रायपुर। मंगलवार को भगवान नृसिंह जयंती (Lord Narasimha Jayanti) मनाई जा रही है। ब्रह्मपुरी के बूढ़ा तालाब स्थित नरसिंह नाथ मंदिर (Narasimha Nath Temple) से भगवान नृसिंह की शोभायात्रा निकाली जा रही है। यह शोभायात्रा विभिन्न चौक-चौराहों से होती हुए मंदिर पहुंचेगी। इसके बाद हिरण्यकश्यप संहार का मंचन किया जाएगा और महा आरती के बाद प्रसाद वितरण होगा।
मंदिर प्रांगण में शाम 6.40 बजे भगवान नृसिंह द्वारा हिरण्यकश्यप के संहार का मंचन के बाद शाम 7 बजे महाआरती के बाद प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
ग्रीष्म काल में गर्म, शीतकाल में ठंडी रहती है प्रतिमा
मंदिर के महंत देवदास वैष्णव ने बताया कि, मंदिर में भगवान नृसिंह की प्रतिमा अष्ट धातु से बनी हुई है। प्रतिमा की विशेषता यह है कि ग्रीष्म काल में छूने पर यह ठंडी रहती है। शीतकाल में प्रतिमा को छूने पर इसके गरम होने का एहसास होता है। इस प्रतिमा का गर्भगृह मोटे पत्थरों से बना है।
मंदिर में भगवान विष्णु के नर और पशु के मिश्रित अवतार के रूप में नृसिंह विराजित हैं। प्रतिमा में दर्शाया गया है कि भगवान नृसिंह अपनी दोनों जंघा पर राजा हिरण्यकश्यप को लिटाकर अपने नाखून से उनका संहार कर रहे हैं। वहीं, पास ही एक और गर्भगृह है, जहां भगवान विष्णु विरांची-नारायण के रूप में विराजित हैं।
मंदिर की छत 28 स्तंभों पर टिकी है
महंत देवदास वैष्णव ने बताया कि, राजा भोसले राजा हरहर वंशी ने मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर की छत 28 खंभों पर टिकी हुई है। एक खंभा एक ही पूरे पत्थर का बना हुआ है। स्तंभों में कोई ज्वाइंट नहीं है। प्रदेश का यह इकलौता मंदिर है, जहां विरांची नारायण और भगवान नरसिंह एक ही मंदिर में स्थापित हैं।
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