प्राध्यापकों के सीधी भर्ती में ‘विधि प्राध्यापकों’ के पदों में वृद्धि को लेकर CM साय से मिले MLA पुरंदर मिश्रा

प्रदेश में उच्च शिक्षा से संबद्ध कुल 285 शासकीय महाविद्यालय हैं। यहां प्रोफेसर के कुल 682 पद हैं। जहां आज तक भर्ती नहीं हुई है और सभी पद

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  • Updated On - August 16, 2024 / 09:33 PM IST

रायपुर। प्रदेश में उच्च शिक्षा से संबद्ध कुल 285 शासकीय महाविद्यालय हैं। यहां प्रोफेसर के कुल 682 पद हैं। जहां आज तक भर्ती नहीं हुई है और सभी पद रिक्त हैं। बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के बाद पहली बार सितंबर 2021 में शासकीय कॉलेजों में प्रोफेसरों की सीधी भर्ती (Direct recruitment of professors in government colleges) निकाली गई। इसके लिए पीएससी से आवेदन मंगाए गए थे।इस बीच भर्ती नियमों में कुछ संशोधन को लेकर आवेदकों की शिकायतें भी विभाग में पहुंचने लगी।

विधि के आवेदकों ने यूजीसी और बीसीआई के स्पष्ट नियमों का हवाला देकर विज्ञापित एक मात्र पद को नियम विरुद्ध बताते हुए वर्तमान में संचालित प्रदेश के शासकीय विधि महाविद्यालयों की संख्या व वहां संचालित स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के अनुसार प्राध्यापकों के पदों में वृद्धि को लेकर पद सृजित करने की मांग रखी।जिसे उच्च शिक्षा विभाग ने संज्ञान में लेकर इसकी फड़ताल भी कराई और बी.सी.आई. के मापदंडो के अनुरूप विधि प्राध्यापकों के पदों में वृद्धि करने हेतु समस्त विधि महाविद्यालयों से जानकारी एकत्र की गई।

  • क्षेत्रीय अपर संचालक के माध्यम से नियत तिथि पर उक्त महाविद्यालयों द्वारा कुल 32 प्राध्यापक विधि के पद सृजित करने हेतु वांछित जानकारी 24.12.2021 को उच्च शिक्षा विभाग को प्रेषित की गई थी। और सभी विधि महाविद्यालयों से जानकारी एकत्र की जिसमें प्राध्यापकों के पदों में वृद्धि की स्थिति स्पष्ट नजर आया।

वावजूद हाल ही में जब 7 अगस्त 2024 को इसका पुनः विज्ञापन जारी हुआ तो उसमें भी एक मात्र पद का ही उल्लेख है।बता दें कि विधि का यह एक पद तब का स्वीकृति है जब पूरे प्रदेश में एक मात्र छत्तीसगढ़ महाविद्यालय में ही विधि के पाठ्यक्रम संचालित होते थे।आज पूरे प्रदेश में 11 महाविद्यालय हैं।जिसे लेकर विधि के आवेदक विधायक पुरन्दर मिश्रा से संपर्क कर इस पर शासन स्तर में उचित कार्यवाही करवाने निवेदन किये थे।

  • बता दें कि विधायक पुरन्दर मिश्रा (MLA Purandar Mishra) खुद भी विधि में स्नातकोत्तर हैं और विषय की गंभीरता को समझते हैं।जिसे तत्काल संज्ञान में लेकर उन्होंने आज सीधे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से मिल कर इस विषय मे चर्चा की है। विधायक पुरन्दर मिश्रा ने कहा कि विधि विषय की प्रासंगिकता जितनी कल थी उतनी आज भी है।विधि एक मात्र विषय है जो युवाओं को 100 प्रतिशत रोजगार देती है। हमारे समय एक या दो महाविद्यालय हुआ करता था आज प्रदेश में 11 शासकीय विधि महाविद्यालय हैं।उनमें भी 6 जगहों पर विधि में स्नातकोत्तर के पाठ्यक्रम संचालित होना बड़ी बात है।ऐसे में नियमों के अनुरूप उतनी संख्या में प्राध्यापकों की नियुक्ति भी जरूरी है।अन्यथा इसके संचालन में व्यवधान उत्पन्न आ सकता है।इसलिए कि विधि में सिर्फ यूजीसी का ही नहीं बीसीआई बॉर कॉउन्सिल ऑफ इंडिया का भी नियंत्रण रहता है।

छत्तीसगढ़ राज्य में 11 शासकीय महाविद्यालयों में विधि विषय का अध्यापन विधि विभाग के माध्यम से तथा 01 स्वतंत्र विधि महाविद्यालय छत्तीसगढ़ राज्य में संचालित है तथा इसमें 06 महाविद्यालय के विधि विभागों में स्नातकोत्तर कक्षाओं में (एल.एल.एम.) अध्यापन संचालित है।इसके साथ ही स्वतंत्र विधि महाविद्यालय भाटापारा के स्वीकृत सेटअप में प्राध्यापक (विधि) का पद का सृजन नहीं किया गया है।गौरतलब हो कि प्रदेश के किसी भी विधि विषय में एक सीट भी खाली नहीं रहती बल्कि हजारों विद्यार्थी प्रवेश की प्रत्याशा में हर साल वंचित रह जाते हैं।

नियम क्या कहता है-

विधि शिक्षा के उन्नयन हेतु नियामक संस्था बॉर कौंसिल ऑफ इंडिया, नई दिल्ली के नवीन प्रावधानों के अनुरूप प्रत्येक विधिक शिक्षण केन्द्र में 02 प्राध्यापकों तथा जहां विधि स्नातकोत्तर कक्षाएं संचालित हैं, वहां 02 प्राध्यापक विधि के अतिरिक्त पद का सृजन अनिवार्य है, तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली एवं नई शिक्षा नीति 2020 तथा राज्य के सेटअप स्वीकृत करने की नीति जब किसी संकाय का स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम का सेटअप सृजन महाविद्यालय में किया जाता है,तो 02 प्राध्यापक का पद अनिवार्य रूप से स्वीकृत किया जाता है।जबकि विधि विषय में इसका पालन नहीं हुआ है। लोक सेवा आयोग द्वारा विज्ञापित प्राध्यापक पद के विज्ञापन में विधि विषय के पद संख्या में बार कौंसिल ऑफ इंडिया, नई दिल्ली एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमानुसार पद संख्या में वृद्धि नहीं कि गई है।

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