मन की बात : भाजपा दिग्गजों ने सुनी! जानिए, ‘PM मोदी’ की वो गूढ़ विचार…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकप्रिय कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 113वीं कड़ी रविवार को कुशाभाऊ ठाकरे परिसर स्थित भारतीय जनता पार्टी

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  • Updated On - August 25, 2024 / 05:50 PM IST

रायपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकप्रिय कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 113वीं कड़ी (113th episode Mann Ki Baat) रविवार को कुशाभाऊ ठाकरे परिसर स्थित भारतीय जनता पार्टी (BJP Kushabhau Thackeray campus) के प्रदेश कार्यालय में सुनी गई।

  • इस मौके पर प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन, प्रदेश अध्यक्ष किरण देव, केंद्रीय मंत्री तोखन साहू, मुरलीधर मोहोल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. सरोज पांडेय, प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय, मंत्री केदार कश्यप, सदस्यता अभियान प्रभारी अनुराग सिंहदेव, विधायक गुरु खुशवंत साहेब, प्रदेश उपाध्यक्ष भूपेंद्र सवन्नी, महामंत्री संजय श्रीवास्तव, रामू रोहरा, पूर्व नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, पूर्व विधायक रजनीश सिंह, सौरभ सिंह, अनुसूचित जाति मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष नवीन मार्कण्डेय, प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी, प्रदेश प्रवक्ता अमित साहू, अमरजीत सिंह छाबड़ा, उमेश घोरमोड़े, अमित मैशरी, सोमेश पांडेय, मितुल कोठारी, संदीप उपाकर, आदित्य कुरील, सौरभ कोतू, लोकेश पवार सहित वरिष्ठ नेता उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में लोगों से बात की। इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष जगत से जुड़े युवाओं से बात की। उन्होंने राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस और चंद्रयान-3 को लेकर भी बात की। इस दौरान श्री मोदी ने कहा कि 21वीं सदी के भारत में कितना ही कुछ ऐसा हो रहा है, जो विकसित भारत की नींव मजबूत कर रहा है। जैसे दो दिन पूर्व ही 23 अगस्त को ही हम सब देशवासियों ने पहला नेशनल स्पेस डे (राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस) मनाया। पिछले वर्ष इसी दिन चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी हिस्से में शिव-शक्ति बिंदु पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की थी। भारत इस गौरवपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बना था।

बिना राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले युवाओं पर क्या कहा?

  • प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस साल मैंने लाल किले से बिना राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले एक लाख युवाओं को राजनीतिक व्यवस्था से जोड़ने का आह्वान किया है। मेरी इस बात पर जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई है। इससे पता चलता है कि कितनी बड़ी संख्या में हमारे युवा राजनीति में आने को तैयार बैठे हैं। बस, उन्हें सही मौके और सही मार्गदर्शन की तलाश है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी समाज के हर क्षेत्र से ऐसे अनेकों लोग सामने आए थे, जिनकी कोई राजनीतिक पृष्टभूमि नहीं थी। उन्होनें खुद को भारत की आजादी के लिए झोंक दिया था। आज हमें विकसित भारत का लक्ष्य पाने के लिए एक बार फिर उसी भावना की जरूरत है। श्री मोदी ने सभी युवा साथियों से अपील की कि वे इस अभियान से जरूर जुड़ें।

‘हर घर तिरंगा और पूरा देश तिरंगा’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘हर घर तिरंगा और पूरा देश तिरंगा’ अभियान इस बार अपनी पूरी ऊँचाई पर रहा। देश के कोने-कोने से इस अभियान से जुड़ी अद्भुत तस्वीरें सामने आई हैं। हमने घरों पर तिरंगा लहराते देखा। स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालयों में तिरंगा देखा। लोगों ने अपनी दुकानों, दफ्तरों में तिरंगा लगाया। लोगों ने अपने डेस्कटॉप, मोबाइल और वाहनों पर भी तिरंगा लगाया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश के हर कोने जल-थल-नभ हर जगह हमारे झंडे के तीन रंग दिखाई दिए। हर घर तिरंगा वेबसाइट पर पांच करोड़ से ज्यादा सेल्फी भी पोस्ट की गई। इस अभियान ने पूरे देश को एक सूत्र में बांध दिया है और यही तो ‘एक भारत- श्रेष्ठ भारत’ है।

असम और अरुणाचल को लेकर कही यह बात

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘असम में तिनसुकिया जिले के छोटे से गांव बारेकुरी में मोरान समुदाय के लोग रहते हैं और इसी गांव में रहते हैं ‘हूलॉक गिबन’, जिन्हें यहां ‘होलो बंदर’ कहा जाता है। हूलॉक गिबन्स ने इस गांव में ही अपना बसेरा बना लिया है। इस गांव के लोगों का हूलॉक गिबन के साथ बहुत गहरा संबंध है। गांव के लोग आज भी अपने पारंपरिक मूल्यों का पालन करते हैं। इसलिए उन्होंने वे सारे काम किए, जिससे गिबन्स के साथ उनके रिश्ते और मजबूत हों। उन्हें जब यह एहसास हुआ कि गिबन्स को केले बहुत पसंद हैं, तो उन्होंने केले की खेती भी शुरू कर दी। इसके अलावा उन्होंने तय किया कि गिबन्स के जन्म और मृत्यु से जुड़े रीति-रिवाजों को वैसे ही पूरा करेंगे, जैसा वे अपने लोगों के लिए करते हैं।’

  • मोदी ने कहा, ‘पशुओं के प्रति प्रेम में हमारे अरुणाचल प्रदेश के युवा साथी भी किसी से पीछे नहीं हैं। अरुणाचल में हमारे कुछ युवा-साथियों ने 3-डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करना शुरू किया है, क्योंकि वे वन्य जीवों को सींगों और दाँतों के लिए शिकार होने से बचाना चाहते हैं। नाबम बापू और लिखा नाना के नेतृत्व में ये टीम जानवरों के अलग-अलग हिस्सों की 3-डी प्रिंटिग करती है। जानवरों के सींग हों, दाँत हों, ये सब, 3-डी प्रिंटिंग से तैयार होते हैं। इससे फिर ड्रेस और टोपी जैसी चीजें बनाई जाती हैं। इस गजब का विकल्प है, जिसमें बायो-डिग्रेडेबल सामग्री का उपयोग होता है। ऐसे अद्भुत प्रयासों की जितनी भी सराहना की जाए कम है। अधिक से अधिक स्टार्ट-अप्स इस क्षेत्र में सामने आएँ ताकि हमारे पशुओं की रक्षा हो सके और परंपरा भी चलती रहे।

मध्य प्रदेश के झाबुआ की तारीफ में पढ़े कसीदे

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मध्यप्रदेश के झाबुआ में, कुछ ऐसा शानदार हो रहा है, जिसे आपको जरूर जानना चाहिए। वहाँ पर हमारे सफाई-कर्मी भाई-बहनों ने कमाल कर दिया है। इन भाई-बहनों ने हमें ‘वेस्ट टू वेल्थ’ (अपशिष्ट से धन तक) का संदेश सच्चाई में बदलकर दिखाया है। इस टीम ने झाबुआ के एक पार्क में कचरे से अद्भुत कलाकृतियां तैयार की हैं। अपने इस काम के लिए उन्होंने आसपास के क्षेत्रों से प्लास्टिक अपशिष्ट, इस्तेमाल की हुई बोतलें, टायर्स और पाइप इकट्ठा किए। इन कलाकृतियों में हेलीकॉप्टर, कार और तोपें भी शामिल हैं। खूबसूरत हैंगिंग गुलदस्ते भी बनाए गए हैं। यहाँ इस्तेमाल किए गए टायरों का उपयोग आरामदायक बेंच बनाने के लिए किया गया है। सफाई कामगारों की इस टीम ने रिड्यूस, रीयूज और रीसाइकिल का मंत्र अपनाया है।

  • मोदी ने कहा, ‘हमारे देश में कई सारी स्टार्ट-अप्स टीम भी पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए ऐसे प्रयासों से जुड़ रही है। ई-कॉन्सियस नाम की एक टीम है, जो प्लास्टिक अपशिष्ट का उपयोग पर्यावरण अनुकूल उत्पाद बनाने में कर रही है। इसका विचार उन्हें हमारे पर्यटन स्थलों, विशेषकर पहाड़ी इलाकों में फैले कचरे को देखकर के आया। ऐसे ही लोगों की एक और टीम ने ईकोकारी नाम से स्टार्ट-अप शुरू किया है। ये प्लास्टिक अपशिष्ट से अलग-अलग खूबसूरत चीजें बनाते हैं। टॉय रीसाइकिलिंग ऐसा एक क्षेत्र है, जिसमें हम मिलकर काम कर सकते हैं। आप भी जानते हैं कि कई बच्चे कितनी जल्दी खिलौनों से ऊब हो जाते हैं। वहीं, ऐसे बच्चे भी हैं, जो उन्हीं खिलौनों का सपना संजोए होते हैं। ऐसे खिलौने जिससे अब आपके बच्चे नहीं खेलते, उन्हें आप ऐसी जगहों पर दे सकते हैं, जहां उनका उपयोग होता रहे। ये भी पर्यावरण की रक्षा का एक अच्छा रास्ता है।

देश-विदेश में संस्कृत के प्रति लोगों का विशेष लगाव

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने रक्षाबंधन का भी जिक्र किया। 19 अगस्त को रक्षाबंधन के पर्व के साथ उसी दिन पूरी दुनिया में ‘विश्व संस्कृत दिवस’ भी मनाया गया। आज भी देश-विदेश में संस्कृत के प्रति लोगों का विशेष लगाव दिखता है। दुनिया के कई देशों में संस्कृत भाषा को लेकर तरह-तरह की रिसर्च और प्रयोग हो रहे हैं।

1 सितम्बर से 30 सितम्बर के बीच पोषण माह मनाया जाता है

प्रधानमंत्री ने कहा कि बच्चों का पोषण देश की प्राथमिकता है। वैसे तो उनके पोषण पर पूरे साल हमारा ध्यान रहता है, लेकिन एक महीना देश इस पर विशेष फोकस करता है। इसके लिए हर साल 1 सितम्बर से 30 सितम्बर के बीच पोषण माह मनाया जाता है। पोषण को लेकर लोगों को जागरूक बनाने के लिए पोषण मेला, एनीमिया शिविर, नवजात शिशुओं के घर पर विजिट, सेमिनार, वेबिनार जैसे कई तरीके अपनाए जाते हैं। कितनी ही जगहों पर आंगनवाड़ी के तहत मां-बच्चा समिति की स्थापना भी की गई है। पिछले वर्ष पोषण अभियान को नई शिक्षा नीति से भी जोड़ा गया है। ‘पोषण भी पढ़ाई भी’ इस अभियान के द्वारा बच्चों के संतुलित विकास पर फोकस किया गया है। सभी देशवासियों को भी अपने क्षेत्र में पोषण के प्रति जागरूकता वाले अभियान से जरूर जुड़ना चाहिए।

‘मन की बात’ के बारे में जानिए

रेडिया पर प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम की यह 113वीं कड़ी थी। इससे पहले 28 जुलाई को ‘मन की बात’ की 112वीं कड़ी प्रसारित हुई थी। तब पीएम मोदी ने पेरिस ओलिंपिक, मैथ्स ओलंपियाड, असम मोइदम, टाइगर डे, वनों के संरक्षण और स्वतंत्रता दिवस जैसे मुद्दों पर बात की थी। मन की बात को 22 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों के अलावा 11 विदेशी भाषाओं में भी प्रसारित किया जाता है। इनमें फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू, फारसी, दारी और स्वाहिली शामिल हैं। ‘मन की बात’ का प्रसारण आकाशवाणी के 500 से अधिक केंद्रों द्वारा किया जाता है। ‘मन की बात’ का पहला कार्यक्रम 3 अक्तूबर 2014 को प्रसारित हुआ था।

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