चुनावी जंग में मुद्दे ‘अमोघ अस्त्र’!, पढ़ें, BJP-कांग्रेस की ‘होड़बाजी’

By : madhukar dubey, Last Updated : April 3, 2023 | 2:56 pm

हैशटैगयू (मधुकर दुबे)। लोकसभा चुनावी समर के पूर्व बीजेपी और कांग्रेस में जंग छिड़ चुकी है। देखा जाए तो BJP के लिए अगर कोई राजनीतिक प्रतिद्वंदी पार्टी है तो वह कांग्रेस ही है। इसके अलावा कोई भी पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर कहीं टिकती नजर नहीं आ रही है। ये दीगर बात है कि कांग्रेस के साथ सभी क्षेत्रीय पार्टियां विपक्ष की भूमिका में आ जाए। लेकिन अभी सिर्फ एक पूर्वानुमान ही लगाया जा सकता है। हां, इतना तय है कि मुख्य लड़ाई पार्टी नहीं, बल्कि ‘वन मैन शो’ पर ही आधारित रहेगी। जैसे पिछली बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा था। उसी तर्ज पर कांग्रेस भी राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के चेहरे पर चुनाव लड़ने के लिए कमर कस चुकी है। यही कारण भी है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का अभियान राहुल गांधी के नेतृत्व में छेड़ा गया था। और सफल भी रहा, जहां भी राहुल गए, वहां जनसमूह उमड़ता दिखा। भले ही ये कितना वोट में तब्दील हो सकता है। फिलहाल, मतगणना के दौरान ही पता चलेगा।

कांग्रेस इस अभियान के बीच हिंडनबर्ग अडानी के मुद्दे को भी लाई। जिसे लोकसभा में उठाने की कोशिश कांग्रेस ने की। लेकिन बीजेपी के राजनीतिक के चाणक्यों के आगे ऐसे घटनाक्रम चले, जिससे राहुल द्वारा मोदी सरनेम के विवाद ने इतना तूल पकड़ा कि सता पक्ष के सांसदों ने ही संसद को चलने नहीं दिया। माफीनामा के बजाए ‘राहुल गांधी’ तटस्थ रहे और अभिव्यक्ति की ‘स्वतंत्रता’ पर ही सवाल खड़े कर दिए।

नतीजा,  कोर्ट के मानहानि के मामले में सजा दिए जाने पर राहुल गांधी की संसद से सदस्यता ही रद्द कर दी गई। वैसे यह कार्रवाई संविधान सम्मत ही थी। लेकिन कांग्रेस इसे सियासी चश्मे से पूरे देश को दिखाने की कोशिश में है। कांग्रेस  के इस कदम को अब BJP ने संविधान की बात नहीं मानना और कोर्ट के खिलाफ जाने वाला बता रही है। पर कांग्रेस, राहुल की संसद से सदस्यता जाने को ‘लोकतंत्र का हनन’ करने वाली बता रही है।

इन सियासी झंझावतों के बीच कांग्रेस के ‘अडानी के मुद्दे पर मोदी से’ सवाल पर बीजेपी बैकफुट पर नजर आ रही है। कांग्रेस का कहना है कि अडानी के खाते में 20 हजार करोड़ रुपए शैल कंपनियों के कैसे गए। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप ताश के पत्तों की तरह कैसे भरभरा कर गिर गई। इसका जवाब बीजेपी दे। यही वो दुखती रग है ‘जिसे कांग्रेस बखूबी’ अब समझती है। ऐसे में कांग्रेस राहुल की संसद सदस्यता जाने और अडानी ग्रुप में जनता के पैसे की कमाई डुबाने जैसे मुद्दे को लेकर लोकसभा के चुनावी समर कूद चुकी है।

कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी कांग्रेस की वर्तमान राजनीतिक नीतियों और राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से डरी हुई है। जिसके कारण कांग्रेस और गैर भाजपा शासित राज्यों में आईटी और ईडी का डर दिखाया जा रहा है। इसके जवाब में बीजेपी का कहना है कि भाजपा ‘क्यों राहुल गांधी’ से डरेगी। अब कांग्रेस ने अपने शासनकाल में सिर्फ बड़े-बड़े घोटाले ही किए हैं। यह भी दावा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकल्प लिया है कि भ्रष्टाचारियों की काली कमाई नहीं होने देंगे। क्योंकि ‘मोदी कहते हैं न खाएंगे, न ही खाने देंगे’।

बहरहाल, इस कार्रवाई को कांग्रेस राजनीतिक द्वेष और बदले की कार्रवाई मानती है। ऐसे में छत्तीसगढ़ भी इन सब से अछूता नहीं है। क्योंकि यहां ईडी के छापे लगातार पड़ रहे हैं। जहां कांग्रेस और भाजपा में जमकर बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप जारी है। कारण, यहां लोकसभा चुनाव से पूर्व विधानसभा चुनाव भी है।

जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आरोप है कि बीजेपी ईडी का इस्तेमाल कर रही है। यह कांग्रेस को डराने की साजिश है। लेकिन कांग्रेस नहीं डरेगी। इस पर बीजेपी का कहना है कि भ्रष्टाचार एजेंसियां अपना काम करने के लिए स्वतंत्र हैं। इस मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे के खिलाफ मुखर हैं। हाल ही में पूर्व सीएम रमन सिंह ने पीडीएस प्रणाली में चावल आपूर्ति में गड़बड़ी के मुद्दे पर सरकार को विधानसभा में घेरा था। जिसे लेकर कल उन्होंने 600 करोड़ रुपए के चावल आपूर्ति में गड़बड़ी की जांच CBI से कराने के लिए ‘केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल’ को पत्र लिखा। जिस पर मुख्यमंत्री भूपेश ने भी कहा, पहले तो वे अपने कार्यकाल में हुए घोटालों की भी जांच करा लें।

पीएम आवास योजना पर बीजेपी मुखर है, जिसे लेकर पीएम आवास को लेकर बीजेपी ने आंदोलन छेड़ा था, और आज भी सांकेतिक रूप से जारी है। इसके अलावा कांग्रेस के वो चुनावी वादे जो पूरे नहीं हुए हैं, उन पर BJP प्रहार करती दिख रही है। खैर, पीएम आवास को लेकर भूपेश का कहना है कि बिना सर्वेक्षण पीएम आवास नहीं दे सकते हैं। वैसे सर्वेक्षण भी शुरू कर दिया गया है।

बेरोजगारी भत्ता देने का बड़ा फैसला भूपेश ने लिया हैं। जिसे इस माह से लागू कर दिया है। लेकिन बीजेपी भत्ते को लेकर सवाल खड़े कर रही है। वैसे भूपेश सरकार की किसानों के लिए लाई गई कल्याणकारी योजनाएं धरातल स्तर दिख रही है। कर्जमाफी और धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के वादे को पूरा करने वाली भूपेश बघेल सरकार की छवि बनी है। जिसे लेकर चुनाव में उतरने जा रही है।

वहीं बीजेपी कांग्रेस को काेयला लेवी घोटाला, चावल घोटाला, शराबबंदी न करने, पीएम आवास नहीं देने सहित स्थानीय मुद्दों पर घेर रही है। वैसे ये आने वाला वक्त ही बताएगा कौन किस पर भारी पड़ेगा। एक कहावत है कि सत्ता के पाने के लिए सब कुछ जायज है। कुछ ऐसी तस्वीर केंद्र से लेकर राज्य में देखने को मिल रही है। इसी बीच सियासत में एक बार फिर कांग्रेस विरोधी लहर बनाने की कोशिश बीजेपी ने कांग्रेस फाइल्स लांच के जरिए कर रही है।