लखमा ने पूर्व मंत्री को ललकारा, बोले मैं तो मां का दूध पीया हूं, जानें, क्यों बोला हमला

आबकारी मंत्री कवासी लखमा अपने बोल वचन के चलते आये दिन सुर्खियों में रहते हैं। इनके बोलने की शैली का चर्चा-ए-आम है।

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  • Publish Date - December 10, 2022 / 05:30 PM IST

छत्तीसगढ़। आबकारी मंत्री कवासी लखमा अपने बोल वचन के चलते आये दिन सुर्खियों में रहते हैं। इनके बोलने की शैली का चर्चा-ए-आम है। शनिवार को उन्होंने आरक्षण के मामले में मीडिया कर्मियों के जरिए पूर्व मंत्री केदार कश्यप को ललकार दिया। उनके एक बायान पर पलटवार करते हुए कवासी लखमा ने कहा कि मैं तो मां का दूध पीया हूं। इसलिए कहा था कि यदि २ तारीख को आरक्षण का मामला विधानसभा में पास नहीं होगा तो मैं इस्तीफा दूंगा। मैंने अपना काम कर दिया। बस राज्यपाल का मुहर लगना बाकी है। यदि केदार कश्यप ने भी अपनी मां का दूध पीया है तो वे भी आरक्षण के मामले को लेकर राज्यपाल के पास जाएं। उनसे विधेयकों पर हस्ताक्षर करने की मांग करें।

” केदार कश्यप को शर्म आनी चाहिए, क्यों कहा यह भी पढ़ें”

कवासी लखमा ने  कहा कि, केदार कश्यप को बोलने में थोड़ी शर्म रखनी चाहिए। बस्तर के ३००० स्कूल बंद करवा दिए। ताड़मेटला में ३०० घर जला दिए। कई आदिवासियों को मरवा दिए हैं। क्या केदार कश्यप खुद आदिवासी नहीं है। उन्हें आदिवासियों की भलाई नहीं करनी है क्या? यदि करनी है तो वे खुद भी राज्यपाल के पास इस मामले को लेकर जाएं। मेरा सवाल यही है कि आखिर वे जा क्यों नहीं रहे हैं।

“आदिवासी हैं राज्यपाल, एक न दिन जरूर साइन करेंगी”

आबकारी मंत्री का कहना है कि छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके भी आदिवासी हैं। वे मध्यप्रदेश की बेटी हैं। आदिवासियों की भलाई करना जानती हैं। मुझे विश्वास है आज नहीं तो कल हमारा काम जरूर करेंगी। आरक्षण के मामले को आदिवासियों को उनका हक दिलाने मैं हाथ जोड़कर दो बार उनके पास गया हूं। जरूरत पड़ी तो और जाऊंगा। यदि वे नहीं करती हैं तो भारतीय जनता पार्टी इसकी जिम्मेदार होगी। फिर हम आरक्षण दिलाने के लिए सड़क की लड़ाई जितना हो सके लड़ेंगे। आदिवासियों को उनका हक जरूर मिलेगा।

केदार कश्यप के इस बयान पर खफा हैं मंत्री लखमा

पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा था कि, कवासी लखमा बोले थे २ तारीख तक यदि पूरा आरक्षण नहीं दिला पाऊं तो अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा। अब तारीख निकल चुकी है। यदि कवासी लखमा असली मां और असली बाप के बेटे हैं तो वे फौरन पद से इस्तीफा दें। आबकारी मंत्री के बयानों के हिसाब से आज छत्तीसगढ़ में आरक्षण लागू नहीं हो पाया। इसी कारण लोगों की विभिन्न पदों में भर्ती नहीं हो पा रही है और न ही नियुक्तियां हो पा रही है। पूरे छ्त्तीसगढ़ में आरक्षण की स्थित शून्य हो गई है।