लोकसभा चुनावी दंगल : ‘राजनांदगांव-कांकेर-महासमुंद’ का सियासी मिजाज! कल वोटिंग
By : hashtagu, Last Updated : April 25, 2024 | 3:06 pm
भाजपा ने जहां इन सीटों पर अपने बड़े नेताओं की नौ सभाएं की तो वहीं कांग्रेस की एक-दो सभाएं ही हो पाईं। राजनांदगांव से जहां पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का मुकाबला वर्तमान सांसद संतोष पांडेय से है तो वहीं महासमुंद से पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू के सामने भाजपा की पूर्व विधायक रुपकुमारी चौधरी हैं। कांकेर में कांग्रेस के बीरेश ठाकुर का भाजपा के भोजराज नाग से मुकाबला है।
राजनांदगांव: कांग्रेस के लिए बेरोजगारी-महंगाई बड़ा मुद्दा
यहां पर कांग्रेस ने बेरोजगारी- महंगाई और जीएसटी को बड़ा मुद्दा बनाया है। एक दिन पहले ही कांग्रेस की रैली का पूरा फोकस इसी पर था। जीएसटी, बेरोजगारी और महंगाई के विरोध में प्रदर्शन किया गया। वहीं भाजपा ने कांग्रेस के पिछले पांच साल के कार्यकाल में रुके विकास कार्यों को मुद्दा बनाया है। इसके अलावा कांग्रेस के तथाकथित घोटालों को लेकर भाजपा मुखर है। डोंगरगढ़-कवर्धा- कटघोरा रेल लाइन के कामों को रोके रखने, नए जिलों का विकास नहीं करने जैसे मुद्दे भी सामने हैं।
जातिगत समीकरण: यहां कभी नहीं चला जातिगत फैक्टर : राजनांदगांव में जाति का फैक्टर अब तक कभी नहीं चला। इस बार कांग्रेस ने ओबीसी वर्सेस सवर्ण बनाने की पूरी कोशिश की है। पिछले चुनाव में भोलाराम एक लाख से अधिक तो 2014 में कमलेश्वर वर्मा को लगभग ढाई लाख वोटों से हार झेलनी पड़ी थी।
जीत का फैक्टर : लोकसभा में महिला वोटर्स ज्यादा हैं। जिस कैंडिडेट को महिलाओं के वोट ज्यादा मिलेंगे उसे फायदा मिलेगा। राज्य सरकार की महतारी वंदन योजना चालू है। कांग्रेस महालक्ष्मी योजना का फार्म भरवा रही है।
भाजपा में शाह और योगी, कांग्रेस से प्रियंका ने ली सभा : भाजपा की ओर से गृहमंत्री अमित शाह ने खैरागढ़ में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी ने कुमर्दा में सभा ली जबकि कवर्धा में मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव ने चुनाव प्रचार किया था। जबकि कांग्रेस की ओर से डोंगरगांव के मोहड़ में प्रियंका गांधी की सभा हुई।
महासमुंद: भाजपा मोदी के 10 साल के कार्यकाल के सहारे
महासमुंद लोकसभा सीट पर भाजपा के लिए पीएम मोदी के 10 साल और प्रदेश में भाजपा सरकार के तीन महीने के कार्यकाल और कांग्रेस शासनकाल की गड़बडि़यां ही बड़ा मुद्दा है जबकि कांग्रेस मोदी सरकार द्वारा संविधान बदलने, आरक्षण खत्म करने तथा भाजपा सरकार के योजनाओं की खामियां गिनाई जा रही है।
जातिगत समीकरण : 51 फीसदी मतदाता ओबीसी: महासमुंद में लगभग 51 फीसदी मतदाता अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं। इनमें साहू, कुर्मी, अघरिया, यादव और कोलता समाज की बहुलता है। एसटी 20 फीसदी जबकि एससी के 11 फीसदी वोटर्स हैं। अनारक्षित वर्ग के लगभग 12 फीसदी मतदाता हैं।
जीत का फैक्टर: कांग्रेस को साहू वोटों पर भरोसा है। 15 साल से यहां साहू समाज के ही सांसद चुने गए हैं। इस बार भाजपा ने रूपकुमारी चौधरी को टिकट दिया है। कांग्रेस साहू वोटों के ध्रुवीकरण पर जोर दे रही है। वहीं भाजपा मोदी के चेहरे और केंद्र के 10 साल के कार्यकाल के भरोसे मैदान में है।
साय की चार सभाएं तो कांग्रेस स्थानीय नेताओं के सहारे: महासमुंद में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने चार सभाएं लीं। वहीं कांग्रेस की कोई बड़ी सभा आयोजित नहीं हुई। पूरा चुनाव प्रचार स्थानीय नेताओं के भरोसे हो रहा है। कांग्रेस की ओर से चंदन यादव, रंजीत रंजन, राधिका खेड़ा ने प्रेसवार्ता की।
कांकेर: मोदी वर्सेस कांग्रेस के बीच ही रहा पूरा चुनाव प्रचार
कांकेर में स्थानीय मुद्दे पुरी तरह गायब हैं। यहां भाजपा केवल मोदी के नाम पर पूरा कैम्पेन चला रही है। एक प्रकार से यहां चुनाव मोदी वर्सेस कांग्रेस के बीच ही लड़ा जा रहा है। यहां पर स्थानीय मुद्दे पूरी तरह से गौण रहे।
जातिगत समीकरण: कांकेर की तीनों विधानसभा में 40 प्रतिशत गोंड, 15 प्रतिशत हल्बा, 30 प्रतिशत ओबीसी तथा शेष 15 प्रतिशत सामान्य वर्ग के लोग हैं। दोनों ही दलों के नेता सभी वर्गों पर फोकस कर मैदान में हैं।
जीत का फैक्टर: भाजपा पूरी तरह मोदी के नाम पर आश्रित है। कांग्रेस प्रत्याशी बीरेश ठाकुर 2019 का चुनाव मात्र 6914 वोटों से हारे थे। पिछले चुनाव में हार को लेकर वे सहानुभूति लहर बनाने कोशिश कर रहे हैं।
गृहमंत्री शाह, सीएम साय कर चुकें हैं सभाएं : कांकेर में भाजपा की ओर से गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सभाएं ली हैं। वहीं प्रदेश के स्थानीय भाजपा नेता भी पूरी ताकत झोंके हुए है जबकि कांग्रेस की ओर से कोई स्टार प्रचारक नहीं आया। प्रत्याशी ही गांव-गांव पहुंच रहे हैं। भानुप्रतापपुर विधायक सावित्री मंडावी ही कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करती दिख रही है और अन्य बड़े नेता चुनाव प्रचार से ही गायब हैं।
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