रायपुर। सट्टेबाजी में मनीलांड्रिंग (Money laundering in betting) और हवाला के मामले में केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ED) में रायपुर-दुर्ग में पदस्थ चार पुलिस अफसरों से लंबी पूछताछ हुई। सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक उन्हें ईडी दफ्तर में बिठाकर रखा गया। उनसे सट्टेबाजी के नेटवर्क को लेकर लंबी पूछताछ की गई। उनसे पूछा गया कि गिरोह को पुलिस कैसे संरक्षण दे रही है? इसके एवज में कितना पैसा लिया जाता है?
सट्टे का पैसा किन-किन लोगों को पहुंचाया गया है? उन पैसों को कहां निवेश किया गया? इस बीच खमतराई में जुआ-सट्टा केस में फरार खाईवाल यूसुफ पोट्टी बयान देने ईडी दफ्तर पहुंचा। ईडी ने पिछले हफ्ते उसके घर पर छापा मारा था, उसे 24 अगस्त को बुलाया गया था, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुआ। वह शनिवार को ईडी के ऑफिस पहुंचा।
अफसरों ने उससे लंबी पूछताछ की है। उसके अलावा सट्टेबाजी से जुड़े कुछ अन्य लोगों को बुलाया गया है। दरअसल, ईडी की ओर से शनिवार को 50 से ज्यादा लोगों को समंस जारी किए जाने की चर्चा है। इसमें रायपुर-दुर्ग समेत अन्य शहरों के पुलिस अफसर व उनकी करीबी जवान शामिल हैं। कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को भी समंस जारी करने की तैयारी है। सबको अलग-अलग दिन बुलाया जा रहा है।
ईडी का दावा है कि एएसआई चंद्रभूषण वर्मा ने अपने बयान में कहा है कि उसने सट्टे का नेटवर्क चलाने वाले गिरोह से 65 करोड़ लिए हैं। उसे सिपाही से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों और नेताओं को पहुंचाया है। उसने ईडी को उनके नाम व फोन नंबर दिए हैं। दावा किया गया है कि एएसआई वर्मा ने उन्हें कब-कब कितना पैसा दिया है, जिसकी जानकारी दी है। ईडी ने सट्टे के केस में गिरफ्तार वर्मा को रिमांड लेने के दौरान कोर्ट में भी इस बारे जानकारी दी है।
शनिवार को एक इंस्पेक्टर और तीन सिपाही को समंस जारी हुआ था। उनके नाम आरोपी एएसआई चंद्रभूषण और सतीश चंद्राकर ने बताया है। सभी बयान देने पहुंचे थे। चर्चा है कि दुर्ग के जिन सिपाहियों को बुलाया गया है। उनके ऊपर पैनल चलाने का आरोप है। पुलिस वाले खुद सट्टे का पैनल चला रहे थे। रविवार को भी इंस्पेक्टर और डीएसपी रैंक के अधिकारियों को बुलाया गया है। ईडी की दूसरी टीम उनकी संपत्ति की जानकारी जुटा रही है।
इनपुट (भोजेंद्र वर्मा)
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