अस्पताल से जेल लौटे लखमा: आंखों की जांच के बाद फिर भेजे गए सेंट्रल जेल

कांग्रेस ने हाल ही में आरोप लगाया था कि जेल में बंद कवासी लखमा के इलाज में गंभीर लापरवाही की जा रही है।

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  • Publish Date - November 19, 2025 / 07:00 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले (liquor scam) मामले में पिछले 10 महीने से रायपुर सेंट्रल जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को सोमवार को इलाज के लिए अंबेडकर अस्पताल लाया गया। अस्पताल में उनकी आंखों का विस्तृत चेकअप किया गया। जांच पूरी होने के बाद उन्हें सुरक्षा घेरे में दोबारा सेंट्रल जेल भेज दिया गया। शासन ने पूरे दौरान पुलिस बल की विशेष व्यवस्था की थी ताकि इलाज सुरक्षित माहौल में हो सके।

कांग्रेस ने हाल ही में आरोप लगाया था कि जेल में बंद कवासी लखमा के इलाज में गंभीर लापरवाही की जा रही है। इसी शिकायत के बाद पूर्व विधायक विकास उपाध्याय और कुलदीप जुनेजा ने डीजीपी अरुण देव गौतम से मुलाकात की थी और लखमा को तुरंत अस्पताल में भर्ती करने की मांग रखी थी।

कांग्रेस का कहना था कि छह बार के विधायक और राज्य के पूर्व मंत्री रहे कवासी लखमा के इलाज में सरकार पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रही है। विकास उपाध्याय ने दावा किया कि जेल अस्पताल ने खुद लखमा को बाहर रेफर किया था, लेकिन उन्हें अस्पताल ले जाने में देरी की गई।

पूर्व मंत्री कवासी लखमा को ईडी ने 15 जनवरी 2025 को शराब घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया था। वे इस समय रायपुर सेंट्रल जेल में न्यायिक हिरासत में हैं।

ईडी का आरोप है कि लखमा शराब सिंडिकेट का अहम हिस्सा थे और उसी के निर्देश पर पूरा नेटवर्क चलता था। शराब नीति में बदलाव और FL-10 लाइसेंस शुरू करने में भी उनकी भूमिका बताई गई है। ईडी का दावा है कि विभाग में गड़बड़ियों की जानकारी होने के बावजूद उन्होंने कार्रवाई नहीं की।

ईडी ने कोर्ट में बताया था कि कथित शराब घोटाले के तीन वर्षों में लखमा को हर महीने करीब 2 करोड़ रुपए मिलते थे। तीन साल में उन्हें 72 करोड़ रुपए मिले, जिनसे उनके बेटे हरीश कवासी का घर और सुकमा कांग्रेस भवन का निर्माण हुआ।

ईडी के अनुसार, इस घोटाले से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ और शराब सिंडिकेट के लोगों ने 2,100 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध कमाई की। जांच में सामने आया कि भूपेश बघेल सरकार के दौरान IAS अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के नेटवर्क के जरिए यह घोटाला संचालित हुआ।