी निर्माण कराए जाने को लेकर कांग्रेस सरकार को घेरा था। लेकिन आज समय का पहिया ऐसे घूमा कि कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई।
ऐसे में राजेश मूणत ने प्रचंड जीत हासिल कर जनता के आशिर्वाद से विधानसभा में पहुंचे। अब वे कांग्रेस के शासनकाल में हुए सभी भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर वे हमलावार हैं। उनकी दलील है कि जनता ने कांग्रेस की आताताई सरकार से उबकर बीजेपी को सत्ता की कमान सौंपी है। ऐसे में अब जनता हिसाब मांग रही है कि कांग्रेस सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार में क्या हुआ। यही कारण है वे कोयला घोटाला और महादेव एप सहित अन्य मुद्दे चल रहे वर्तमान विधानसभा सत्र में उठा चुके हैं।
इसी कड़ी में उन्होंने आज सदन में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में अनियमितता का मामला विधायक राजेश मूणत ने उठाया। इस दौरान राजेश मूणत ने अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों की गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है। वहीं वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने जवाब में कहा कि मामले की विभागीय जांच की जाएगी।
विधायक राजेश मूणत ने सदन में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर कहा, अधिकारियों ने मिलीभगत कर एक हज़ार करोड़ रुपये का काम अपनों को दे दिया गया।काम लेकर उसे सबलेट कर दिया गया। केंद्र की स्मार्ट सिटी योजना की कल्पना के अनुरूप काम नहीं किया गया. रायपुर और नया रायपुर में स्मार्ट सिटी मद में आने वाले करोड़ों रुपये की बंदरबांट शुरू हो गई.
1 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा का काम दिया जाना सही नहीं
वहीं आवास एवं पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि रायपुर में दो स्मार्ट सिटी लिमिटेड है। नया रायपुर और रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड। सभी टेंडर्स ऑनलाइन जारी किए गए थे। न्यूनतम दर पर टेंडर दिया गया. कुछ प्रकरणों में सबलेट किया गया।
यह सबलेट रायपुर स्मार्ट सिटी के कुछ टेंडर्स में हुआ, जो 25 फ़ीसदी के तय मानक के अनुरूप है. सक्षम प्राधिकारी की अनुमति से सबलेट किया गया. अधिकारियों की मिलीभगत से एक हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा का काम दिया जाना सही नहीं है।
ओपी चौधरी ने कहा, नया रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड आवास एवं पर्यावरण विभाग के अधीन है, जबकि रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड नगरीय प्रशासन विभाग के अधीन है। ओपी चौधरी ने ये भी कहा कि नया रायपुर में क़रीब 310 करोड़ रुपये के दस काम धीमी गति से चल रहे थे। दो तिहाई पैकेज को निरस्त कर दिया है। जबकि पुराना रायपुर में जो काम धीमी गति से चल रहा है, उसकी जानकारी लेकर सदस्य को उपलब्ध कराया जाएगा।
बिना NOC बना दी चौपाटी
भाजपा विधायक राजेश मूणत ने कहा, 2018 में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट आया था। रायपुर शहर में ट्रैफ़िक व्यवस्था सुधारने के लिए स्मार्ट सिटी फंड से 209 करोड़ रुपये, मल्टीलेवल पार्किंग के लिए 28 करोड़ खर्च हुए। बूढ़ातालाब तो प्रयोगशाला बन गया है। मूल स्मार्ट सिटी की कल्पना जीरो कर दी गई।
सिर्फ़ पांच बड़े प्रोजेक्ट बने हैं. एक भी स्मार्ट रोड नहीं बनी. बिना एनओसी के चौपाटी बना दिया गया। वहीं जवाब में ओपी चौधरी ने कहा, यूथ हब में कैसे एनओसी बनाकर चौपाटी बना दिया गया, इसकी जानकारी नगरीय प्रशासन से लेकर दे दिया जाएगा।
मूणत ने कहा, यूथ हब के नाम पर प्रोजेक्ट लाकर चौपाटी बना दिया. हाईकोर्ट को भी गुमराह कर दिया गया. चुनाव के पहले इतनी हड़बड़ी थी कि दुकानों के अलॉटमेंट की प्रक्रिया तेज कर दी गई. स्मार्ट सिटी के नाम पर लूट मचाकर रख दिया गया था. हम भूख हड़ताल पर बैठे थे. जिन व्यक्तियों ने नियम के विपरीत जाकर काम किया है, उनके खिलाफ जांच की जाएगी?
मूणत के सवाल का जवाब देते हुए ओपी चौधरी ने कहा, सदस्य की चिंता जायज है। इस मामले की विभागीय जांच की जाएगी. चौपाटी हटाने के संबंध में नगरीय प्रशासन विभाग से चर्चा कर कार्रवाई की जाएगी।
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