रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (Chief Minister Vishnudev Sai) के कैबिनेट में अनुभव और योग्यता की कसौटी पर मंत्री की योग्यता के आधार पर विभाग बांटे (Divide departments) गए हैं। छत्तीसगढ़ सरकार का स्वरूप शुक्रवार को फाइनल हो गया। सभी 12 मंत्रियों में विभाग बांट दिए गए हैं। इसके साथ ही ये भी बता दिया गया कि ताकत का बंटवारा करीब-करीब बराबर हुआ है। विभागों के मामले में प्रदेश सरकार में CM ही वन मैन शो हुआ करते थे, लेकिन इस बार परंपराओं को तोड़ा गया है। बजट के लिहाज से सबसे बड़ा विभाग बृजमोहन अग्रवाल के हाथ आया है।
भूपेश सरकार ने 1 लाख 21 हजार 500 करोड़ का बजट पेश किया था। इसमें 19 हजार 489 करोड़ बजट का प्रावधान स्कूल शिक्षा विभाग के लिए किया गया। कैबिनेट के सबसे सीनियर बृजमोहन इस विभाग के मंत्री बनाए गए हैं। वहीं पहली बार विधायक और मंत्री बनी लक्ष्मी राजवाड़े के पास 1 हजार 125 करोड़ के बजट वाला समाज कल्याण विभाग आया है।
अब तक परंपरा रही है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री वित्त जनसंपर्क, खनिज, ऊर्जा सरीखे विभाग अपने पास रखते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। वित्त विभाग ओपी चौधरी को दिया गया। आबकारी विभाग मुख्यमंत्री के पास है, ये भी अब तक नहीं हुआ था। पिछली कांग्रेस सरकार में आबकारी विभाग कवासी लखमा और रमन सरकार में अमर अग्रवाल के पास था।
टंकराम वर्मा : स्कूल टीचर रहे, रायपुर ग्रामीण में भाजपा के आंदोलनों के जरिए संगठन को मजबूत किया खेलकूद, युवा कल्याण राजस्व जैसे विभागों का अनुभव नहीं है।
ओपी चौधरी : पूर्व IAS रहे चौधरी को उच्च शिक्षा, युवा कल्याण दिए जाने की चर्चा थी। युवाओं के बीच लोकप्रिय चेहरा हैं, मगर वित्त विभाग इन्हें देकर सरकार ने चौंकाने वाला फैसला किया है।
श्याम बिहारी जायसवाल : किसान नेता रहे जायसवाल एमएससी की पढ़ाई कर चुके हैं। स्वास्थ्य संबंधी मामलों में इन्हें अनुभव नहीं है। इन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाना चर्चा का विषय बन चुका है।
लखनलाल देवांगन : पार्षद से लेकर महापौर तक पद पर काम करने का अनुभव है, विभाग मिला वाणिज्य और उद्योग।
दयालदास और लक्ष्मी राजवाड़े : सबसे कम उम्र की मंत्री लक्ष्मी 31 साल की हैं, 12वीं तक पढ़ी हैं। इन्हें महिला बाल-विकास मंत्री बनाया गया है। दयालदास 10वीं तक पढ़ें हैं। ये प्रदेश सरकार में सबसे कम पढ़े लिखे मंत्री हैं। खाद्य-नागरिक आपूर्ति विभाग इन्हें दिया गया है।
ये पहली बार है जब मुख्यमंत्री के पास आबकारी विभाग होगा। रमन सिंह, भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री रहते इसके लिए अलग मंत्री थे। प्रदेश में सबसे अधिक राजस्व इसी विभाग से आता है। परिवहन भी CM के पास है। मुख्यमंत्री आदिवासी हैं, इन प्रमुख विभागों को उन्हें सौंपकर सरकार की छवि में सत्ता की शक्ति बराबर बंटवारा करने का प्रयास है।
अरुण साव
अरुण साव भाजपा की पिछली सरकार में हाईकोर्ट में बतौर वकील सरकार का पक्ष कई मामलों में रख चुके हैं। चुनावी अभियान में कानून व्यवस्था को लेकर पहली बार बुलडोजर वाले बयान दिए और सरकार बनते ही इसका असर देखने को मिला। माना जा रहा है कि कानूनी ज्ञान की वजह से साव को विधि विधायी विभाग मिला है।
OBC नेता हैं उन्हें PWD, नगरीय प्रशासन जैसे अहम विभाग देकर उनकी प्रोफाइल को दमदार करने का प्रयास है। प्रदेश में गरीबों के मकान, शहरों के विकास के मुद्दे पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहते साव ने जो आंदोलन किए भाजपा के लिए वो जीत का कारण बने इस वजह से ये विभाग उनके जिम्मे आए।
विजय शर्मा
पहली बार विधायक बने विजय शर्मा युवा मोर्चा में छात्र समस्याओं पर राजनीति कर चुके हैं। तेज तर्रार नेता के रूप में इनकी छवि है। कानून व्यवस्था के मामले में फायर ब्रांड नेता माने जाते हैं। प्रदेश सरकार का युवा हिंदू चेहरा हैं।
डिप्टी CM हैं, उनकी छवि के मुताबिक गृह विभाग उन्हें मिला है। शर्मा मौजूदा सरकार में MSC फिजिक्स के डिग्रीधारी मंत्री हैं। सरकार के मंत्रियों में युवा छवि के नेता हैं। रोजगार और विज्ञान प्रौद्योगिकी जैसे विभाग इन्हें दिए गए हैं।
लखन लाल देवांगन
कोरबा के रहने वाले देवांगन औद्योगिक नगरी से ताल्लुक रखते हैं। कई श्रमिक आंदोलनों में हिस्सा लेते रहे हैं। पार्षद से राजनीतिक करियर की शुरुआत कर महापौर और अब विधायक बने। कोरबा से लंबे वक्त के बाद भाजपा को जीत दिलाने में इनका हाथ है। हालांकि इन्हें नगरीय प्रशासन विभाग मिलने की चर्चा थी
श्याम बिहारी जायसवाल
श्याम बिहारी जायसवाल को दिए विभाग को लेकर चर्चा ये भी है कि स्वास्थ्य विभाग का मंत्री बनने में बाकी नेताओं की खासी दिलचस्पी नहीं रही। हालांकि ये जनता के लिहाज से अहम विभाग है।
लक्ष्मी राजवाड़े
साय कैबिनेट की अकेली महिला मंत्री हैं। भाजपा महिला मोर्चा में लंबे वक्त से काम करती आ रहीं हैं। सबसे छाटी उम्र की महज 31 साल की मंत्री हैं। ऐसे में महिला एवं बाल विकास का जिम्मा सौंपा गया है।
ओपी चौधरी
ओपी IAS की नौकरी छोड़ राजनीति में आए हैं। छत्तीसगढ़ का वित्त विभाग उन्हें दिया गया है। अब तक ये विभाग मुख्यमंत्री के पास ही हुआ करता था। आवास एवं पर्यावरण विभाग भी इनके पास है। प्रदेश में आवास के मामले में आंदोलनों का चौधरी अहम हिस्सा रहे। केंद्र से आवास की योजनाओं को जोड़कर बेहतर ढंग से प्रदेश में लागू किया जा सके, इसलिए ओपी को ये विभाग दिया गया है। IAS रहने के दौरान योजना बनाने और लागू करने पर काम कर चुके हैं।
टंकराम वर्मा
टंकराम वर्मा शिक्षक रह चुके हैं। भाजपा सरकार के वक्त मंत्रियों के PA भी रहे। लम्बे वक्त से रायपुर के ग्रामीण इलाकों में राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे हैं। खेलकूद युवा कल्याण, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन जैसा प्रमुख विभाग पहली बार विधायक बने नेता को देकर सरकार ने प्रयोग किया है।
बृजमोहन अग्रवाल
इस बार भी भाजपा ने बृजमोहन अग्रवाल को करीब-करीब वही विभाग दिए हैं, जिन पर वो लंबे समय काम कर चुके हैं। मंत्रिमंडल में नए-पुराने चेहरों को लाकर भाजपा ने जो कॉम्बिनेशन दिखाया है।
केदार कश्यप
केदार प्रदेश की इस मौजूदा सरकार में बस्तर संभाग से इकलौते मंत्री हैं। पहले भी मंत्री रह चुके हैं, मगर इस बार ज्यादा चर्चित विभाग इन्हें नहीं दिए गए। नए चेहरों पर भाजपा ने अधिक जोर दिया है।
रामविचार नेताम
रामविचार नेताम काफी सीनियर नेता हैं। पिछली सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इनके अनुभव का फायदा प्रमुख विभागों में मिल सकता है। इसलिए प्रदेश का एक महत्वपूर्ण विभाग कृषि इन्हें सौंपा गया है। आदिवासी वर्ग के सरकार में वरिष्ठ नेता होने की वजह से उन्हें आदिम जाति विकास विभाग दिया गया है।
दयालदास बघेल
दयाल दास पहले भी खाद्य विभाग संभाल चुके हैं। भाजपा सरकार में इकलौते एससी वर्ग के नेता हैं। रमन कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं। खाद्य नागरिक मामले में प्रदेश की अलग पहचान है। इनके अनुभव का इस्तेमाल इस छवि को चमकाने में सरकार करेगी।
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