Korwa Tribes: कभी जल-जंगल की आदिम दुनिया में बीत रही थी जिंदगी, अब शिक्षा की रोशनी से मिली राहें

घने जंगलों में नदी और बड़े-बड़े नालों के किनारे पहाड़ी कोरवाओं के जाति की बस्ती थी। जिन्हें आमतौर पर आदिवासी ही कहा जाता है।

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  • Updated On - November 1, 2022 / 12:59 PM IST

पहाड़ी कोरवाओं जाति के युवकों की बदली सोच, सरकारी नौकरी भी की हासिल

छत्तीसगढ़। घने जंगलों में नदी और बड़े-बड़े नालों के किनारे पहाड़ी कोरवाओं के जाति की बस्ती थी। जिन्हें आमतौर पर आदिवासी ही कहा जाता है। एक समय था, जब वे अपने समाज के परंपरागत कामों को ही करते थे। जिससे उनकी जिंदगी कटती थी, लेकिन अब जशपुर जिले में इनके हालत बदल गए हैं। अब वे शिक्षा की तरफ मुड़ चुके हैं, नतीजा वे पढ़ लिखकर जागरुक तो हो ही रहे हैं। साथ ही प्राइवेट और सरकारी नौकरी में भी अपनी जगह बना लिये है। यानी अब ये समुदाय पूरी तरह से समाज की मुख्य धारा से जुड़ चुका। बहरहाल, इसमें सबसे बड़ा योगदान सरकार के पहल की है। क्योंकि सरकार ने इनको स्थायी रूप से बसाने के लिए इनको वनाधिकार का पट्टा भी दे रही है। क्योंकि ये घूमंतु रूप में अपने परिवार के साथ जगह-जगह जंगलों में या बस्ती में डेरा डालकर समय बीताते थे। कभी शिकार तो कभी दूसरों पर निर्भर रहते थे। लेकिन अब वे आत्मनिर्भर बनने की बढ़ चुके हैं।

115 पहाड़ी कोरवा युवक-युवतियों को शिक्षक एवं सहायक शिक्षक के पद पर नौकरी

पिछले दो साल में जिला खनिज न्यास निधि से 115 विशेष पिछडी पहाड़ी कोरवा जनजाति के शिक्षित युवक युवतियों को अतिथि शिक्षक की नौकरी दी गईं है। इसके अतिरिक्त पूर्व में 36 को शिक्षक, तृतीय श्रेणी के पदों पर 23, चतुर्थ श्रेणी (नियमित) 33, चतुर्थ श्रेणी (कंटीजेंसी) 221 पदों पर भर्ती की गईं है। अब तक पहाड़ी कोरवा समुदाय के कुल 428 शिक्षित युवक युवतियों को शासकीय नौकरी में नियुक्ति प्रदान कर उनके जीवन में खुशियों का नया रंग भर दिया गया है।

अब तक ये हुए है शिक्षा के सरकारी योजनाओं से प्रयास

विशेष पिछड़ी पहाड़ी कोरवा जनजाति के बदलाव और उनके उत्थान का एकमात्र रास्ता शिक्षा है जिसके माध्यम से वे विकास के अनेक सोपान तय कर सकते है इसके लिए आदिम जाति विकास विभाग द्वारा उनके लिए छात्रावास आश्रम की स्थापना की गईं है। जिसमें वर्तमान में कुल 850 बालक बालिका है। पहाड़ी कोरवा समुदाय के बच्चों के लिए पृथक से पहाड़ी कोरवा आवासीय विद्यालय रूपसेरा में स्थापित है जहाँ कक्षा 1से 10 तक प्रत्येक कक्षा में 10 बालक और 10 बालिकाओं के लिए सीट स्वीकृत है जिसमें 200 सीटें स्वीकृत है। इसके अतिरिक्त भी कई अन्य स्कूलों में पहाड़ी कोरवा बच्चे अध्ययनरत है।

पहाड़ी कोरवा बालिकाओं के लिए तीन कन्या एवं एक बालक आश्रम को आदर्श आश्रम के रूप में विकसित किया गया है। जिले के एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में कुल 71 बच्चे, प्रयास आवासीय में 2 बच्चे अध्ययनरत है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के महत्वकांक्षी योजना स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय बगीचा में वर्तमान में 12 बच्चे अध्ययन कर रहे है। जो यह प्रदर्शित कर रहा है कि जिला प्रशासन के द्वारा पहाड़ी कोरवा समुदाय के बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने की दिशा में किये जा रहे प्रयास अब सफल हो रहे हैं। अन्य शासकीय स्कूलों में वर्तमान में 1652 छात्र छात्राएं कक्षा 1 से 12 तक अध्यनरत कर रहे है। अब तक ९१ पहाड़ी कोरवा बसाहटो में विशेष स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया है।

इन योजनाओं ने भी इन्हें दी आगे बढ़ने की संजीवनी

जिसमें पहाड़ी कोरवा मरीजों को लाभान्वित करते हुए आवश्यकतानुसार औषधि वितरण किया गया है एवं उनमें बीमारियों के रोकथाम के लिए जागरूकता लाई जा रही है। विशेष पिछडी जनजाति पहाड़ी कोरवाओं के विभिन्न योजनाओं के तहत लाभान्वित किया गया है जिसमें पूरक पोषण आहार में 4377, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान में 856, अतिरिक्त पोष्टिक आहार से लाभान्वित 3168, मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना 571, मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में 06 हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया है।

पहाड़ी कोरवा परिवार के  697 व्यक्तियों को दिया गया व्यक्तिगत वन अधिकार पट्टा

पहाड़ी कोरवाओं की जीविका का मुख्य आधार क़ृषि है,उन्हें उन्नत एवं आधुनिक खेती की दिशा में वे धीरे से आगे बढ़ें। इसके लिए जिला प्रशासन पहाड़ी कोरवाओं को आधुनिक क़ृषि के लिए प्रशिक्षित एवं जागरूक कर रहा है जशपुर जिले के इस जनजातीय समुदाय के लिए डबरी निर्माण, भूमि सुधार, कुंआ निर्माण, जैसे कार्य किये जा रहे है। सौर सूजला योजनातर्गत पहाड़ी कोरवाओं को 44 सोलर पम्प उपलब्ध कराये गए है। साथ ही सब्जी एवं मसाला मिनी किट,स्प्रिंकलर सेट भी प्रदान किया गया है। जिसके माध्यम से उन्होंने उन्नत कृषि से अपनी आय में बढ़ोतरी भी की है। वर्तमान में उन्हें चाय कॉफी की खेती की दिशा में भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। पहाड़ी कोरवा परिवार के सदस्यों को 697 व्यक्तियों को 535.708 हेक्टेयर व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र, 421 को 10704.216 हेक्टेयर वन अधिकार पत्र एवं 48 को 20164.577 हेक्टेयर सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र भी वितरित किया गया है। पहाड़ी कोरवाओं जनजातीय परिवार के युवाओं को आर्थिक विकास के लिए स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास जिला प्रशासन के द्वारा किया गया है।